नई दिल्ली : दिल्ली में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र बनाने के लिए अब 1993 का प्रमाण पत्र नहीं देना होगा। विभाग के मंत्री ने मंडल आयुक्त को निर्देश देकर इस शर्त को हटाने पर विचार करें। दरअसल शुक्रवार को समाज कल्याण विभाग मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में ओबीसी से जुड़े लोगों की लंबित मांगों पर विचार किया गया। बैठक के दौरान ओबीसी प्रमाण पत्र में 1993 की शर्त को हटाना पर चर्चा हुई।
मंत्री को बताया गया कि दिल्ली में लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास 1993 से पहले का निवास प्रमाण पत्र नहीं है, जिसकी वजह से सरकार द्वारा दी जाने वाली ओबीसी सुविधाओं से वे वंचित रह जाते हैं। इस पर मंत्री ने मंडल आयुक्त को निर्देश दिए कि इस पर पुनर्विचार करें और इस संदर्भ में भारत सरकार से समन्वय कर ओबीसी समुदाय के कल्याण के लिए उचित कार्यवाही करें। इसके अलावा दिल्ली न्यायिक सेवा में आरक्षण के संबंध में विचार किया गया। देश में लगभग सभी राज्यों में न्यायिक सेवा में ओबीसी का आरक्षण है। इस पर मंत्री ने कहा कि सरकार इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
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नॉन क्रीमी प्रमाण पत्र की अवधि बढ़ाना के संबंध में लोगों ने बताया कि किसी भी नौकरी व संस्थान में प्रवेश के लिए नॉन क्रीमीलेयर का प्रमाण पत्र एक वर्ष के लिए मान्य है। इसे प्रति तीन वर्ष तक मान्य किया जाना चाहिए। इस पर मंत्री ने मंडल आयुक्त को पुनर्विचार के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि देश के 14 राज्यों में ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण हो चुका है। दिल्ली में वर्गीकरण न होने की वजह से अगड़े ओबीसी, अति पिछड़े का हिस्सा भी ले लेते हैं।