लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

क्षमापना राष्ट्रीय दिवस हो…

मैं सभी धर्मों को मानती हूं और सब में विश्वास रखती हूं, क्योंकि सभी धर्मों में बहुत ही अच्छा करने का ज्ञान है, आस्था है, विश्वास है। मैं ब्राह्मण परिवार (सनातन धर्मी) से क्षत्रिय परिवार (आर्यसमाजी) में ब्याही गई।

मैं सभी धर्मों को मानती हूं और सब में विश्वास रखती हूं, क्योंकि सभी धर्मों में बहुत ही अच्छा करने का ज्ञान है, आस्था है, विश्वास है। मैं ब्राह्मण परिवार (सनातन धर्मी) से क्षत्रिय परिवार (आर्यसमाजी) में ब्याही गई। मेरी मां ने गुरुद्वारों में चालीया सुख कर रोज गुरुद्वारे मथा टेककर भाई की प्राप्ति की, जिसे पांच साल सिख बनाया गया तो सारे परिवार की आस्था गुरुद्वारे में और मैं बंगला साहिब गुरुद्वारे में बहुत विश्वास रखती हूं, सिख धर्म को मानती हूं, ब्रह्मकुमारियों को भी मानती हूं, जो एक मिसाल है स्त्रियों द्वारा चलाई गई संस्था जो आत्मा और परमात्मा में विश्वास करती है और जीवन की पद्धति के लिए जैन धर्म पर बहुत विश्वास और आस्था रखती हूं। बहुत से जैन मुनियों का आशीर्वाद मुझे प्राप्त है। कड़वे वचन तरुण सागर जी, आचार्य श्री शिवमुनि जी, संघ संचालक श्री नरेश मुनि, तैरापंथ जैनाचार्य श्री महाश्रमण जी महाराज, दिगम्बर जैन आचार्य श्री  विद्या सागर जी महाराज, श्वेताम्बर जैन आचार्य पद्मभूषण श्री रतन सुन्दर सूरीश्वर जी महाराज श्वेताम्बर जैन, नित्यानंद जी महाराज, मुनि भद्रमुनि जी, ​पियूष मुनि जी, लोकेश मुनि जी राष्ट्र संतों के अलावा अनेक सा​ध्वियां सरिता जी महाराज, रश्मी जी महाराज अनेक मौकों पर इनसे चर्चा भी हुई।
चाहे श्वेताम्बर समाज हो या दिगम्बर समाज, है तो सभी जैन धर्म के सदस्य ही। जैन समाज का शिक्षाएं एवं संस्कार मानव जीवन के लिए कल्याणकारी हैं। जैन मुनियों ने भारत का प्रतिनिधित्व शांति स्थापना, भाईचारे एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए किया है और दुनिया भर को अहिंसा का संदेश दिया है। भगवान महावीर जी के संदेश ‘जियो और जीने दो’ को  दुनिया ने आत्मसात किया है। भारतीय स्वतंत्रता की जंग में अहिंसा को आधार मान कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी वह जैन समाज से ही प्रेरित रही मानी जा सकती है।
अभी जैन समाज का पर्यूषण पर्व चल रहे हैं। आत्मशुद्धि के लिए जैन समुदाय के लोग उपवास और तप करते हैं। इतना ही नहीं मानव जीवन में अनेक गलतियां एवं पाप करता है जो चाहे और अनचाहे हो सकती हैं, परन्तु जैन समाज का यह गुण स्वीकार्य एवं सम्मान योग्य है कि वे बीते हुए वक्त में अपनी गलतियों या भूलों के लिए क्षमा याचना करते हैं, जिसे क्षमा याचना पर्व कहा जाता है। मैं समझती हूं कि जैन समाज संस्कार निर्माण में भगवान महावीर जी के आदर्शों को सही मायनों में देश और दुनिया में स्थापित कर रहा है।
यह सच है कि जैन समाज में आज स्थानकवासी, तैरापंथ, दिगंबर जैन और श्वेतांबर जैन शामिल हैं। सबके अपने-अपने महान मुनि, संतजन और साध्वियां हैं जो उनका मार्गदर्शन करते हैं। जैन धर्म की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि समाज का नेतृत्व करने वाले जैन साधु-संत और साध्वियां खुद कठिन आचरण, तप और उपवास करते हुए लोगों एवं समाज का जीवन सुखमय और शांतिपूर्वक बनाने के लिए भगवान महावीर से प्रार्थना करते हैं। सबसे अहम बात अहिंसा की है। प्रकृति से प्रेम करना जैन धर्म का अहिंसा के प्रति प्रोत्साहन ही है। सच बात तो यह है कि आज की दुनिया में जिस शांति की बात की जा रही है उसका रास्ता जिन जैन मुनियों के आह्वान से होकर गुजरता है वह अहिंसा ही है। खुद पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक ने अनेक मौकों पर अहिंसा परमो धर्म कहकर जैन समाज का उदाहरण दिया है। 
मैं इसी निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि अपनी भूलों को लेकर पश्चाताप करना और जिसने गलत या बुरा किया है उसे क्षमा करना और अपनी गलती और भूल को स्वीकार करना यह जैन धर्म का एक सचमुच अलंकार है जो मानव को जीना सिखाता है क्योंकि मेरा निष्कर्ष यही है कि जैन दर्शन में माना गया है कि जब तक मन निर्मल और सोच अहिंसक नही‘ है तब तक मुक्ति नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि हमारे मन में किसी के प्रति वैर या घृणा का भाव नहीं हो। व्यावहारिक जीवन में गलती होना, किसी के प्रति क्रोध का भाव आ जाना स्वाभाविक है। इसलिए जैन दर्शन में क्षमा का बड़ा महत्व है और क्षमा को एक महोत्सव का रूप दिया है। यह हर जैन के लिए आवश्यक है कि वह पर्यूूषण महापर्व पर पूरे चेतन्य वर्ग से गत वर्ष में अपनी जाने अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगें। यदि विचार से भी किसी का अहित सोचा है तो उसकी भी क्षमा मांगनी है। केवल क्षमा मांगनी नहीं है यदि किसी ने हमारा अहित किया है, हमें बुरा बोला है उसे भी उदार हृदय से क्षमा करना है। इतना ही नहीं आने वाले समय के लिए संकल्प करना है कि मैं भविष्य में विचार से, अपनी वाणी से और अपने किसी कार्य से किसी को कष्ट न पहुंचाऊं इसका पूरा प्रयास करूंगा। मेरी सभी से मैत्री है किसी से वैर नहीं है। इसके लिए भादों के महीने में 18 दिन विशेष धर्म आराधना की जाती है। श्वेताम्बर पहले 8 दिन पर्यूूषण के रूप में एवम् दिगम्बर अगले 10 दिन धर्मलक्षण के रूप में। 
पर्यूूषण पर्व संपन्न हो रहे हैं ऐसे में क्षमा को सर्वोपरि मानकर मैं जैन महासभा की इस मांग का पुरजोर समर्थन करती हूं कि क्षमापना को भी राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए क्योंकि यह न केवल देश बल्कि दुनिया के हित में भी है। एक बार फिर समूचे जैन समाज को पर्यूूषण पर्व की बहुत-बहुत बधाई और समस्त जैन मुनियों और साध्वियों को कोटि-कोटि नमन। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen + 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।