रोहिणी के विजय विहार में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर लड़कियों को बंधक बनाकर रखने वाला बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के ख़िलाफ CBI ने बलात्कार के दो मामलों समेत कुल तीन मामले दर्ज किए हैं। वीरेंद्र दीक्षित पर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को कथित रुप से अपने आश्रम में बंधक बना कर जानवरों सा सलूक करने का आरोप है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आश्रम के संस्थापक की हरकतों को ‘अत्याधिक संदेहास्पद’ बताया जहां लड़कियों को कथित तौर पर बंधक बनाकर रखा गया था। उसने CBI से यह बताने को कहा कि आश्रम का संस्थापक अब कहां है और इस बारे में रिपोर्ट मांगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने पैनल के तर्क में पहली जाँच में पाया कि आश्रम और वीरेंद्र देव दीक्षित आश्रम रहने वाली लड़कियों से उनके परिजनों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करवाते थे। पैनल की नियुक्ति अदालत ने ही की थी।
पैनल ने कहा कि ऐसा लगता है कि परिजनों के खिलाफ शिकायतें इसलिए दर्ज करवाई जाती थीं ताकि वे आश्रम और दीक्षित के खिलाफ मामले दर्ज ना करवा सकें। अदालत ने कहा कि वह किसी भी वास्तविक, कानून सम्मत और सच्ची धार्मिक गतिविधि में दखल नहीं देंगे लेकिन ‘कपटी या गैरकानूनी गतिविधि को समर्थन भी नहीं देंगे।’ अदालत गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पॉवरमेंट की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 22 दिसंबर को ये मामला अपने हाथ में लिया था। महिला आयोग को आध्यात्मिक विश्वविद्यालय चलाने वाले वीरेंद्र देव दीक्षित के मानव तस्करी में लिप्त होने की आशंका इस आश्रम पर छापेमारी कर कई लड़कियों को छुड़ाया गया था। छुड़ाई गई लड़कियों ने बताया था कि वीरेंद्र दीक्षित हमेशा उनका यौन उत्पीड़न करता था। आरोपी वीरेंद्र दीक्षित फिलहाल फरार है। गुरुवार को उसे कोर्ट में पेश होना है।
पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में CBI ने एक टीम का गठन किया है, जो कथित रूप से दीक्षित पर लगे यौन उत्पीड़न व महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाए जाने की जांच करेगी। बाबा वीरेंद्र दीक्षित के कारनामे का सच पिछले वर्ष दिसंबर में सामने आया, जब उनके आश्रम से करीब 100 महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया गया। इन सभी को दरवाजे की पीछे बंद रखा गया था। दिल्ली पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने के बाद से ही वह लापता है्।
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