नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने आज स्पष्ट किया कि ई- वे बिल की वैधता अवधि को ट्रांसपोर्टर की तरफ से जीएसटी फार्म में पहली बार ब्यौरा भरने के दिन से गिना जायेगा। देश में इलेक्ट्रानिक वे बिल( ई- वे बिल) प्रणाली को एक अप्रैल से अमल में लाया जा रहा है। इस प्रणाली के तहत ई- वे बिल को कारोबारी अथवा किसी ट्रासंपोर्टर को50,000 रुपये से अधिक मूल्य का माल एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाते हुये जीएसटी निरीक्षक के समक्ष पेश करना होगा।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा है कि ई- वे बिल की वैधता अवधि को उस दिन से गिना जायेगा जब जीएसटी फार्म ईवेबिल-01 के भाग- बी में ट्रांसपोर्टर पहली बार ब्यौरा भरेगा। इसके बारे में उदाहरण देते हुये कहा गया है कि माना कोई कारोबारी फार्म जीएसटी ईवेबिल-01 में शुक्रवार को भाग- ए में ब्यौरा भरता है और अपना माल ट्रासंपोर्टर के हवाले कर देता है। इसके बाद ट्रांसपोर्टर यदि माल को सोमवार को रवाना करता है और जीएसटी ई- वेबिल-01 के भाग- बी को भरता है तो उसकी वैधता अवधि सोमवार से ही गिनी जायेगी। जीएसटी परिषद द्वारा मंजूर किये गये नियमों के मुताबिक100 किलोमीटर से कम दूरी तय करने पर ई- वे बिल संगत तिथि से एक दिन के लिये वैध होगा। इसके बाद प्रत्येक100 किलोमीटर के लिये संगत तिथि से वैधता एक अतिरिक्त दिन के लिये होगी।
मंत्रालय ने एक अन्य स्पष्टीकरण में कहा है कि यदि किसी माल को दो ट्रांसपोर्टर गंतव्य तक पहुंचाते हैं तब भी ऐसी स्थिति में एक ही ई- वे बिल निकालना होगा। किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में गंतव्य तक दो ट्रांसपोर्टरों की मदद से माल पहुंचाये जाने की स्थिति में मंत्रालय ने कहा है कि पहला ट्रांसपोर्टर फार्म जीएसटीईडब्ल्यूबी-01 ( जीएसटी ईवेबिल-01) के भाग- बी में वाहन का ब्यौरा भरेगा। उसके बाद जहां भी वह दूसरे ट्रांसपोर्टर को आगे गंतव्य तक माल पहुंचाने के लिये सुपुर्दगी करेगा वहां से दूसरा ट्रांसपोर्टर उसी जीएसटी ईडब्ल्यूबी-01 में भाग- बी के ब्यौरे को अद्यतन करेगा। सरकार ने इससे पहले एक फरवरी से ई- वे बिल प्रणाली को लागू किया था लेकिन पोर्टल में बाधा खड़ी होनें की वजह से इसके क्रियान्वयन को रोक दिया गया। ई- वे बिल को जीएसटी में राजस्व चोरी रोकने के एक बड़े उपाय के तौर पर माना जा रहा है।
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