लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

ड्रैगन के सामने 2017 का भारत

NULL

हमेशा से कहा जाता रहा है कि खुद को सुरक्षित रखना है तो उस दुश्मन से ज्यादा सावधान रहिए जो आपके पड़ोस में है। भारत के पड़ोस में एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ उसी का भाई चीन है। दोनों का काम भारत के खिलाफ जहर उगलना और खून-खराबा करना है। दोनों के दोनों जिद्दी हैं। दोनों को इस बात का नशा है कि वे जबर्दस्त ताकत रखते हैं। वहम का कोई ईलाज नहीं होता। सन् 1962 में चीन ने जब भारत के साथ युद्ध किया तो यह हमारे विश्वास पर घोपा हुआ खंजर था। जबकि 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की कमर भारत तोड़ चुका है। फिलहाल पाकिस्तान का काम हमारे देश में आतंकवाद फैलाना है और चीन का काम हमारी सीमाओं से जुड़े क्षेत्रों पर अपने कब्जे की बात कहकर चीखना-चिल्लाना है।

प्रधानमंत्री मोदी, प्रतिरक्षा मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह और हमारे एनएसए अजीत डोभाल जिस तरह से अपने-अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं वह चीन को करारा जवाब देने के लिए काफी है। जिस तरह से चीन ने पिछले दिनों सिक्किम में डोकालाम को लेकर अपना कब्जा जताने की बिना मतलब की कोशिशें शुरू की हैं, उसका प्रतिकार होना ही चाहिए था। पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली जो आजकल प्रतिरक्षा का महकमा भी देख रहे हैं ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब यह कहा कि 1962 में क्या हुआ, यह तब की बात थी। आज का भारत 1962 का भारत नहीं है बल्कि 2017 का भारत है। चीन को यह बात बुरी लग गई। दरअसल, चीन को आज तक भारत की ओर से इतनी बड़ी चुनौती कभी दी भी नहीं गई थी। पहली बार एक रक्षामंत्री ने जबर्दस्त चुनौती दी है और वह भी अपना काम करने के बाद तो हम इसका स्वागत करते हैं। यह न केवल राष्ट्रीयता है, न केवल राष्ट्रभक्ति है बल्कि एक जिम्मेवार रक्षामंत्री की कत्र्तव्य परायणता और चीन जैसे दुश्मन को उसकी औकात बताने के लिए एक चुनौती है।

1962 के बाद चीन ने सबसे पहले पंगेबाजी अरुणाचल प्रदेश में तबांग पर कब्जे को लेकर शुरू की। इसके बाद उसने सिक्किम में डोकालाम में अपना कब्जा जताया। तबांग में चीन ने चुपचाप सड़क बना ली लेकिन भारत ने इसका विरोध करते हुए अपनी फौज तैनात कर इसे रुकवा दिया वरना दो किलोमीटर तक तो चीन अपने इलाके में सड़क बना चुका था। भारत ने आगे बढऩे नहीं दिया। जमीन भूटान की है। भारत और भूटान के बीच सीमाओं को लेकर अपना एक इकरारनामा है, जिसके तहत कोई भी तीसरा देश उसकी सीमा पर घुस नहीं सकता।
दरअसल, एनएसजी की सदस्यता को लेकर चीन ने भारत का विरोध वीटो पावर के तहत करते हुए खुद को पाकिस्तान का समर्थक बताकर भारत के खिलाफ चुनौती दी तो उसने समझा कि ये लोग तो हिन्दू-चीनी भाई-भाई के उसके चाऊ एन लाई के नारे में कभी भी फंस सकते हैं लेकिन आज भारत अपने साथ हुए इस विश्वासघात को समझ चुका है। चीन को करारा जवाब मिल चुका है। इसीलिए उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आए दिन जवाब देते रहते हैं कि हालात युद्ध के हो गए हैं।

हमारे रक्षा विशेषज्ञों से उचित फीडवैक मिल रहे हैं, फीडवैक के आधार पर यही कहा जा सकता है कि चीन बॉर्डर हो या पाकिस्तान के साथ जुड़ी सीमा हमारे पास अत्यधुनिक अस्त्र-शस्त्र हैं। पहाड़ों के सीने को चीरकर तेज दौडऩे वाले टैंक हैं तो जमीन से आसमान पर उडऩे वाले दुश्मन के विमानों को तबाह कर देने वाली मिसाइले हैं। भारत हर तरफ से सुरक्षित है। चीन ने पाकिस्तान के साथ पीओके में भले ही कोरिडोर बनाने की योजना का भ्रम फैला रखा हो परंतु भारत ने तबांग और डोकालाग में उसे घुसने नहीं दिया। सियाचिन में भारत पहले से ही मजबूत है। अमेरिका, जर्मनी, रूस, आस्ट्रेलिया और कोरिया से भारत की बढ़ती नजदीकियां चीन को रास नहीं आ रही।

भारतीय फौज के तीनों अंगों ने कोई चूडिय़ां नहीं पहन रखी। फिलहाल कूटनीतिक स्तर पर मोदी ने विदेश नीति को लेकर एक ऐसा मोर्चा जमा रखा है कि अमेरिका तक भारत की न सिर्फ पहुंच है बल्कि भारत को वहां एक अलग पहचान मिली हुई है। चीन का माल अगर आज दिल्ली की सड़कों पर बिक रहा है तो यह भारत की दया पर है। आज भारत चीन को हर तरह की टैक्नॉलॉजी में पछाड़ चुका है। अपनी सुरक्षा को लेकर भारत की सुरक्षा तकनीक युद्ध क्षेत्र में कहीं मजबूत है। यूएनओ में स्थाई सदस्यता का मामला हो या एनएसजी में एनएसजी सदस्यता का मामला प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन संभाल रखा है और चीन को हर मोर्चे पर करारा जवाब मिल रहा है तो उसकी बौखलाहट स्वाभाविक ही है। उसकी दादागिरी अब नहीं चल रही, न चलने दी जाएगी, क्योंकि यह 1962 का नहीं 2017 का भारत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।