वरिष्ठ नागरिकों के साथ काम करते-करते बहुत से अद्भुत अनुभव होते हैं। हमारे सदस्य बहुत सी खुशियां बांटते हैं, क्योंकि यह उम्र ऐसी है सभी को अन्दर से कोई न कोई दर्द या तकलीफ होती है, परन्तु फिर भी सभी अपनी हिम्मत से जीने की कोशिश करते हैं। वरिष्ठ नागरिक क्लब एक ऐसा मंच है, जो इनको इस उम्र में जीवन जीना सिखाता है। वो सब इतने खुश होते हैं कि अपना दु:ख-दर्द भूल जाते हैं। जब मैंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की शुरूआत की थी तो मुझे इस उम्र का कोई अनुभव नहीं था, परन्तु जो लोग मेरे पास आते थे उनके अनुभवों को सुनकर उनकी आप बीती सुनकर यह जाना कि इस उम्र में क्या-क्या तकलीफें होती हैंï? जिनमें मेन थी इस उम्र में अकेलापन, जिनके बच्चे अच्छे हैं, बहुत पूछते भी हैं तब भी अकेलापन या वो लोग जो सर्विस से रिटायर्ड हो गए हैं उनको डिप्रेशन हो जाता है क्योंकि हम जानते हैं कुर्सी को सलाम है। जैसे कुर्सी गई वैसे सबकी नजरें बदल जाती हैं और सबसे ज्यादा जिनका साथी बिछुुड़ जाता है यानी भगवान को प्यारा हो जाता है। एक दर्द ऐसा भी है जो विधि का विधान है, जिस दर्द को बांटना महसूस करना मुश्किल है। वो दर्द है साथी बिछुडऩे का। अब जब अपना साथी बिछुड़ गया तो जिन्दगी की यह सच्चाई भी सामने है। सब कुछ होते हुए बच्चे, बहूएं बहुत अच्छे काम में भी बहुत व्यस्त हूं, पर कहीं न कहीं बहुत अकेलापन और बहुत ही ज्यादा मिस करती हूं। फिर भी ईश्वर का शुक्राना भी करती हूं कि अश्विनी जी मुझे बहुत मजबूत बनाकर गए हैं। संस्कारी बच्चे देकर गए हैं, फिर भी बहुत मुश्किल है। यही नहीं हमारे बहुत से सदस्य ऐसे हैं जिनके बच्चे बाहर स्टैल हैं और साथी बिछुड़ गया तो उन्हें बच्चों के पास अमेरिका, लंदन जाना पड़ा, जिनका वहां बिल्कुल दिल नहीं लगता, उन्हें अपने भारत की मिट्टी याद आती है। उन्हें वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की एक्टिविटी याद आते है। अभी-अभी दो बहुत प्रमुख एक्टिव सदस्य श्रीमती प्रेम सूद (जो स्वर्गीय प्रसिद्ध स्किन स्पेशिलिस्ट डॉ. की पत्नी हैं) को उनका बेटा उन्हें अमेरिका ले गया जो यहां अकेली पंजाबी बाग रह रही थीं। बहुत एक्टिव थीं, हर फंक्शन की एक्टिविटी में हिस्सा लेना। पिछले 19 सालों से सदस्य हैं, परन्तु अब वह 80 साल की हो गईं तो अकेले रहना मुश्किल हो गया। क्योंकि कोई काम करने वाली भी नहीं, उनके पास रहती थी उनका नखरा था कि हम बोर हो जाते हैं तो उनका बेटा-बहू, बेटी-दामाद के जोर देने पर वह अमेरिका चली गईं। उनके बच्चे बहुत अच्छे हैं, बहुत ख्याल रखते हैं, परन्तु वहां की जिन्दगी में उन्हें भी बहुत अकेलापन लगता है। उदास होती हैं अपने घर अपने वरिष्ठ नागरिक की एक्टिविटी अपने अड़ोस-पड़ोस को बहुत याद करती हैं। वहां सब सुविधाएं, बच्चों के प्यार के बावजूद भी वो अकेलापन महसूस करती है। मैं उनसे वीडियो कॉल करती रहती हूं। ऐसे ही हमारी आशा चौधरी जी जो बहुत ही एक्टिव थीं, हमेशा फैशन शो में शो स्टोपर रही हैं। दोनों पति-पत्नी बहुत ही एक्टिव थे, परन्तु जैसे ही पति की मृत्यु हुई उनकी दो बेटियां हैं एक अमेरिका और एक लंदन में उन्हें अपने साथ लंदन ले गई। वो कुछ समय लंदन बेटी के पास रहीं। अब अमेरिका दूसरी बेटी के पास चली गईं, उनसे भी वीडियो कॉल पर बात करती हूं। वह कहती हैं सब ठीक है बेटी-दामाद बहुत ख्याल रखते हं, परन्तु अपने इंडिया की बात ही कुछ और है। जितनी मर्जी यहां पर सुख-सुविधाएं हैं, बच्चों का प्यार है, परन्तु मैं बहुत मिस करती हूं और अब उनकी बेटियों ने फैसला लिया है कि वो दो महीने बाद आएंगी और उनको 24 घंटे की हैल्पर रखकर देंगी, ताकि वो यहां खुश रह सकें, व्यस्त और मस्त रहें। ऐसी ही हमारी क्लब की शशि हैं, जो कनाडा अपनी बेटी के पास हैं, परन्तु उनके अनुसार वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब से ऐसा सीखा है कि वो वहां भी इंडियन सोसाइटी में बहुत एक्टिव और कई अवार्ड जीत चुकी हैं, परन्तु वो वहां बैठे सारी एक्टिविटी में हिस्सा लेती हैं। शरीर वहां है दिल उनका भारत में बसता है। अंत में मैं यही कहूंगी कि अकेले रहना इस उम्र में साथी का बिछुडऩा बहुत ही मुश्किल है, परन्तु दिल को समझाना है कि न कोई साथ आया है, न जाएगा। सो जिस विधि रखे राम उस विधि रहिये, व्यस्त रहें, मस्त रहें, स्वस्थ रहें। द्य