नई दिल्ली : पंजाब में नशे सहित अन्य अपराध को खत्म करने के लिए संगठन खड़ा कर एक बार फिर से अन्ना जैसा आंदोलन किया जाएगा। यह कहना है पंजाब से विधायक व वकील एचएस फुल्का का। आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद फुल्का ने कहा कि आप छोड़ने के बाद लोग आगामी योजना के बारे में पूछ रहे थे।
करीब आठ साल पहले राजनीतिक दलों के सामने अन्ना आंदोलन शुरू हुआ था। उस समय समाज के सभी वर्गों से लोग बाहर निकलकर सामने आए और बदलाव के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि बाद में यह संगठन राजनीतिक दल में बदल गया। उस समय मुझसे पूछा गया कि क्या मैं राजनीति में जाऊंगा, मैंने विधायक बनने के बाद सिख दंगों से जुड़े आरोपियों को सजा दिलाने को प्राथमिकता दी।
उन्होंने कहा कि पंजाब में काफी तेजी से नशा बढ़ गया है। हालात यह हैं कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में भी शराब व अन्य नशा बांटा गया। हमें इसे रोकना है। इसके अलावा पंजाब सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई काम नहीं किया। इसे बदलने के लिए एक बार फिर से सामाजिक आंदोलन शुरू करना होगा। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के लिए वह सभी सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों से मुलाकात कर उन्हें जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अगले छह माह में यह संगठन कर बड़े स्तर पर अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
नॉन कांग्रेस पार्टी का सहयोग
सिख दंगों के आरोपियों को सजा दिलाने में सभी नॉन कांग्रेसी पार्टियों का सहयोग मिला। एमपी सीएम कमलनाथ, जगदीश टाइटलर जैसे बड़े दोषी जेल से बाहर है। हमारी कोशिश है कि ऐसे सभी आरोपियों को सजा दिलाई जाए। इसके लिए सभी नॉन कांग्रेसी पार्टियों के सहयोग की जरूरत है।
नहीं लड़ूंगा लोकसभा चुनाव
फुल्का ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव या शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने दबाव डाला कि सज्जन को सजा दिलाने के बाद कहीं से जीत सकते हो। उन्होंने कहा कि पद पाना मेरा उद्देश्य नहीं। उन्होंने कहा कि विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद भी स्पीकर ने उसे स्वीकार नहीं किया।
पार्टी बनाना गलत फैसला
अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के फैसले को फुल्का ने गलत बताया। उन्होंने कहा कि अन्ना आंदोलन एक सामाजिक संगठन था। इसे राजनीतिक संगठन में तब्दील नहीं करना चाहिए था।