नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक रेप मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरक आरोप पत्र के साथ एफएसएल रिपोर्ट सबमिट करने के मामले में इस केस की जांच अधिकारी महिला सब इंस्पेक्टर पर 3 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है। साथ ही पुलिस द्वारा अनियमिता बरतने पर जमकर फटकार लगाई है। पुलिस ने यह रिपोर्ट करीब 1 साल 10 महीने के बाद कोर्ट में सबमिट की है। जबकि रोहिणी स्थित फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) ने इस रेप केस से जुड़ी अपनी रिपोर्ट 19 सितंबर 2017 को ही पुलिस को सौंप दी थी।
स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनमोहन शर्मा ने पुलिस से कहा कि रिपोर्ट को थाने की रखी फाइलों से निकालकर कोर्ट पहुंचाने में बड़ी जल्दी कर दी। मामला विवेक विहार थाने का है। जो कि कोर्ट से महज दो किमी. की दूरी पर है। कोर्ट में पुलिस द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र से इस एफएसएल रिपोर्ट का राज खुला। न्यायाधीश मनमोहन शर्मा ने देखा कि एफएसएल रिपोर्ट को देरी से देने की वजह को पूरक आरोप पत्र में दर्ज ही नहीं किया गया है। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब सीनियर साइंटिस्ट अफसर इमराना ने रेप केस में एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट तैयार करने के बाद 19 सितंबर 2017 को पुलिस को सौंप दी थी।
तो पुलिस ने इसे तुरंत कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया और अब जब इस रिपोर्ट को पूरक आरोप पत्र में शामिल किया गया है तो इसमें इस बात का जिक्र क्यों नहीं है कि इस रिपोर्ट को 2 किमी. के दायरे को पार करने में इतना समय क्यों लगा। यहीं नहीं इस आरोप पत्र को देखे बिना एसएचओ और एसीपी ने भी साइन कर दिए। उन्होंने भी जांच अधिकारी से इसमें कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए जांच अधिकारी के खिलाफ 3 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी कर दिया।