कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत में 23 मार्च से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें स्थगित है। इसके अलावा भारत का दूसरे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यवस्था भी स्थगति है। यह बात तय है कि कोरोना के चलते न तो जीवन ठहरेगा और न ही दुनिया लम्बे अर्से तक रुकेगी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, व्यापारिक गतिविधियों को लम्बे अर्से तक ठप्प नहीं किया जा सकता । नागरिक उड्डयन मंत्रालय अब अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को फिर से संचालित करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिये द्विपक्षीय अस्थाई व्यवस्था स्थागित करने की खातिर आस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर सहित 13 देशों के साथ बातचीत कर रहा है। इस तरह की व्यवस्था के तहत दोनों देशों की विमान कंपनियां कुछ प्रतिबंधों के साथ अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें संचालित कर सकती हैं। पड़ोसी देशों बंगलादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान के साथ भी ऐसी व्यवस्था के लिये प्रस्ताव किये गये हैं। जुलाई माह में भारत ने अमेरीका, फ्रांस, जर्मनी, यूएई, कतर और मालदीव के साथ ऐसे समझौते किये है।
लॉकडाउन के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विदेशों में फंसे नागरिकों को निकालने के लिये हर संभव कोशिश की और वंदे भारत अभियान के तहत विदेशों से भारतीयों को वापिस लाया गया। वंदे भारत अभियान 7 मई से शुरू किया गया था। 30 जुलाई तक 8.78 लाख से अधिक भारतीय स्वदेश लौट चुके हैं। वंदे भारत अभियान का पांचवां चरण एक अगस्त से शुरू हो गया था। पांचवें चरण में 23 देशों से भारतीयों को लाने के लिये 792 उड़ाने संचालित की जा रही हैं, जिमसे 692 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें और सौ घरेलू उड़ाने हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ा मिशन है। एयर इंडिया तो मई महीने से ही चार्टर अंतर्राष्ट्रीय उड़ानंे संचालित कर रहा है। इस मिशन के तहत कुछ निजी कंपनियों ने भी उड़ान भरी है। शुरू-शुरू में ऐसी शिकायते सामने आई थी कि जो लोग ट्रैवल एजैंटों के माध्यम से तय किराये से कहीं ज्यादा धनराशि वसूल रहे हैं लेकिन बाद में मंत्रालय ने ठोस कदम उठाये और मुसीबत में फंसे लोगों को इस बारे में जागरूक किया गया कि वो एयर इंडिया की वेबसाइट पर लिखे किराये से ज्यादा राशि का भुगतान न करें।
बहुत पहले की बात नहीं है जब इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने घोषणा की थी कि 2037 तक हवाई यात्रियों की संख्या 8.2 बिलियन तक पहुंच जायेगी और दुनिया भर में विमान उद्योग यात्रियों की संख्या में होने वाली इस वृद्धि के लिये तैयारियां कर रहा है लेकिन कोरोना वायरस ने ऐसा नोचा कि विमान कंपनियों के पंख ही कतर डाले। एसोसिएशन के मुताबिक हवाई यात्रा में 98 फीसदी तक की कमी आई है और अनुमान लगाया कि दुनिया भर की एयर लाईंस कंपनियों को इस वर्ष 84 बिलियन डालर का नुकसान होगा। यह भी अनुमान है कि प्रति यात्री राजस्व में भी 2019 की तुलना में इस वर्ष 48 फीसदी की गिरावट आयेगी। भारतीय विमान कंपनियों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय विमान उद्योग को 24 हजार से 25 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ेगा। एयरलाईंस को 17 हजार करोड़, हवाई अड्डे के रिटेलर्स को 1700 से 1800 करोड़ और हवाई अड्डा आप्रेटर्स को करीब 5500 करोड़ का नुकसान होगा।
अब जबकि घरेलू उड़ानें शुरू हो चुकी हैं और लोगों को बेसब्री से इंतजार है कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें जल्द से जल्द शुरु हों। लोग केवल उड़ान के दौरान सुरक्षा को लेकर आश्वत होना चाहते हैंै। विमान कंपनियों भी चाहती है कि जबतक कोरोना काबू में न आ जाये तब तक सुरक्षा के सभी उपायों के साथ उड़ाने संचालित की जानी चाहिये। उड़ानों को लेकर कई तरह की समस्यायें भी हैं। हांगकांग ने एयर इंडिया की उड़ान भरने पर दो सप्ताह का प्रतिबंध लगा दिया है। एयर इंडिया की दिल्ली-हांगकांग उड़ान से 11 लोग कोरोना संक्रमति पाये गये। वैसे तो बिना लक्षण के ही कोरोना केस सामने आ रहे हैंै लेकिन हवाई अड्डों पर ऐसी पुख्ता जांच की व्यवस्था होनी चाहिये कि कोरोना मरीजों की पहचान हो सके।
तमाम देश अब लॉकडाउन खोल रहे हैं। हवाई अड्डों पर खड़े विमान उड़ान भरने की इजाजत का इंतजार कर रहे हैंै। धीरे-धीरे विमान उद्योग भी गतिमान होगा। दक्षिण अफ्रीका ने पर्यटन उद्योग को पर्यटकों के लिये खोल दिया है। ब्रिटेन ने 50 देशों के साथ विमान सेवाये शुरु कर दी हैं। रूसी वैक्सीन आ जाने से इस बात की उम्मीद बंधी है कि अन्य देश भी कोरोना की कारगर दवा ईजाद कर लेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिये विमान कंपनियों को कुछ सीटें खाली भी छोड़नी पड़ सकती हैं। यात्रियों को मास्क और फेस शील्ड का प्रचलन तो पहले ही शुरू हो चुका है।
उम्मीद है कि भारतीय एयरलाइंस को फिर से जल्द पंख लगेंगे और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के साथ ही द्विपक्षीय व्यवस्था भी स्थागित हो जायेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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