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अंजलि का ‘सड़क’ उत्सर्ग

देश की राजधानी दिल्ली के कितने चेहरे हैं? यह सवाल अक्सर देश के लोगों को कचोटता रहता है।

देश की राजधानी दिल्ली के कितने चेहरे हैं? यह सवाल अक्सर देश के लोगों को कचोटता रहता है। दिल्ली को देश का ‘दिल’ मानने वाले लोग इसके उस भव्य व वैभवशाली स्वरूप को मन में बसाये रखना चाहते हैं जिसे देखकर विदेशी सैलानी भी इसके गौरवशाली इतिहास पर रश्क करने लगते हैं। वहीं भारत के लोगों के लिए यह ऐसा सपनों का नगर है जिसमें बसने के बाद वे अपने जीवन को सुख व सुविधा सम्पन्न बनाने में सफल रहते हैं। लेकिन भारत के गांवों के लिए दिल्ली ऐसा नगर है जो उन्हें रोजगार के साधन भी सुलभ कराता है और जैसे-तैसे उनकी तंगी का सहारा बन जाता है। यह शहर भारत के लगातार भौतिक विकास करने का एेसा आइना भी माना जाता है जिसमें स्त्री-पुरुष का भेद कम से कमतर होकर उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें पेट भरने के साधन भी सुलभ कराता है। मगर इसका एक चेहरा ऐसा भी जिसे भौतिक विकास ने पूरी तरह रूखा कर दिया है और मानवीयता को कहीं किनारे फैंक कर केवल निजी सुख तक सीमित कर दिया है। इस चेहरे में सामाजिक मानवीय रिश्ते तार-तार हो चुके हैं और उस दरिन्दगी की हदों को भी पार कर गये हैं जिसे शैतानियत कहते हैं। एेसी ही शैतानियत का नग्न नृत्य दिल्ली के कंझावला क्षेत्र की सड़कों पर नववर्ष 2023 की पहली भोर फटने से पहले तब देखने को मिला जब 20 वर्ष की युवती अंजलि को अपनी कार के नीचे 13 कि.मी. तक पांच युवक घसीटते हुए ले गये जिसमें उसकी मृत्यु हो गई।
 सवाल यह नहीं है कि ये पांचों युवक शराब के नशे में धुत्त थे और अपनी कार के बन्द शीशों के भीतर तेज आवाज में संगीत का मजा ले रहे थे ? बल्कि सवाल यह है कि जब उनकी कार ने अंजलि की स्कूटी को टक्कर मारी और उस पर सवार दो लड़कियां नीचे गिरीं तो पांचों युवकों में से किसी एक ने भी इस घटना का संज्ञान नहीं लिया और वे बेफिक्र होकर अपनी कार चलाते रहे। स्कूटी पर सवार अंजलि की मित्र उठकर अपने घर चली गई और उसके सामने ही उसकी मित्र अंजलि कार के नीचे एक्सल में फंसकर घिसटती हुई चलती रही। पुलिस की तफतीश के बाद मजिस्ट्रेट के सामने दिये गये बयान में अंजलि की मित्र ने कहा है कि वह इस घटना से बहुत डर गई थी। अतः उसने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी और वह अपने घर चली गई। 
यह भी मानवीय संवेदना के जड़वत होने का प्रमाण है। मगर सबसे हृदय विदारक वह दृश्य है जब अंजलि लगातार 13 कि.मी. तक कार के नीचे घिसटती रही और नये वर्ष पर पुलिस का किया गया चुस्त बन्दोबस्त पूरे रास्ते मुंह ताकता रहा और मार्ग में खड़े किसी पुलिस वाहन ने इसका संज्ञान नहीं लिया। बल्कि उल्टा यह हुआ कि जब मार्ग में दूध की डेयरी चलाने वाले एक जिम्मेदार नागरिक की नजर उस कातिल कार पर पड़ी तो उसने पुलिस पीसीआर को सूचित किया। जब उसके फोन करने के बाद भी पुलिस नहीं आयी तो उसने कार का पीछा किया और मार्ग में पड़े पुलिस पोस्ट को भी इसकी जानकारी दी। दीपक ने कम से 22 बार पुलिस को सूचित किया तब जाकर डेढ़ घंटे के बाद पुलिस ने कातिलों को सवारी देती कार को पकड़ा। शुरूआत में पुलिस ने इसे सड़क दुर्घटना का रूप दिया मगर बाद में जब घटना से पर्दा उठने लगा तो अपना रुख बदला और संगीन दफाओं में मुकदमा दर्ज किया व पांचों युवकों को गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे किया। 
अंजलि के परिवार वालों का कहना था कि उनकी पुत्री के शरीर पर एक कपड़ा भी नहीं बचा था जिसकी वजह से उसके साथ यौन उत्पीड़न भी हुआ लगता है। मगर अब अंजलि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। इससे साफ है कि पांचों युवकों ने इरादत्तन हत्या की मंशा से अंजलि का शव 13 कि.मी. तक घसीटा। इंसानियत को राजधानी की सड़कों पर शर्मसार करने वाले इन पांचों युवकों के साथ कानून किस तरह निपटेगा इसका पता तो पुलिस तफतीश पूरी हो जाने और सम्बन्धित धाराओं में मुकदमा चलने पर ही चलेगा मगर इतना तय है कि इन पांचों युवकों ने भारत की उस तस्वीर पर कालिख फेर दी है जिसमें मानव धर्म को सभी धर्मों से ऊपर माना जाता है। अतः इन पांचों युवकों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि आने वाली पीढि़यों को याद रहे कि भारत में मानवीयता की हत्या करने वाले लोग मनुष्य कहलाने का अधिकार खो देते हैं। 
20 वर्ष की अंजलि अपने पांच सदस्यीय परिवार की अकेली कमाने वाली युवती थी । लगभग आठ वर्ष पहले उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी और उसकी मां गंभीर रूप से बीमार है जबकि उसके छोटे भाई-बहन उसी की आय पर निर्भर थे। एक गरीब परिवार की यह कन्या छोटी उम्र में ही अपना घर चलाने के लिए जो शादी-ब्याह आदि समारोहों में स्वागत कर्मी का काम करती थी उसे लेकर उसकी चरित्र हत्या का प्रयास भी नहीं  किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करके केवल कातिलों के प्रति नरमी बरतने का प्रयास ही कहलायेगा। पकड़े गये पांचों युवक चाहे जितने भी रसूखदार क्यों न हों और चाहे किसी धनवान की औलाद ही क्यों न हों, उनमें से किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए और कानून का झंडा ऊंचा लहराते हुए दिखना चाहिए। जहां तक इस मुद्दे पर राजनीति करने का सवाल है तो राजनीतिक दलों को बजाये एक-दूसरे पर आरोप लगाने के अंजलि के परिवार की परवाह करनी चाहिए और आर्थिक व सामाजिक रूप से इसकी मदद की जानी चाहिए। गृहमन्त्री अमित शाह का इस घटना का संज्ञान लेना बताता है कि मामला किस कदर संगीन है। यह दिल्ली की कानून व्यवस्था और अपराध नियन्त्रण प्रणाली पर गंभीर टिप्पणी भी है। अतः दिल्ली पुलिस को चौंकना नहीं चाहिए। 

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