इस उद्देश्य से, कॉरिडोर-वार मास्टर कंस्ट्रक्शन शेड्यूल तैयार करके उसे आईपीएमएस पर अपलोड किया जा चुका है। आईपीएमएस में अन्य कंस्ट्रक्शन संबंधी सॉफ्टवेयरों जैसे, प्रोजेक्ट प्लानिंग के लिए प्राइमावेरा शेड्यूल्स और 3डी बीआईएम (थ्री-डाइमेंशनल बिल्डिंग इन्फोर्मेशन मॉडलिंग) और एक मोबाइल एप के इंटीग्रेशन की विशेषता है, जिनके माध्यम से साइट पर होने वाली वास्तविक कार्य प्रगति को रियल टाइम बेसिस पर आईपीएमएस में अपलोड किया जा सकता है।
आईपीएमएस प्रत्येक क्षेत्र में सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल तथा सिगनल एवं दूरसंचार के संविदा पैकेज-वार कार्यों की प्रगति को मुख्य परियोजना प्रबंधक और परियोजना प्रबंधक के स्तर पर तथा निदेशक और प्रबंध निदेशक के स्तर पर कॉरिडोर-वार मॉनिटर करेगा। विशेष तौर पर डिजाइन किए गए डैशबोर्ड और एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रबंधन के शीर्ष स्तर से लेकर जूनियर इंजीनियर के स्तर तक रोल बेस्ड एक्सेस की व्यवस्था की गई है।
इसकी मदद से प्रोजेक्ट की प्रगति डैशबोडरें के साथ ही साथ 3डी मॉडल्स में भी देखी जा सकती है। फेज-3 तक, डीएमआरसी की प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग का कार्य ऑफलाइन किया जा रहा था। इस नई प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन से, डीएमआरसी के इंजीनियर अब इस डेडीकेटेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्य की प्रगति पर नजर रख सकते हैं। विशेष तौर पर डिजाइन किए गए डैशबोडरें से कंस्ट्रक्शन के समस्त प्रमुख कार्यों की प्रगति को देखा जा सकेगा तथा केवल एक बटन दबाकर उनकी स्थिति की जांच की जा सकेगी।
इस सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन से प्रोजेक्ट की चौबीसों घंटे आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी, क्योंकि आईपीएमएस पोर्टल को कहीं से भी मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि से एक्सेस किया जा सकता है। इससे रिकॉर्ड कीपिंग तथा इंजीनियरों के बीच जानकारी को साझा करना भी बेहतर होगा। डीएमआरसी की यह परियोजना सरकार के डिजिटल इंडिया के साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत जैसे प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत की तीन कंपनियों के एक संघ को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और भारतीय इंजीनियरों द्वारा यह सॉफ्टवेयर अपने ही देश में विकसित किया गया है।