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नये कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं है किसानों की मांगों की फेहरिस्त

देश की राजधानी की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों की फेहरिस्त कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे पराली दहन के लिए जुर्माना व जेल से मुक्ति की भी मांग कर रहे हैं।

देश की राजधानी की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों की फेहरिस्त कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे पराली दहन के लिए जुर्माना व जेल से मुक्ति की भी मांग कर रहे हैं। इस फेहरिस्त में बिजली बिल संशोधन विधेयक 2020 को भी वापस लेने की मांग शामिल है। किसानों की मांगों की फेहरिस्त लंबी हो गई है, लेकिन इनमें पांच मांगे काफी अहम हैं। प्रदर्शन में शामिल किसान संगठनों की पहली और सबसे बड़ी मांग है केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों का निरस्त करना। 
मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि कॉरपोरेट को होगा। हालांकि सरकार का दावा है कि किसानों को इन तीनों कानूनों का फायदा होगा और कृषि क्षेत्र की उन्नति होगी। 
किसानों की दूसरी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी की गारंटी है। किसान संगठन केंद्र सरकार से एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। हालांकि, सरकार ने एमएसपी पर खरीद पूर्ववत जारी रखने का आश्वासन दिया है और मौजूदा सरकार के कार्यकाल में गेहूं और चावल समेत अन्य फसलों की रिकॉर्ड खरीद का उदाहरण भी सरकार पेश कर रही है। किसानों की तीसरी मांग भी काफी बड़ी है। वे बिजली ( संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि इससे उनको मुुफ्त बिजली नहीं मिल पाएगी। भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने कहा कि पंजाब में किसानों को बिजली मुफ्त मिलती है, लेकिन बिजली वितरण का निजीकरण होने पर उनको मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी। 
उनकी चौथी मांग पराली दहन के लिए जुर्माना व जेल की सजा को समाप्त करना है। हरेंद्र सिंह ने कहा कि पराली दहन के लिए पांच साल जेल की सजा और एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान किया गया है। किसान इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वे पराली जलाने के लिए किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं। इसके अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार, एमएसपी की मांग कर रहे हैं। 

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