नई दिल्ली : NGT ने यूपी के गाजियाबाद और अन्य स्थानों पर तलाबों एवं झीलों समेत जलस्रोतों के अतिक्रमण पर रिपोर्ट में देरी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है।
अपने आदेश का अनुपालन नहीं होने और बार बार स्थगन की मांग पर कड़ा एतराज जताते हुए जस्टिस जावेद रहीम की पीठ ने राज्य सरकार के शहरी विकास प्रधान सचिव को समन भेजकर 25 मई तक अधिकरण के समक्ष पेश होने को कहा।
यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए हरित पैनल ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार ना केवल मामले को गंभीरता से ले सकती थी बल्कि राज्य एवं अपने अधिकारियों को इस मामले में अधिकरण के आदेश के अनुपालन के लिये समर्थ भी बना सकती थी। उसने सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी किया ।
विशेषज्ञ सदस्य एन. नंदा की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ”यह बेहद खेदजनक है कि सुनवाई की हर तारीख पर मामला पिछले आदेश के अनुपालन की जानकारी के लिये आगे बढ़ा दिया गया, और किसी बहाने या कारण के साथ स्थगन की मांग की गई । कारण यह बताया गया कि कानून विभाग में संरक्षक का बदलाव हुआ है और नये पदाधिकारी का अभी कार्यभार संभालना बाकी है। यहां तक कि यह अनुरोध भी स्वीकार कर लिया गया लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ।” राज्य की ओर से पेश वकील अभिषेक यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले में ”नये महाधिवक्ता या अतिरिक्त महाधिवक्ता अथवा किसी वरिष्ठ वकील की नियुक्ति नहीं की है” और उन्होंने अधिक समय की मांग की।
NGT पत्रकार सुशील राघव की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राघव ने वर्ष 2014 में NGT द्वारा यूपी को दिये गये आदेश के क्रियान्वयन की मांग की थी। अपने आदेश में NGT ने राज्य को 6 महीने के अंदर जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने और हर महीने स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिये कहा था।