देश की बेटियों को एक बार फिर से सलाम! हमारे यूथ काे सलाम जो देश का नाम रोशन करने के लिए 10वीं और 12वीं परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में एक बार फिर देश की बेटियों ने बाजी मारते हुए 92 प्रतिशत लड़कियां पास हुईं और वहीं लड़कों का आंकड़ा 86.19 रहा। अर्थात् 12वीं में बेटियों ने बेटों की तुलना में 5.96 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया। इसी तरह 10वीं में लड़कियों का पास प्रतिशत 94 प्रतिशत से ज्यादा रहा और लड़कों का लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा रहा। सबसे खुशी की बात यह है कि 12वीं कक्षा में सरकारी स्कूलों का रिजल्ट 98 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। यह एक बहुत अच्छी बात है। वहीं प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट 92 प्रतिशत रहा। इसलिए लड़कियों अर्थात् बेटियों को बहुत-बहुत बधाई। वहीं लड़के अपने आपको कम न समझें, उन्हें भी बधाई। सबसे बड़ी बात है कि दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगों ने हमारे छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं प्रभावित कीं और इसी दौरान कोरोना ने ऐसा परेशान किया कि हमारे स्टूडेंट्स बुरी तरह प्रभावित हुए, लेकिन इसके बावजूद बच्चों ने भारी तनाव के बावजूद जब स्कूल कोरोना बीमारी की वजह से बंद हो रखे हों, तब भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखा, यह जरूरी भी है।
सच बात यह है कि बच्चे तनाव में हैं, टीचर तनाव में हैं, पेरेंट्स तनाव में हैं, परन्तु हमारे पास मजबूत इच्छा शक्ति ही आखिरी विकल्प है और यूथ ने एक नई चीज इस कोरोना महामारी के चलते सीख ली है। सच बात तो यह है कि इस कोरोना बीमारी ने हमें भी बहुत कुछ सीखा दिया। अगर बच्चे स्कूल बंद होने पर आनलाइन सिस्टम से क्लासें लेकर पढ़ना सीख गए तो हम भी वर्चुवल मीटिंग से सब कुछ सीख गए। यह समय की मांग है। पीएम मोदी जी ने सही कहा था कि हमने इस महामारी में हालात को अवसर में बदल लिया है। एक व्यक्ति की असली परीक्षा मुसीबत के वक्त ही होती है और कोरोना महामारी हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। सचमुच चुनौती में जो सम्भल गया सो सम्भल गया। मैं तो यही कहूंगी कि हमारा यूथ, चाहे वे 10वीं-12वीं के छात्र-छात्राएं हों या कालेज स्टूडेंट्स या पीएचडी स्टूडेंट्स, आनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहा है। समय की मांग यही थी और ऐसे समय में तनाव आ सकता है लेकिन हर किसी ने धैर्य बनाए रखा और अपना काम करते हुए कोरोना को चुनौती दी, उसके लिए हर किसी को बधाई।
हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब ने महामारी के हालात को अवसर में बदल दिया। जिनके बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर डब्ल्यूएचओ तक सबने चेतावनी जारी कर रखी है कि बुजुर्ग को कोरोना महामारी के चलते घरों में सम्भाल कर रखो लेकिन हमारे बुजुर्गों ने अकेलेपन से दूर रहकर अवसाद से दूर रहकर व्यस्त रखा है।
हमने उनके लिए आनलाइन प्रतियोगिता शुरू की है कि आप अपने पसंद के गीत पर रैम्प वॉक या डांस करते हुए एक मिनट का वीडियो भेजो। आप मानोगे कि इतना टेलेंट उभर कर सामने आ रहा है, उनकी हसरतें पूरी हो रही हैं। बच्चे इनका वीडियो बनाकर भेज रहे हैं। परिवार इस मुश्किल के समय में एकजुट होकर इंज्वाय कर रहे हैं। सबसे मजेदार बात है इसमें भी यंग लड़कियां, जिनकी उम्र महज 60 साल से लेकर 90 साल है, सबसे आगे हैं। यानी हर क्षेत्र में बेटियां कमाल कर रही हैं। सबके सब अपने टेलेंट का हुनर दिखा रहे हैं और हमारे टेलेंटिड जज इनके द्वारा वीडियो को देखेंगे-परखेंगे और फिर इन्हें विजेता घोषित करेंगे लेकिन यह महज टाइम पास और खुश रहने की मुहिम बड़ी हिट हो चुकी है। हमारे जजों में जसबीर सिंह जस्सी, हंसराज हंस और शंकर साहनी जैसी हस्तियां शामिल हैं।
इनके अलावा अनेक और बड़ी हस्तियां जुड़ी हुई हैं। फिर भी हमारे टैलेंटिड सीनियर सिटीजन कल स्टार बनें या ब्रेंड अम्बेसडर बनें इत्यादि को लेकर वीडियो बना रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि कोरोना के चलते अपने आप को व्यस्त रखना एक बड़ी बात है। यह चीज हमें हमारे यूथ ने सिखाई है या यूथ से हम यह सब सीख रहे हैं, तो अच्छी बात है। सीखने सिखाने का यह सिलसिला चलता रहना चाहिए। इसीलिए सीनियर सिटीजन का उदाहरण देकर हम सब ने चाहे वह यूथ हो या उम्र में और बड़ा हो, कुछ करने की इच्छा शक्ति जाग जाती है। घर पर रहकर भी हमारे स्टूडेंट्स ने शानदार परिणाम दिए हैं। बेटियां आगे निकल गईं और हमारे सीनियर सिटीजन में भी अर्थात बुजुर्गों में महिलाएं आगे हैं अर्थात् लेडी फर्स्ट। यह उनकी इच्छा शक्ति का कमाल है लेकिन कोरोना से लड़ाई में जहां देश की नर्स बेटियां और डाक्टर बेटे-बेटियां सभी डटे हुए हैं, पुलिस विभाग डटा हुआ है, प्रेस के लोग डटे हुए हैं। सब संस्थाएं अपने तरीके से सेवा कर रही हैं। सिख समुदाय ने सबको गले लगा लिया है और सेवा में जुटे हैं। चौपाल भी कहीं कम नहीं। ये सब कोरोना योद्धा हैं और हमारे यूथ इन्हें प्रेरणा दे रहे हैं या इनसे प्रेरणा ले रहे हैं, यह कह नहीं सकते लेकिन प्रेरणा मिल रही है यह अच्छी बात है। इसी के दम पर हम चल रहे हैं और चलते रहेंगे।