सुप्रीम कोर्ट ने हाउसिंग प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के नोएडा स्थित 40 मंजिला दो टॉवर्स को गिराने का फैसला सुनाया है। इन दो टावर्स में 915 फ्लैट और दुकानें बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इन टॉवर्स का निर्माण नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से किया गया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में सुपरटेक को अपने पैसों से तीन महीने के अंदर इन टॉवर्स को गिराने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को भवन मानदंडों का उल्लंघन करने पर ध्वस्त करने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध बताते हुए गिराने का आदेश दिया था।
हालांकि, बड़ी संख्या में लोग प्रोजेक्ट से अपने पैसे वापस ले चुके हैं। जिसपर कोर्ट ने सुपरटेक को दोनों टॉवर्स के सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ प्रतिपूर्ति किए जाने का आदेश दिया है। एमरल्ड कोर्ट परिसर में रह रहे लोगों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर सुपरटेक ने पैसों के लालच में सोसाइटी के ओपन एरिया में बिना अनुमति के यह विशाल टावर खड़े कर दिए।