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राजनीतिक पार्टियों को हमारे आंदोलन पर कब्जा नहीं करने देंगे, हम कोई नेता नहीं चाहते : प्रदर्शनकारी

अहमद ने कहा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हमारे भाइयों और बहनों ने पुलिस की बर्बरता का सामना किया। वे विरोध का चेहरा हैं। ये नेता तो बाद में आए हैं। हमारे पास कोई नेता नहीं था। हम कोई नेता नहीं चाहते हैं।

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के लिए प्रदर्शनकारियों को लाल किले की ओर बढ़ने से रोकने के बाद, सुनहरी मस्जिद के पास जमा हुए लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों के नेता उनके प्रदर्शन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। 
फरिया मेज़ान (19) ने आरोप लगाया कि राजनीतिक नेता छात्रों के ‘आंदोलन’ को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ हमने लाल किले पर इकट्ठा होने का फैसला किया था। अब स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने हमसे अब जंतर मंतर आने को कह रहे हैं। क्यों? हम यहीं रूकेंगे। लोग राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। यादव को भी हिरासत में लिया जा चुका है। 
बिलाल अहमद (36) ने कहा राजनीतिक नेताओं ने ‘आंदोलन’ शुरू नहीं किया था। अहमद ने कहा, ‘‘ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हमारे भाइयों और बहनों ने पुलिस की बर्बरता का सामना किया। वे विरोध का चेहरा हैं। ये नेता तो बाद में आए हैं। हमारे पास कोई नेता नहीं था। हम कोई नेता नहीं चाहते हैं।’’ आबिद (28) ने कहा कि युवा प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं और उन्हें फैसला लेने देना चाहिए। 
उन्होंने कहा, ‘‘अभी अभी। उन्होंने ऐलान किया है कि चार सदस्यीय समन्वय समिति गठित की गई है। इसे किसने और कब बनाया है? हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इसमें कौन-कौन है? राजनीतिक प्रदर्शन नाकाम हुए हैं। यह राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है। यह एक आंदोलन है और इसका फायदा किसी को भी नहीं उठाने दिया जाएगा।’’ सुबह में, पुलिस ने लाल किले पर जमा हुए एक हजार से ज्यादा लोगों को शांतिवन मार्ग पर रोक दिया था। ये लोग प्रदर्शनकारी संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जमा हुए थे। 

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