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अजय बंगा : भारत का गौरव

पूरी दुनिया में आजकल भारतीय और भारतीय मूल के प्रवासियों का डंका बज रहा है।

पूरी दुनिया में आजकल भारतीय और भारतीय मूल के प्रवासियों का डंका बज रहा है। अमेरिका हो या ब्रिटेन, कनाडा हो या मॉरिशस इन के अलावा भी कई देशों में प्रवासी भारतीय अहम पदों को संभाले हुए हैं। ​ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी भारतीय मूल के हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन में लगभग 130 से ज्यादा भारतीय अमेरिकी अहम पदों पर हैं। अमेरिकी आबादी में भारतीय मूल के समुदाय की ​हिस्सेदारी लगभग एक प्र​तिशत है लेकिन प्रशासन में उसे अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व मिला हुआ है। भारतीयों की यह विशेषता रही है कि वे जहां भी गये हैं वहां के संविधान और संस्कृति को आत्मसात कर उन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिस देश में भी भारतीय प्रशासन का हिस्सा बने हैं उन्हें इस बात का गर्व है कि वह विविधता बनाए रखने के साथ-साथ ऐसे नेताओं के साथ सरकार बनाने के लिए प्रति​बद्ध हैं जो एक समान सोचते हैं और उस देश की भावना को प्रदर्शित करते हैं। आज दुनिया की टैक कम्पनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं। भारतीय मूल के लोग सांसद भी हैं, महापौर भी हैं और बड़ी कम्पनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी और मास्टर कार्ड के पूर्व चीफ अजय बंगा को वर्ल्ड  बैंक के चीफ के पद के लिए  मनोनीत किया है। तीन दशक पहले तक अजय बंगा कोलकाता के नेस्ले  के ब्रांच मैनेजर हुआ करते थे। उनका सफर हर भारतीय के लिए प्रेरणादायक है। जो बाइडेन ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है जब अमेरिका वर्ल्ड बैंक पर जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में कदम उठाने का दबाव डाल रहा है। अमेरिका वर्ल्ड बैंक का सबसे बड़ा शेयर होल्डर है इसलिए यह माना जाता है कि अजय बंगा ही वर्ल्ड बैंक के चीफ बनेंगे। 
अजय बंगा की पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से भारत में ही हुई। यहीं से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद वे यूएस गए और वहां जाकर अपनी काबिलियत का लाेहा मनवाया। उनका जन्म 10 नवंबर 1959 को पुणे में हुआ था। उनकी स्कूलिंग जालंधर और शिमला से हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किया। 1981 में उन्होंने अपना करियर नेस्ले इंडिया में बताैर मैनेजमेंट ट्रेनी शुरू किया और 13 साल में मैनेजर की पोजिशन तक का सफर तय कर लिया। इसके बाद वे पेप्सिको के रेस्टोरेंट डिविजन का हिस्सा बने। केएफसी और पिज्जा हट को भारत में लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1996 में वह सिटी ग्रुप के मार्केटिंग प्रमुख बने। साल 2000 में सिटी फाइनेंशियल के हेड नियुक्त किए गए। 2009 में वे मास्टर कार्ड के सीईओ बने। 
2012 में मशहूर पत्रिका फार्च्यून ने उन्हें शक्तिशाली उद्योगपति के तौर पर चुना था। बिजनैस के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 2016 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। अजय बंगा की कुल सम्पत्ति 143 मिलियन डालर है। अमेरिका चाहता है कि वर्ल्ड बैंक सही एजेंडा चुने और अच्छे कामों पर जोर डाले। अजय बंगा को ऐसा व्यक्तित्व करार दिया जा रहा है जिनमें जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए विशेष योग्यता है। जलवायु समस्या को सुलझाने की दिशा में सरकारी कम्पनियों और गैर लाभकारी संगठनों के बीच भागीदारी कायम करने के मामले में अजय बंगा को अच्छा खासा अनुभव है। अजय बंगा प्राइवेट इक्यूटी फर्म जनरल एटलांटिक के वाइस चेयरमैन हैं और वह 3.5 अरब डालर के क्लाइमेंट चेंज फंड के एडवाइजरी बोर्ड में भी हैं। ऐसा नहीं ​है कि अजय बंगा अगर वर्ल्ड बैंक के प्रमुख बनते हैं तो उनके सामने रास्ता आसान होगा। वर्ल्ड बैंक का मुख्य कार्य विकास परियोजनाओं  और उससे जुड़े कामों को बढ़ाना है। इन ​दिनों काेरोना महामारी से जूझने के बाद कई देशों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। कई देश कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं।
वर्ल्ड बैंक के प्रमुख के तौर पर अजय बंगा के सामने कम आय वाले देशों की वित्तीय जरूरतों को संतुलित करने की भारी भरकम चुनौती होगी। बिना अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों के वे चुनौतियों से कैसे निपटते हैं यह देखना अभी बाकी होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजय बंगा को अमेरिका सरकार के साथ काम करने का काफी अनुभव है। उनके पास सही नेतृत्व और प्रबंधन कौशल है। उभरते बाजारों  में रहने और काम करने का अनुभव है और वर्ल्ड बैंक का नेतृत्व करने के लिए विशेषज्ञता है। बंगा ने सफल वैश्विक कम्पनियों को बनाकर सफलतापूर्वक चलाया है जिससे विकासशील देशों में निवेश और रोजगार का सृजन हुआ है। अजय बंगा का इस पद पर पहुंचना एक ऐसे भारतीय की यात्रा है जिसने अपनी योग्यता के बल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। पिछले कुछ वर्षों से भारत-अमेरिका के संबंध भी काफी मजबूत हुए हैं। उनमें प्रवासी भारतीयों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। विदेशों में रहने के बावजूद प्रवासी भारतीय अपने देश की माटी की सौगंध को नहीं भूले हैं। वे आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। अजय बंगा को पंजाब की संस्कृति से अत्यंत लगाव है। वर्ल्ड बैंक के प्रमुख पद पर पहुंचने से हर भारतीय को गर्व महसूस हो रहा है। अजय बंगा का परिवार डिफेंस कालोनी दिल्ली में रहता है इसलिए दिल्ली वालों को उनके दौरे का इंतजार रहेगा। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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