दिल्ली विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण है, और उसमें भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग पूरी योगी कैबिनेट अपने सारे काम छोड़कर इस समय दिल्ली चुनाव प्रचार में जुटी हुई है।
दिल्ली चुनाव में योगी और उनके मंत्री जिस प्रकार से उतारे गए हैं, उससे लगता है कि दिल्ली में भाजपा की जीत की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है। योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में लगभग हर दिन सभाएं हैं। वह हर सभा में दिल्ली के शाहीन बाग और सीएए जैसे मुद्दों को प्रमुखता के साथ उठा रहे हैं। इसी बीच यूपी में रक्षा विभाग का सबसे बड़ा मेला डिफेंसएक्सपो भी होने जा रहा है, उसकी तैयारी को छोड़कर मुख्यमंत्री का दिल्ली मैदान में डटे रहना उनकी उपयोगिता का बड़ा सबूत है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी हर दिन उप्र से आ-जा रहे हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री डॉ़ दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य, एमएसएमई मंत्री सिद्घार्थनाथ सिंह, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, कानून मंत्री बृजेश पाठक, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उपेंद्र तिवारी आदि के अलावा खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले कई और मंत्री भी दिल्ली चुनाव में सक्रिय हैं। राजनीतिक विश्लेषज्ञ आमोद कांत का मानना है कि दिल्ली में उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वांचल के लोगों को अपनी भोजपुरी भाषा और लोकप्रियता के माध्यम से योगी रिझाने में भी कामयाब हो सकते हैं।
दिल्ली में वैसे भी पूर्वांचल के लिए मनोज तिवारी और बिहार के अन्य लोगों को लगाया गया है। फिर भी योगी की टीम महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। हालांकि, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित का कहना है, “हमारे यहां चुनाव में हर जगह से कार्यकर्ता लगाए जाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। भाजपा हर चुनाव को बहुत ही गंभीरता से लेती है। चुनाव के माध्यम से हम अपने विकास कायरें और किए गए कायरें की रिपोर्ट भी पेश करते हैं।”