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सील तोड़कर हीरो बने तिवारी

मनोज तिवारी ने जो कर दिखाया, उससे आम आदमी पार्टी बल्कि कांग्रेस के नेता भी हिल गए। इतना ही नहीं भाजपा के कुछ नेता भी सकते में आ गए कि तिवारी ने यह कर दिया।

नई दिल्ली : दिल्ली में आए दिन कोई न कोई समस्या सुरसा के मुंह की तरफ विकराल हुई रहती है। बढ़े बिजली के बिलों की याद तो सबको होगी ही। बिल नहीं भरे गए तो लोगों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए। इन कटे हुए कनेक्शन को जोड़कर अरविंद केजरीवाल ने व्यवस्था को चुनौती दी तो वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए। अब दिल्ली वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी द्वारा सील तोड़ने की तुलना इस पुराने मामले से कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक बार फिर से किसी ने कानून तोड़कर व्यवस्था को चैलेंज किया है। दिल्ली में जगह-जगह लगे पोस्टर भी इस बात की गवाही दे रहे हैं।

दिल्ली में सीलिंग से लोग बेहद परेशान है। लेकिन मनोज तिवारी ने जो कर दिखाया, उससे न केवल आम आदमी पार्टी बल्कि कांग्रेस के नेता भी हिल गए। इतना ही नहीं भाजपा के कुछ नेता भी सकते में आ गए कि तिवारी ने यह कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में तिवारी की फजीहत होगी। लेकिन जिस तरह से घटनाक्रम चला है अब लोगों को लगने लगा है कि केजरीवाल का मुकाबला अगर कोई कर सकता है वो है मनोज तिवारी। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में सभी निगम पार्षदों के टिकट कटने के बाद भी भाजपा ने जबरदस्त जीत हासिल की। इसका श्रेय भी मनोज तिवारी को भी दिया गया था। भाजपा में गुटबाजी के बावजूद मनोज लगातार पार्टी को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। उनका झुग्गी प्रवास भी बेहद लोकप्रिय हुआ था।

बलिदान देने वालों को कभी न भूले समाज : तिवारी

उनके बढ़ते कद को देखते हुए भाजपा के नेताओं को आगे लगने लगा कि वह कहीं मुख्यमंत्री बनने की रेस में आगे न निकल जाएं। बस फिर क्या था तिवारी की फजीहत शुरू हो गई। बवाना चुनाव में तिवारी के पोस्टर तक नहीं लगे। पार्टी चुनाव हार गई। गुटबाजी का आलम यह है कि आए दिन अफवाह फैल जाती कि तिवारी अध्यक्ष पद पर बस कुछ दिन के मेहमान है। लेकिन सील तोड़ने जैसा आत्मघाती कदम मनोज के लिए संजीवनी बन गया है। पार्टी के लोग कुछ भी कहे मगर आम लोग उनके इस कदम को सही बता रहे हैं।

राजनीति चर्चा के लिए मशहूर नाई की दुकान हो या फिर चाय की दुकान, दफ्तर, फैक्टरी हर जगह लोग कह रहे हैं कि चलो किसी नेता में तो हिम्मत हुई कि वह सुप्रीम कोर्ट में आम लोगों के हक की बात रख सकें। दिल्ली में मनोज तिवारी के पोस्टर भी लगे हैं कि बंदे में है दम। जिसने सुप्रीम कोर्ट से कहा मॉनीटरिंग कमेटी करो भंग। ऐसा नहीं है कि तोड़फोड़ सीलिंग की खिलाफत मनोज ने पहले भी की है। गत 30 नवंबर को भाजपा अध्यक्ष के रूप में एक साल पूरा करने पर उन्होंने पंजाब केसरी से बातचीत में कहा था कि बनने के बाद न तोड़ा जाए किसी का घर।

– सतेन्द्र त्रिपाठी

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