कल्याणकारी राज्य शासन की वह संकल्पता है जिसमें राज्य नागरिकों के आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाणक्य हों या अरस्तु या प्लेटो, इन्होंने भी लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को महत्व दिया है। लोक कल्याणकारी राज्य से तात्पर्य किसी विशेष वर्ग का कल्याण न होकर सम्पूर्ण जनता का कल्याण होता है। लोकतंत्र में सरकारें वही लोकप्रिय होती हैं जो जन कल्याण को समर्पित हों। भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना आज के दौर में आसान नहीं है, क्योंकि शासन-प्रशासन में मौजूद ‘काली भेड़ें’ अपने कारनामें करती रहती हैं। राजनीति काजल की कोठरी के समान है। कहा जाता है कि इससे किसी के वस्त्र उजले नहीं रहते, कालिख लग ही जाती है। अगर इस पैमाने पर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को देखा जाए तो उस पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं है।
अक्सर कहा जाता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में छोटी मछलियां फंस जाती हैं लेकिन बड़ी मछलियों को हाथ नहीं लगाया जाता लेकिन खट्टर सरकार के शासन में भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरैंस अपनाते हुए बड़ी मछलियों पर भी हाथ डाला गया और उन्हें जेल का रास्ता दिखाया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुद को भ्रष्टाचार के दाग से बचाए रखा और ‘काली भेड़ों’ को अपने से कहीं दूर रखा। मनोहर लाल खट्टर जब 2014 में हरियाणा के सीएम बने तो अनेक लोगों को यह लगा था कि जाटों के दबदबे वाले राज्य में प्रदेश की कमान एक गैर जाट नेता के हाथ में आई है जिनके पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है। जाट आंदोलन और राम रहीम प्रकरण के दौरान उन्हें कमजोर मुख्यमंत्री भी बताया गया, फिर वो हरियाणा में भाजपा को दस लोकसभा सीटें जिताने में सफल रहे और विधानसभा सीट जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री भी बने।
दरअसल हरियाणा की पिछली सरकारों पर नौकरियां देने में जातिवाद आैर भ्रष्टाचार के आरोप लगते थे। खुलेआम खर्ची और पर्ची का सिस्टम चल रहा था लेकिन खट्टर सरकार ने बिना खर्ची बिना पर्ची के और प्रतिभा के आधार पर युवाओं को नौकरियां दीं। जिस गांव से भी चार-पांच युवाओं को नौकरियां मिलीं तो पूरे गांव में नई उम्मीदों का संचार हो उठा। पढ़े-लिखे युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया गया। हरियाणा में जबरन वसूली खत्म हुई। सीएम विंडो सिस्टम जैसे कार्यक्रमों की शुरूआत की गई और इसके अलावा मुख्यमंत्री की सादगी और सरल उपलब्धता तमाम ऐसी वजह रही जिसके कारण उन्होंने हरियाणा के लोगों के दिलों में लठ गाड़ दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में हरियाणा में काफी बदलाव हुआ और राज्य की तस्वीर भी बदली है। सरकार ने परिवार पहचान पत्र के माध्यम से बेरोजगार युवाओं की असली संख्या का पता लगाया और इन युवाओं को उद्यमी और रोजगार योग्य बनाने की रणनीति पर काम किया। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का फैसला काफी अहम साबित हुआ। महिलाओं की शिक्षा के लिए 20 किलोमीटर पर महिला विद्यालय खोलने के बाद लगभग चार दर्जन महाविद्यालय शुरू हो चुके हैं। कई सरकारी कॉलेज खोले गए। राज्य में महाविद्यालयों की संख्या 172 हो चुकी है। वहीं कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हैं। निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
खेलों के विकास में हरियाणा का कोई मुकाबला नहीं है। सर्वाधिक पदक वीर इसी राज्य से आते हैं। पदक विजेता खिलाड़ियों को देश में सर्वाधिक पुरस्कार राशि हरियाणा में ही मिलती है। स्वास्थ्य क्षेत्र में खट्टर सरकार के फैसले नई नजीर बने हैं। वर्ष 2014 में राज्य में 7 मैडिकल कालेज थे और एमबीबीएस की सीटें केवल 700 थी। इस सरकार के कार्यकाल के दौरान 6 नए मैडिकल कालेज खोले गए हैं और सीटों की संख्या 1735 हो गई है। अनेक नए नर्सिंग कालेज भी खोले जा रहे हैं। इसके अलावा भी महिलाओं, श्रमिकों के कल्याण, कन्यादान योजना, महिला समृद्धि योजना, श्रमिक चिकित्सा सहायता योजना आदि अनेक योजनाएं जनता के लिए फायदेमंद साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का जनसंवाद कार्यक्रम काफी सफल रहा। हर आपदा में सरकार किसानों के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। पूर्व में हरियाणा के तीनों लालों बंसी लाल, भजन लाल और देवी लाल ने लगभग तीन दशकों तक राज्य में शासन किया है। मुझे यह कहने में कोई झिझक महसूस नहीं हो रही ये तीन कभी भी सिद्धांतवादी राजनीति के महान अनुयाई नहीं थे। अब इन लालों के कबीलों की पहले जैसी चमक नहीं रही। इन तीनों लालों के परिवारों के लोग हालांकि विधायक आैर मंत्री भी हैं लेकिन पुराने जमाने का वैभव नहीं रहा। राज्य में भाजपा के उदय ने जाति आधारित पार्टियों को हाशिये पर धकेल दिया है। वर्तमान में मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा के चौथे लाल साबित हुए हैं।