अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर लगी हुई हैं और उसके फैसले से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि धारा 370 को निरस्त करना राष्ट्रीय हित में था या नहीं। सर्वविदित है कि अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रावधान था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नैशनल कांफ्रैंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन द्वारा 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने का मुद्दा भी उठा। केन्द्र सरकार ने मांग की कि अकबर लोन माफी मांगें और भारतीय संविधान में निष्ठा संबंधी शपथपत्र दायर करे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अकबर लोन को शपथपत्र देने को कहा। कश्मीरी पंडितों के संगठन रूट्स इन कश्मीर ने याचिका दायर कर दावा किया था कि अकबर लोन घोषित तौर पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। यद्यपि अकबर लोन ने हल्फनामा दे दिया है, इस पर महाअधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि नैशलन कांफ्रैंस के सांसद अकबर लोन द्वारा दायर किया गया हल्फनामा एक तमाशा है। यह हल्फनामा जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है जिससे देश की छवि को नुक्सान पहुंचा है। उन्होंनेअदालत से यह भी कहा है कि वह यह भी देखें कि अकबर लोन ने इस हल्फनामे में क्या नहीं लिखा है।