लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

अक्षरधाम के विस्तारित ढांचे के लिये पर्यावरण मंजूरी देने में कोई गलती नहीं हुई : एनजीटी

एनजीटी ने बुधवार को कहा कि यहां अक्षरधाम मंदिर के विस्तारित ढांचे को पर्यावरण मंजूरी देने में एसईआईएए द्वारा कोई गलती नहीं की गई और यह यमुना के तटीय क्षेत्र का हिस्सा नहीं है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को कहा कि यहां अक्षरधाम मंदिर के विस्तारित ढांचे को पर्यावरण मंजूरी देने में एसईआईएए द्वारा कोई गलती नहीं की गई और यह यमुना के तटीय क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मंदिर प्रबंधन किसी जुर्माने के लिये जिम्मेदार नहीं है। 
शीर्ष न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि यह इलाका यमुना के तटीय क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस अर्जी को स्वीकार करते हैं और हमारा कहना है कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। साथ ही, परियोजना के प्रस्तावक किसी उल्लंघन को दर्शाये जाने के अभाव में कोई राशि जमा करने के जिम्मेदार नहीं है।’’ 

महाराष्ट्र: देवेंद्र फडणवीस बोले- मैं सही समय पर सही बात कहूंगा, चिंता न करें 

अधिकरण ने कहा कि जब कोई उल्लंघन ही नहीं हुआ तो कोई राशि क्यों जमा कराई जाए। ऐसा करने की कोई वजह नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह, उच्चतम न्यायालय के फैसले और इस अधिकरण द्वारा स्वीकार किये गये विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आलोक में एसईआईएए द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी में कोई त्रुटि नहीं है।’’ 
गौरतलब है कि अधिकरण ने इससे पहले केंद्र को अक्षरधाम मंदिर प्रबंधन द्वारा दायर एक याचिका पर एक स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। याचिका के जरिये अधिकरण के 2016 के आदेश के अनुपालन की मांग करते हुए एक कमेटी से यह फैसला करने को कहा गया था कि क्या विस्तारित ढांचा यमुना के तटीय क्षेत्र में आता है। 
एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय को इस विषय में एक स्थिति रिपोर्ट तैयार करने और ई मेल के जरिये 25 नवंबर तक भेजने का निर्देश दिया। हरित अधिकरण ने 2015 में पर्यावरण मंत्रालय के दो कार्यालयी आदेशों को रद्द करते हुए कहा था कि इनमें अधिकारक्षेत्र और प्राधिकार का अभाव है। 
दरअसल, ये आदेश बड़ी एवं छोटी परियोजनाओं के लिये मंजूरी के मुद्दे से जुड़े थे। बाद में अधिकरण ने मंदिर परिसर के विस्तार पर आई कुल लागत का पांच प्रतिशत जुर्माना लगाया था इस पर, मंदिर प्रबंधन ने इस आदेश के खिलाफ अधिकरण का रुख किया और कहा कि मंदिर का निर्माण 2005 में पूरा हुआ था और उस वक्त 2006 की पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना प्रभाव में नहीं थी तथा इसलिये पर्यावरण मंजूरी की जरूरत नहीं थी। पीठ ने पर्यावरणविद मनोज मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − 13 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।