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आधार योजना : तीखे सवाल

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फेसबुक के करोड़ों यूजर्स का डाटा लीक होने के मामले पर भारत में शुरू हुए सियासती घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से सवाल किया कि यदि आपको सिर्फ नागरिकों की पहचान करनी है तो आधार योजना के तहत उनके व्यक्तिगत आंकड़ों को केन्द्रीयकृत करने की क्या जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि वह आधार से निजता के मौलिक अधिकार का हनन होने और अन्य विभिन्न मुद्दों पर अपना जवाब दें क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने निजता, गुमनामी, गरिमा, निगरानी, संग्रह, संभावित अपराधिता, असंवैधानिक शर्तें, कानून का अभाव आैर सुरक्षा के मुद्दे उठाए हैं। इसके साथ ही आधार परियोजना को लेकर चल रहा मामला काफी विस्तार पा चुका है। यद्यपि सरकार का तर्क है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) के दो पहलू हैं।

पहला भोजन के अधिकार आैर शिक्षा के अधिकार जैसे अधिकारों के बारे में है, जबकि दूसरा विवेक की आजादी और निजता के अधिकार के बारे में है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि किस पहलू को प्राथमिकता मिलेगी और साथ ही कहा कि विवेक और निजता के अधिकार पर जीने के अधिकार को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। यद्यपि कुछ गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा निजता के जिस अधिकार की वकालत की जा रही है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण समाज के निचले तबके का गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।

खैर, बहस काफी गंभीर हो चुकी है। इसी बीच सरकार ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को आधार योजना को लेकर किसी भी प्रकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए न्यायालय में पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन की अनुमति दी जाए। देखना होगा कि सरकार और विशिष्ट पहचान प्राधिकरण सर्वोच्च न्यायालय को कैसे संतुष्ट करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है देश के लोगों की आशंकाओं को दूर करना और उन्हें संतुष्ट करना। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि आधार एक ऐसी इमारत के भीतर सुरक्षित है, जिसकी दीवार 13 फीट मोटी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तीखे सवाल किए जिनमें एक यह भी है कि आखिर क्यों पेंशन के लिए आधार काे अनिवार्य किया गया है। यह सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी नहीं बल्कि लोगों का अधिकार है। आखिरकार क्या वजह है कि लोगों काे पेंशन के लिए आधार से लिंक कराया जा रहा है। पेंशन उन सभी का अधिकार है जिन्होंने सरकार को अपनी सेवाएं दी हैं। कई पेंशनर विदेश में रहते हैं, क्या आधार न होने के कारण उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी? सरकार ने इस मुद्दे पर भी अपने तर्क दिए कि आधार से व्यक्ति की पहचान पुख्ता होगी और फर्जी लोगों की पेंशन बन्द होगी।

 यद्यपि कुछ वेबसाइटों पर लोगों के आधार डिटेल के लीक होने की खबरों का यूआईडीएआई ने खंडन किया है लेकिन लोग मानते हैं कि उन्हें गुमराह किया जा रहा है। लोग मान बैठे हैं कि उनकी प्राइवेसी में सेंध लग रही है और उनके सामने ऑनलाइन फ्रॉड आैर फिशिंग का खतरा पैदा हो गया है। यह सही है कि आधार पहचान का एक पत्र है आैर जब यह मांगा जाए तो पेश किया जाए लेकिन पहचान के बारे में बताना आैर किसी संगठन, कम्पनी या ऐसे किसी दूसरे निकाय की ओर से इनका खुलासा कर देना अलग बात है।

सोशल साइट फेसबुक के डेटा चोरी के मामले ने लोगों के चिन्तन को बहुत गम्भीर बना दिया है और फेसबुक के सीईओ और संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कई कदम उठाने की बात कही है। यूजर्स इतने आतंकित हो चुके हैं कि दो दिन पहले से ही अपने फेसबुक अकाउंट डिलीट करने में लगे हुए हैं। प्रौद्योगिकी उत्कर्ष तब तक ही अच्छा लगता है जब तक वह इन्सान के नियंत्रण में रहे, जब कोई भी प्रौद्योगिकी इन्सान के नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो उसका अंत होने लगता है। तकनीकी उत्कर्ष के चलते जो भी हो रहा है वह अनैतिक व्यवहार, भावनाओं से खिलवाड़ और आंकड़ों के बेजा इस्तेमाल की कहानी है। अन्तिम सवाल यही है कि केन्द्र सरकार को आधार योजना से जुड़े मुद्दों का समाधान करना होगा और देश की जनता को संतुष्ट करना होगा।

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