नई दिल्ली : उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही न जाने अभी और कितने बेकसूरों की जान लेगी। निगम अधिकारियों की लापरवाही और लचर व्यवस्था की वजह से दो सप्ताह के अंदर 46 के बाद 9 और बेगुनाहों की जलकर मौत हो गई, इसमें कई मासूम बच्चों की भी जान चली गई। चौकाने वाली बात तो ये कि निगम दोनों ही मामलों में पल्ला झाड़ता दिखाई दे रहा है।
अनाजमंडी कांड में निगम ने जहां स्पेशल एरिया का हवाला देकर खुद को बचाने का प्रयास किया था, वहीं किराड़ी में हुए अग्निकांड में भी एरिया को अनधिकृत कॉलोनी बताकर इनकार कर दिया कि वह इस क्षेत्र में कार्रवाई नहीं करती। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी ने कहा है कि उत्तरी निगम अनाधिकृत कॉलोनियों में गोदाम या फिर फैक्ट्री संचालन का लाइसेंस नहीं देती है। उसे कोई अधिकार नहीं है।
इस वजह से वह इन क्षेत्रों में कार्रवाई भी नहीं करती। ऐसे में जब निगम को इन अवैध कॉलोनियों से कोई वास्ता नहीं तो किस आधार पर निगम इनसे संपत्तिकर वसूली करने का दावा करता है।
दो सप्ताह बाद भी नहीं आई रिपोर्ट
निगम के अधिकारी आग की घटनाओं पर रोक लगाने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर कितने सजग हैं इस बात का अंदाजा अनाज मंडी अग्निकांड की घटना से लगाया जा सकता है। घटना के दो सप्ताह के बीत जाने के बाद भी निगम अभी तक जांच रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया है। जबकि तीन दिन के अंदर ही ये रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई करनी थी। निगम अधिकारियों की लापरवाही इस जांच रिपोर्ट में भी समाने आ रही है।
कॉलोनी में कुछ हुआ तो जिम्मेदार कौन?
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी के बयान ने कई सवाल उठा दिए हैं। आयुक्त ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों की जिम्मेदारी निगम की नहीं है। ऐसे में अगर निगम की जिम्मेदारी अनधिकृत कॉलोनियों की नहीं है तो वो किस आधार पर इनसे संपत्तिकर की वसूली करती है। वहीं इस एरिए की सफाई व्यवस्था पर निगम करोड़ों रुपए क्यों लगाता है। क्यों इन कॉलोनियों निगम पार्षद चुनकर आते हैं। अगर राजधानी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में कोई कांड हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा..?
अवैध कॉलोनियों से वसूली करते हैं निगम अधिकारी… उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नेता विपक्ष सुरजीत सिंह पवार ने आरोप लगाया कि निगम की लापरवाही की वजह से ही लगातार बेकसूर लोगों की मौत हो रही है। निगम के अधिकारी व कर्मचारी अनधिकृत कॉलोनियों में मकानों के निर्माण कार्य के दौरान उगाही करते हैं। उनसे लाखों रुपए की वसूली की जाती है। यहां तक गोदाम चलाने का भी पैसा दिया जाता है। जिस घर में ये भयावह घटना हुई है, उस घर से भी निगम अधिकारी उगाही जरूर करते होंगे।