लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

ह्यूस्टन से उठी हुंकार

वह अपनी इस स्थिति को बनाये रखने के लिए दुनिया के सभी महाद्वीपों के प्रमुख देशों में प्रभावशाली भूमिका की तलाश में रहता है और उसी के अनुरूप अपनी रणनीति तैयार करता है।

अमेरिका के टेक्सास राज्य के शहर ‘ह्यूस्टन’ में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत समारोह में जिस बड़ी संख्या में वहां बसे प्रवासी भारतीयों ने भारी उत्साह के साथ शिरकत की है और उन्हें उस देश के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प ने भी सम्बोधित करते हुए अमेरिका के विकास में उनके योगदान को सराहा है उससे प्रत्येक भारतवासी का माथा गर्व से ऊंचा हुआ है। 
स्पष्ट रूप से यह बदलती दुनिया का वह नक्शा है जिसमें अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुए भारत ने पिछले सत्तर वर्षों में अपनी उस अन्तर्निहित क्षमता का परिचय दिया है जिसे ब्रिटिश सत्ता ने पूरे दो सौ वर्षों तक कुचले रखा परन्तु दूसरी तरफ यह भी सत्य है कि अमेरिका की आर्थिक व राजनैतिक शक्ति और सामर्थ्य आज विश्व में सर्वोच्च स्थान रखती है। वह अपनी इस स्थिति को बनाये रखने के लिए दुनिया के सभी महाद्वीपों के प्रमुख देशों में प्रभावशाली भूमिका की तलाश में रहता है और उसी के अनुरूप अपनी रणनीति तैयार करता है जिसमें उसके आर्थिक हितों को वरीयता प्राप्त रहती है। 
सामरिक रूप से दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश होने की वजह से भी उसके आर्थिक हितों का संरक्षण बंधा रहता है। अतः ह्यूस्टन में श्री डोनाल्ड ट्रम्प का उग्र इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आह्वान भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान की हैसियत को आतंकवादी पोषक राष्ट्र के समकक्ष लाकर खड़ा कर देती है। इसी सभा में भारतीय प्रधानमन्त्री का आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई का आह्वान बताता है कि अन्तर्राष्ट्रीय समूह में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारतीय कूटनीति सफलता की तरफ बढ़ रही है। 
बिना पाकिस्तान का नाम लिये श्री मोदी ने अपने देश के जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति समाप्त करने के लिए संवैधानिक अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला जिस तरह पेश किया उससे पूरी दुनिया में यह सन्देश चला गया है कि भारत की संसद ने मोदी सरकार के इस फैसले पर अपनी मुहर लगाकर इस राज्य के लोगों के मानवाधिकारों का विस्तार और संरक्षण किया है और 370 के लागू रहते विभिन्न पिछड़े व दलित वर्ग के लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाने का काम किया है। 
जाहिर है कि श्री मोदी पारंपरिक लीक से हटकर भारतीय कूटनीति को परिभाषित कर रहे हैं जिसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पाकिस्तान के रवैये पर अमेरिकी राष्ट्रपति क्या रुख अपनाते हैं। क्योंकि अफगानिस्तान में अपने देश की भूमिका को असरदार बनाने के लिए ही अमेरिका ने 2001 से पाकिस्तान को प्रभावी तौर पर अपनी दाईं तरफ रखने की रणनीति पर चलना शुरू किया था। अतः श्री डोनाल्ड ट्रम्प का ह्यूस्टन की सभा में यह कहना कि भारत को उनसे बेहतर दोस्त कोई दूसरा राष्ट्रपति नहीं मिलेगा, बताता है कि वह पाकिस्तान में अमेरिका की भूमिका को नजरंदाज नहीं कर रहे हैं। 
यह अमेरिकी कूटनीति है जिसे हमें बहुत सावधानी के साथ बिना किसी भावुकता के पढ़ना होगा। ट्रम्प का यह कहना कि अमेरिका और भारत दोनों को ही अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने का अधिकार है और अवैध आप्रवासियों को बाहर निकाल कर वे अपने जायज नागरिकों के हकों की रक्षा कर सकते हैं, मूल रूप से अमेरिका में प्रवेश करने के सभी दूसरे देशाें के नागरिकों के लिए चेतावनी भी है कि वे उनके देश को अपने जीवन को सुखमय बनाने की सैरगाह न समझें। हालांकि उन्होंने इस सन्दर्भ में मैक्सिको का विशेष उल्लेख किया क्योंकि इस देश की सीमाएं मैक्सिको से मिलती हैं और वहां के नागरिकों का अमेरिका में अवैध प्रवेश मुद्दा बना रहता है परन्तु इसके बावजूद इसे सीमित अर्थों में नहीं लिया जा सकता। 
अमेरिका में एशियाई मूल के देशों के नागरिकों की संख्या भी कम नहीं है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि श्री ट्रम्प ह्यूस्टन की सभा का राजनैतिक लाभ भी लेना चाहते थे क्योंकि अगले वर्ष 2020 में वहां पुनः राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और श्री ट्रम्प पुनः उम्मीदवार होने के इच्छुक हैं। वह रिपब्लिकन पार्टी से हैं जिसकी मुख्य विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी है। रिपब्लिकन पार्टी अपेक्षाकृत परंपरावादी पार्टी मानी जाती है अतः उन्होंने अपनी पार्टी के जनाधार माने जाने वाले रूढि़वादी समर्थकों को भी सन्देश दे दिया कि उनके लिए ‘अमेरिका फर्स्ट’ हर मंच पर रहेगा परन्तु श्री मोदी ने भी जिस तरह से ‘भारत प्रथम’ को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत जिस तेज गति से तरक्की कर रहा है उसे देखते हुए दुनिया के सम्पन्न देश उसमें आर्थिक निवेश करके सम्पन्नता में भागीदारी कर सकते हैं, श्री मोदी का ह्यूस्टन में यह कहना कि भारत पूरी दुनिया में सबसे सस्ता ‘डिजीटल डाटा’ बाजार है, विकसित देशों की कम्पनियों के लिए रुचिकर विषय हो सकता है। 
हालांकि भारत के राजनैतिक क्षेत्रों में ह्यूस्टन की सभा में प्रधानमन्त्री के ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ के कथन को लेकर तीखी आलोचना हो रही है जिसकी वजह मूल रूप से यह है कि भारत की घोषित विदेश नीति किसी भी तीसरे देश के आन्तरिक मामलों में दखल न देने की रही है लेकिन कुछ विदेश नीति विशेषज्ञाें का यह भी मानना है कि पाकिस्तान को मात देने की गरज से प्रधानमन्त्री ने अगर श्री ट्रम्प की प्रशंसा में ये वचन बोल भी दिये तो यह उनकी कूटनीति का ही कोई अंग हो सकता है। जबकि कुछ का मानना है कि इसकी कोई आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि श्री मोदी के सम्बन्ध तो डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति रहे श्री बराक ओबामा के साथ भी बहुत मधुर और घनिष्ठ थे। वह इस बात को अगर घुमा कर कह देते तो ज्यादा बेहतर होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine + 8 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।