नई दिल्ली : वर्ष 2008 में यमुनापार को तौहफे में सिग्नेचर ब्रिज दिया गया। मगर यह तोहफा गले में फंसी हड्डी की तरह बनकर रह गया। जिसे अब न तो निगला जा रहा है और न ही उगला जा रहा है। मगर इस सबके बीच यमुनापार के लोग बुरी तरह पिस रहे हैं। जिन्हें सिग्नेचर ब्रिज के नाम पर दिन-रात लगने वाला जाम मिला है। जबकि उद्घाटन के वक्त लोगों को सपने दिखाए गए कि विश्व स्तर पर बनने वाले इस सिग्नेचर ब्रिज के बाद यमुनापार दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करेगा।
सिग्नेचर ब्रिज के चलते यमुनापार की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। खास तौर से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों का तो जीना ही दुश्वार हो चुका है। जिन्हें मिनटों का सफर पूरा करने में घंटों लग जाता है। हैरानी की बात है कि शासन और प्रशासन यमुनापार के लोगों की इस तकलीफ से वाकिफ है, मगर फिर भी इसका कोई स्थाई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा।
ऊपर से एक बार फिर सिग्नेचर ब्रिज का काम अधर में लटक गया है। सिग्नेचर ब्रिज को इस साल यातायात के लिए खोला जाना था। मगर एक बार फिर प्रोजेक्ट एक साल के लिए लटक गया है। सिग्नेचर ब्रिज संभवतः 2019 में ही शुरू हो सकेगा।
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– वसीम सैफी