नई दिल्ली : दिल्ली में काम करने के लिए शक्तियां चाहिए। यह कहना है आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बयान पर टिप्पणी करते हुए भारद्वाज ने कहा कि शीला दीक्षित की सरकार के पास पांच बड़ी शक्तियां थी। इसमें अफ़सरों का तबादला करने की शक्ति, अगर कोई अफ़सर भ्रष्ट है, सरकार की बात नहीं मान रहा है तो उस पर अनुशानात्मक कार्रवाई कराने की शक्ति, किसी भी अफ़सर के द्वारा या किसी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के मामले को एसीबी में देने की पावर, एंटी करप्शन ब्रांच की शक्तियां, सरकारी भर्तियां करने की शक्तियां और हर फ़ाइल एलजी को न भेजने की जरूरत शामिल हैं।
बावजूद दीक्षित कहती हैं कि उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ रिश्ते अच्छे रखने होते हैं तभी काम होते हैं। लेकिन हम उनकी इस बात पर ये कहना चाहते हैं कि उनके पहले कार्यकाल के दौरान केंद्र में अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार थी जिनके तकरीबन हर राज्य और हर मुख्यमंत्री के साथ बेहद अच्छे रिश्ते होते थे। उसके बाद तो तकरीबन कांग्रेस की सरकार केंद्र में रही है। लेकिन उसके विपरीत भाजपा सरकार है। ऐसे में संबंध अच्छे बनाना मुश्किल हो रहा है। दिल्ली सरकार में काम करने वाले सारे अफ़सर तो उपराज्यपाल के अधीन और उन्हीं के आदेश मानते हुए काम करते हैं तो फिर दिल्ली सरकार उनकी तनख्वाह क्यों दे।
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