नई दिल्ली : दिल्ली में ऐतिहासिक सात सीटों की जीत के बाद भाजपा की अगली लड़ाई दिल्ली विधानसभा फतेह की है। बीस साल से भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की सत्ता से दूर है। इस सत्ता तक पहुंचने के लिए अब इस पर मंथन शुरू हो गया कि दिल्ली के सांसदों में कौन मंत्री बनेगा? क्या दो मंत्री बनाए जा सकते हैं? क्या दिल्ली भाजपा में भी फेरबदल किया जा सकता है? दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जल्द से जल्द भाजपा को ढूंढने हैं।
सबसे पहले बात करते हैं चांदनी चौक से जीते डॉ.हर्षवर्धन की। वह पहले भी केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। उनका जलवा कायम है। ईमानदार व मेहनती नेता हैं। उनका दावा कहीं से कमजोर नहीं है। लेकिन पार्टी का एक गुट उन्हें पार्टी की कमान सौंपने की वकालत कर रहा है। दूसरा नंबर रिकाॅर्डतोड़ जीत से पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा का बनता है। वह पिछली बार भी सात सांसदों में सबसे अधिक वोटों से जीते थे। उनका सौम्य स्वभाव व कार्यकर्ताओं की बीच पकड़ उन्हें अच्छा नेता बनाती है। उनका मंत्री पद पर दावा मजबूत है।
अब देखना है कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी प्रवेश पर कितना भरोसा करती है। उनके पिता स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के लोकप्रिय मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीसरा नंबर उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी का है। जिस तरह से उन्होंने दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों के साथ तमाम दिल्ली के लोगों के बीच भाजपा की पकड़ बनाई है, उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। निगम का चुनाव उनके नेतृत्व में जीता गया। लोकसभा चुनाव में उनकी सीट पर कांग्रेस की सबसे मजबूत प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित लड़ रही थीं, बावजूद इसके वह पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिम, चांदनी चौक व दक्षिणी दिल्ली में भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने गए।
पूरे देश में पार्टी का प्रचार करके वह स्टार प्रचारक बने। पूर्वांचल के लोग उन्हें मंत्री बनते देखना चाहते हैं। इधर सवाल यह है कि अगर मनोज तिवारी मंत्री बने तो फिर दिल्ली भाजपा की कमान कौन संभालेगा? इसके लिए सबसे पहला और उपयुक्त नाम है केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल का। उनका जुझारू नेतृत्व पार्टी में गुटबाजी खत्म कर सकता है। केजरीवाल से उनके ही स्टाइल में निपटने में वह माहिर हैं।
पार्टी के कार्यकर्ताओं का मानना है कि या तो उन्हें अध्यक्ष बनाएं या फिर अभी से उन्हें दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बना दें। इस चर्चाओं के बीच पूर्वी दिल्ली के पूर्व सांसद महेश गिरी का नाम भी सामने आ रहा है। जिस तरह से टिकट कटने के बावजूद उन्होंने पार्टी के लिए मेहनत की तो पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपने की वकालत कर रहे हैं।
– सतेन्द्र त्रिपाठी