तेलगु देशम पार्टी सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर कथित विकास निगम घोटाले के सिलसिले में उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही के विरोध दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि वह मामले में अपना फैसला सुनाएगी और कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
राज्यपाल में मंजूरी के बिना शुरू की जा सकती
सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर विशेष अनुमति याचिक में यह मामला उठाया गया है कि क्या नायडू के विरुद्ध कार्यवाही राज्य के राज्यपाल में मंजूरी के बिना शुरू की जा सकती थी। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पूर्व मंजूरी की जरूरत वाले कानून के प्रावधान लागू नहीं होंगे, क्योंकि नायडू के खिलाफ 2018 में जांच शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच करने की जरूरत है और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली नायडू की याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया
हालांकि, रोहतगी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि कथित फाइबरनेट घोटाला मामले में नायडू को 20 अक्टूबर तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को 17 अक्टूबर तक कारर्वाई रोक देने के लिए कहा था, क्योंकि नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने आशंका जताई थी कि पूर्व सीएम को सोमवार को गिरफ्तार किए जाने की प्रबल संभावना है।