दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा पाये भाजपा से निष्कासित कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत याचिका पर गुरुवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और पीड़िता को नोटिस जारी किेये। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने जमानत अर्जी पर सीबीआई और पीड़िता को नोटिस जारी करने के साथ ही इस मामले को 25 मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
दिल्ली HC ने CBI और पीड़िता से मांगा जवाब
अदालत ने सेंगर के उस दूसरे आवेदन पर भी सीबीआई और पीड़िता से जवाब मांगा जिसमें आवेदक ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी अपील के समर्थन में अतिरिक्त सबूत पेश करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। सेंगर के वकील ने दलील दी कि पीड़िता का एक हलफनामा दर्शाएगा कि वह अपराध के समय नाबालिग नहीं थी। उन्होंने यह कहते हुए जमानत मांगी कि उनके मुवक्किल पिछले चार सालों से सलाखों के पीछे हैं।
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पहले से ही लंबित
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही हाई कोर्ट में लंबित है। सेंगर ने निचली अदालत के 16 दिसंबर 2019 के फैसले को खारिज करने की मांग की है जिसमें उसे गुनहगार ठहराया गया था। उसने 20 दिसंबर, 2019 के इस फैसले को भी दरकिनार करने का अनुरोध किया है कि जिसमे कहा गया है कि उसे बाकी जीवन जेल में बिताना हेागा। संबंधित महिला का 2017 में सेंगर ने अपहरण किया था और उसके साथ बलात्कार किया था। इस घटना के समय महिला नाबालिग थी।