दिल्ली सरकार के पांचवें बजट को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सबका बजट करार दिया है। अपने पहले बजट से दोगुणे हो चुके इस बजट के माध्यम से जहां उन्होंने सरकार की पीठ थपथपाई, वहीं केंद्र सरकार पर भी निशाना साधने से नहीं चूके। इस बीच सीएम ने एक मार्च से शुरू होने वाले उनके अनशन को समाप्त करने की कोशिश की है। इस बजट में अमीर, गरीब, महिला, छात्र, किसान और व्यापारी सबका ध्यान रखा गया है।
इसमें किसानों के लिए देश में पहली बार स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है, तो वहीं पानी में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए यमुना खादर इलाके में एक हजार एकड़ में बड़े तालाब बना कर बाढ़ का पानी रोकने की बात भी कही गई है। उद्यमिता बढ़ाने के लिए 11 इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव किया गया है, तो अस्पतालों के बिस्तरों को दोगुणा करने के लंबित कार्यों को पूरा किया जाएगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों में लगने वाले 2000 सीसीटीवी की क्षमता को दोगुणा कर 4000 करने का प्रस्ताव है, तो वकीलों को वेलफेयर के लिए 50 करोड़ रुपए देने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल की माने तो इस वित्त वर्ष में 800 करोड़ रुपयों की लागत से 52 हजार मकानों की मरम्मत कराकर उसमें झुग्गीवालों को शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा उनके लिए नए मकान भी बनाए जाएंगे। वहीं इस वर्ष 4000 बसें भी दिल्ली की सड़कों पर उतर जाएंगी। दिल्ली के 406 अनधिकृत कालोनियों में पानी की पाइप लाइन बिछाने की शुरुआत हो चुकी है। आने वाले दिनों में इसे 150 और कालोनियों में शुरू किया जाएगा। इसी तरह 345 कालोनियों में सीवर लाइन डालने का काम शुरु हो गया, जो इस वित्त वर्ष में 355 अन्य कालोनियों में शुरू किया जाएगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री सड़क पुनर्निमाण योजना के तहत 800 करोड़ की लागत से राजधानी की सभी ऐसी सड़कें जिनका कोई वारिस सामने नहीं आता, उसे बनवाया जाएगा। इसके साथ ही भविष्य के प्रोजेक्ट के आड़े आ रही 80 प्रतिशत पेड़ों को विस्थापित करना होगा। वहीं 150 करोड़ रुपए की लागत से हॉट-स्पॉट से वाई-फाई दिलाया जाएगा। इस दौरान भी उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि दिल्ली से हर साल करीब डेढ लाख करोड़ का आयकर केंद्र को जाता है, लेकिन इसके बदले केंद्र से केवल 534 करोड़ ही मिला है।
यह अंग्रेजो की तरह का शोषण है जो पूर्ण राज्य के दर्जे से ही खत्म हो सकता है। वहीं मेट्रो फेज-फोर में केंद्र से आंवटन नहीं मिलने पर उनपर योजना लटकाने का आरोप लगाते हुए जल्द आवंटन की मांग की। इन चार सालों में दिल्ली में तेजी से हुए विकास ने साबित कर दिया कि आप पार्टी को सरकार चलानी आती है।