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विज्ञान भवन में लंबी बातचीत के बाद किसानों ने छका लंगर, प्लेट लेकर कतारों में लगे केंद्रीय मंत्री

विज्ञान भवन में मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में लगे नजर आए।

कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत जारी है। विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के समक्ष 40 संगठन वार्ता के लिए मौजूद हुए। वार्ता के बीच दोनों पक्षों ने लंच ब्रेक लिया। 
विज्ञान भवन में मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में लगे नजर आए। वहीं विज्ञान भवन के बाहर भी लंगर की व्यवस्थ की गई, जहां किसानों ने सड़क पर बैठकर लंगर छका। पिछली बार वार्ता के दौरान किसानों के सरकार की और से प्रस्तुत खाना खाने से इंकार कर दिया था।
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आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि केवल तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने समेत अन्य मुद्दे चर्चा का विषय हैं। केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए ‘‘खुले मन’’ से ‘‘तार्किक समाधान’’ तक पहुंचने के लिए यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। 
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने मंगलवार को अपने पत्र में कहा था कि एजेंडा में तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल करना चाहिए। छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को ही होने वाली थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूनियन के कुछ नेताओं के बीच बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकलने पर बैठक रद्द कर दी गयी थी। 
शाह से मुलाकात के बाद सरकार ने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें नए कानून में सात-आठ संशोधन करने और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की बात कही थी। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से इनकार कर दिया था। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 
प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे। 

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