नई दिल्ली : भारतीय साथी संगठन वािलंटियर ग्रेट इंडिया द्वारा नेशनल म्यूजियम में भारत अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले राजनेता, समाजसेवी और छात्रों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भारत श्री, वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा को राजधानी गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। जबकि इंडियन नोवल अवाॅर्ड से कुश्ती खिलाड़ी राहुल मान, सरिता मोर, कुश्ती कोच राम किशन, सामाजिक कार्यकर्ता दीपांशु गर्ग और सुभाष अग्रवाल (आईसीएआई-सीएमए), शिक्षाविद डॉ. एम. एस. वी. सुब्रह्मण्यम, लेखिका मंगलंपल्लि गिरिजा को नवाजा गया। इस मौके पर गांधीवादी सतीश भारती ने जीवन को सरल को रूप से जीने को लेकर लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कभी भी हमें किसी चीज से घबराना नहीं चाहिए। हर व्यक्ति महान बन सकता है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यतीत किया है। स्वास्थ्य पर सभी को स्वयं ध्यान देना चाहिए। हमारा स्वास्थ्य सरकार या मंत्रालय के प्रयासों से नहीं बल्कि हमारी दिनचर्या को ठीक करने से ही बेहतर हो सकता है। मेंटली और फिजकली फिट रहने के लिए रोजाना कुछ मिनट हमें पैदल भी अवश्य चलना चाहिए। ऐसा करने से कई प्रकार की बीमारियां भी दूर भाग जाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सपना साकार करने के लिए जीवन जीना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बहुत सालों से मैं देख रहा हूं कि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा समाज के लिए काफी अच्छा काम कर रहीं हैं। बुजुर्गों के लिए उनके द्वारा किया जा रहा कार्य बेहद सराहनीय है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व जस्टिस मंजू गोयल ने कहा कि हर लड़की के अंदर आई कैन की भावना होनी चाहिए। लड़की सब कुछ कर सकती है। वह एक समाज को बना सकती है। हमें उसे शिक्षित करना बहुत ही आवश्यक है। यदि लड़की पढ़ती है तो वह अकेले नहीं बल्कि पूरे परिवार को पढ़ाती है। इसके अलावा गोयल ने कहा कि लड़कियों के अंदर साहस पैदा करना चाहिए। बेटी की शादी कम से कम 18 वर्ष के बाद ही करनी चाहिए। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि भारती जी का मकसद बहुत ही अच्छा है। साथ ही उन्होंने उनके द्वारा किए जा रहे कामों की भी जमकर सराहना की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब मैं विद्यार्थी थी तो मुझे भारती जैसे व्यक्ति मिले होते तो मुझे भी किसी विषय में रट्टा नहीं लगाना पड़ता। मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं लेकिन मैं डॉक्टर नहीं बन सकी। इसे लेकर मेरे पिताजी काफी दुःखी भी हुए थे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हर बच्चे का मकसद होता है कि माता-पिता के सपने को पूरा करें। मैं उस परिवार से हूं जिसने आजादी के लिए अपने प्राण त्यागे हैं।
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