नई दिल्ली : अपनी मातृभाषा और अपने गुरुओं का सम्मान करना न भूले। क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो सफलता पाता है। उसकी सफलता के पीछे उनके गुरुओं का अहम योगदान होता है। उक्त बाते उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने मंगलवार को विज्ञान भवन में माई होम इंडिया के 13वीं सालगिराह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कहीं। उन्होंने कहा कि ये संस्था जो काम कर रही है वह सराहनीय है। यह संस्था लोगों के बीच में जाकर काम करती हैऔर लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ती है।
इसलिए माइ होम इंडिया जैसे संगठनोंकी देश को बहुत जरूरत है। जिस तरह से उत्तर पूर्व के लोगों की मदद माइ होम इंडियाकर रहा है।उससे देश के एक हिस्से के लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। बातों बात के दौरान उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने कहा कि भले ही मैंने राजनीति से संन्यास लिया हो। लेकिन आज भी मुझमें नॉनस्टॉप बोलने की ताकत है और ये ताकत मुझे अपने युवा साथियों को देखने से मिलती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत शांति प्रिय देश है और हम किसी भी देश पर हमला नहीं करते हैं।
लेकिन तब तक जब तक कोई हमे छेड़ता नहीं, जम हमें कोई छेड़ता है तो हम उसे छोड़ते नहीं। कार्यक्रम के दौरान माई होम इंडिया के संस्थापक सुनील देवधर ने कहा कि 13 साल पहले उन्होंने इस संगठन की शुरुआत की थी। आज इस संगठन के 65 शहरों में 1500 सेज्यादा वॉलियंटर काम कर रहे हैं। संगठन ने फिलहाल हेल्पलाइन के जरिए उत्तर पूर्व के रहने वालों को न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाएं दी हैं, बल्कि जो बच्चे अपने मां बापसे बिछड़ गए हैं।
उन्हें मिलवाने का काम भी हम कर रहे हैं। अभी तक हमारे इस संगठनने 20 हज़ार उत्तर पूर्व के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की है। हमने 20 हजार से ज्यादा बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया है। हमारा अगला मिशन यह है कि 2022 तक हम देश के सभी बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलवाना है।