लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

अनुराग, वर्मा का ​द्वेष राग

दिल्ली विधानसभा चुनावों में जो इस बार हो रहा है उसे देखकर तो लगता ही नहीं कि यह हमारा भारत है और यह दिल्ली भी दिल वालों की नहीं है।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में जो इस बार हो रहा है उसे देखकर तो लगता ही नहीं कि यह हमारा भारत है और यह दिल्ली भी दिल वालों की नहीं है। यह न तो महात्मा गांधी का भारत दिखाई देता और न ही मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का भारत है और न ही पटेल का भारत है। जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे सुनकर तो बरबस ही मुंह से निकल पड़ता है कि चुनाव प्रचार का स्तर कितना गिर चुका है, न भाषा की शालीनता रही और न ही लोकतंत्र की कोई मर्यादा बची। वाणी से निकले शब्दों को हिंसा के हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। 
केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर एक जनसभा में कह रहे हैं-देश के गद्दारों को गोली…! भाजपा के सांसद प्रवेश कह रहे हैं कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्ली वालों के घरों में घुस जाएंगे और बहनों का रेप करेंगे…! प्रवेश वर्मा यह भी कह रहे हैं कि दिल्ली में भाजपा सत्ता में आई तो उनके निर्वाचन क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर बनी एक भी मस्जिद नहीं रहने देंगे। 
पश्चिमी बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष कह रहे हैं कि शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोग ठंड में क्यों नहीं मरते। भाजपा के एक पदाधिकारी तो शाहीन बाग में बैठे लोगों को गद्दार करार दे रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने इन सबका संज्ञान लेकर कार्रवाई कर दी है। 
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के पास महत्वपूर्ण मंत्रालय है, उन्हें तो अर्थव्यवस्था, विकास, रोजगार और दिल्ली को लेकर विजिन होना चाहिए लेकिन उन्होंने अनर्गल भाषा का इस्तेमाल कर चुनावों को हिन्दू बनाम मुस्लिम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रवेश वर्मा ने भी ऐसा ही किया। इससे पहले कपिल मिश्रा ने भी विवादित बोल बोले थे। दिल्ली ​विधानसभा चुनावों में इससे पहले कभी इतनी कटुता नहीं देखी गई। 
विभाजन की त्रासदी यह थी कि पाकिस्तान बन गया और देश लहूलुहान हुआ। भारत धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों आैर गंगा-जमुनी तहजीब से बंधा हुआ था। मुस्लिमों ने गांधी जी के भारत में रहने का फैसला किया लेकिन आजादी के 73 वर्ष बाद भी अगर हम हिन्दू-मुस्लिम के शोर में डूबे हैं तो यह दुर्भाग्य की बात है। 
दिल्ली विधानसभा चुनावों के मुद्दे तो पर्यावरण, स्वच्छता, राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाना, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि होने चाहिएं। यद्यपि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुद्दों को लेकर चल रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा विधानसभा चुनावों का विमर्श बदलने की कोशिश कर रही है। बौद्धिक वर्ग और उदारवादी हिन्दू भाजपा नेताओं की बयानबाजी की भले ही आलोचना करें लेकिन इसके पीछे भाजपा का एक ही मकसद है, वह है शाहीन बाग के विरोध-प्रदर्शन का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए करना। 
भाजपा आक्रामक प्रचार कर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना चाहती है। ऐसा लगता है कि भाजपा स्वयं नहीं चाहती कि शाहीन बाग का विरोध-प्रदर्शन खत्म हो, अगर ऐसा नहीं होता तो इस प्रदर्शन काेे समाप्त करने के प्रयास किए जाते। ऐसा नहीं है कि शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन पर अन्य राजनीतिक दलों ने सियासत नहीं की लेकिन भाजपा इसे वोटों में तब्दील करने के लिए आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। 
अनुराग ठाकुर हों या प्रवेश वर्मा या फिर अन्य भाजपा नेता, वह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं। अगर नागरिकता संशोधन विधेयक, एनआरसी और एनपीआर को लेकर असहमति के स्वर उठ रहे हैं तो जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि वे उन लोगों के बीच जाएं, उनसे बातचीत करें और भ्रम दूर करें। यहां तो उलटा ही हो रहा है, सब गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे हैं। असहमति के स्वर उठने का मतलब यह नहीं कि किसी पूरी कौम को गद्दार करार दे दिया जाए। 
राजनीतिज्ञों को राजधर्म का पालन करना होता है, लेकिन यहां तो राजनीतिज्ञ ही जनता को असुरक्षित महसूस करवा रहे हैं। कल ही लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव जी से मेरी मुलाकात हुई तो बातचीत के दौरान इस बात पर क्षोभ व्यक्त ​किया कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन नहीं कर रहे बल्कि नफरत और विद्वेष की सियासत कर रहे हैं, इससे तो समाज में इतनी बड़ी खाई पैदा हो जाएगी जिसे पाटने में बहुत समय लग सकता है। 
जामिया मिलिया के सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान एक शख्स द्वारा गोली चलाए जाने की दुखद घटना दिल्ली के ​जहरीले हो चुके वातावरण की ओर इशारा करती है। शब्द हिंसा का परिणाम यही होता है। सारा माहौल देखकर तो ऐसा लगता है कि दिल्ली के आंगन में मध्य युग की बर्बरता उतर आई है। दिल्ली ही क्यों नागरिकता कानून को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं, क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों को देशद्रोही करार दिया जा सकता है? ऐसा नहीं हो सकता तो फिर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को प्रदर्शनकारियों को देशद्रोही, गद्दार, पाकिस्तान के एजैंट कहने का हक किसने दिया। दिल्ली वालों को भविष्य का रास्ता चुनना है, वह है शांति और विकास का रास्ता। वह किसे चुनती है, यह अधिकार भी उसी के पास है। लोकतंत्र में जनता ही असली मालिक है, इसलिए फैसला भी वही करेगी।
-आदित्य नारायण चोपड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

7 + ten =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।