लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

डूबी सम्पत्तियों का बैड बैंक

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैड बैंक बनाने का ऐलान कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने इसके लिए नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कम्पनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की ओर से जारी सिक्योरिटी रिसिट के लिए 30,600 करोड़ की गारंटी देने के फैसले को मंजूरी दे दी है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैड बैंक बनाने का ऐलान कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने इसके लिए नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कम्पनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की ओर से जारी सिक्योरिटी रिसिट के लिए 30,600 करोड़ की गारंटी देने के फैसले को मंजूरी दे दी है। बैड बैंक एक तरह से एसेट रीकंस्ट्रक्शन कम्पनी होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एलपीए को टेकओवर करना होता है। बैंक किसी भी बैड एसेट को गुड एसेट में बदलने का काम करता है। अगर बैंक किसी को ऋण देता है तो जरूरी नहीं कि हर को ऋण की किश्त समय पर चुका दे या लोन पूरा चुका दे। ऐसे में बैड बैंक अपनी भूमिका शुरू करता है।
सिक्योरिटी रिसिट से किसी वित्तीय सम्पत्ति पर एसेट रीकंस्ट्रक्शन के अधिकार को निर्विवाद मान्यता मिल जाती है। आमतौर पर एसेट रीकंस्ट्रक्शन कम्पनी या बैड बैंक फंसे हुए कर्ज को 15 फीसदी कैश देकर खरीद लेते हैं, बाकी 85 फीसदी ​ सिक्योरिटी रिसिट के तौर पर होता है। अब बैंकों को अपने फंसे हुए कर्ज भरोसे के साथ एलएआरसीएल को बेच सकेंगे। कम्पनी केे ​सिक्योरिटी रिसिट पर सरकार की गारंटी मिलेगी। इसी के आधार पर यह बैंकों के डूबे हुए कर्ज को खरीदेगी। बैड बैंक को डूबी हुई सम्पत्तियों का बैंक कहा जाता है। 
बैड बैंक की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि देशभर से भारतीय बैंकों के लिए नान परफार्मिंग एसेट चिंता का विषय बना हुआ है। विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग करोड़ों का कर्ज लेकर देश से भाग गए। कोरोना महामारी ने भी एनपीए को और बढ़ा दिया। वित्त वर्ष 2020 में बैंकों का एनपीए 11.5 फीसदी हो गया जो बीते वर्ष 8.7 फीसदी था। हालांकि एनपीए को कभी भी पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे सीमित स्तर पर रखा जा सकता है। वास्तव में हमारे बैंकिंग सिस्टम में इतनी खामियां हैं, जिनकी वजह से एनपीए में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। बैंकिंग सिस्टम में भ्रष्टाचार भी व्याप्त है और बैंक और एनएफबीसी कम्पनियां ज्यादा से ज्यादा ग्राहक जोड़ने पर आमादा हैं। बैंक तो चुटकियों में ऋण देते रहे, इस कारण ऋण देने के ​लिए पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं होता। बैंक औद्योगिक घरानों को अरबों का ऋण देते हैं, साथ ही आम लोगों को भी कर्ज देते हैं। ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं कि एक प्रोपर्टी पर ही कई बैंकों ने ऋण दे दिया। जब फर्जीवाड़ा सामने आता है तो उसे पकड़ने के लिए भी काफी लम्बा समय लगता है। एनपीए के मामले में सार्वजनिक बैंक चक्रवात की तरह गोल-गोल घूम रहे हैं और उससे निकल नहीं पा रहे। बैड बैंक की स्थापना के पीछे इन बैंकों को चक्रवात से निकालने की अवधारणा निहित है। निजी बैंक और सहकारी बैंकों में भी घोटाले हुए हैं। पीएनबी बैंकिंग घोटाले के बाद रिजर्व बैंक ने काफी सख्त रुख अपनाया तो बैंकों ने एनपीए की वसूली तेज की। 
विजय माल्या, नीरव मोदी और अन्य की सम्पत्तियां जब्त कर काफी वसूली कर ली है। पिछले 6 वर्षों में बैंकों ने 5 लाख करोड़ से भी अधिक की वसूली की है। बैड बैंक अब बैड लोन का टेकओवर करेगा और फिर वसूली की कोशिश करेगा। कोई भी बैंक अपने पास बैड लोन को रखना नहीं चाहेगा, क्योंकि उससे उनकी बैलेंस शीट खराब होती है।
बैड बैंक भारत की खोज नहीं है, बल्कि इसकी शुरूआत अमेरिका से हुई थी। 1980 के दशक में बहुत सारे अमेरिकी बैंकों की हालत काफी खराब हो गई। एनपीए की वजह से बैंक डूबने के कगार पर पहुंच गए थे। ऐसे में बैड बैंक का आइडिया लाया गया और बैड एसेट को गुड एसेट बनाने की कोशिश शुरू हुई। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और पुर्तगाल समेत कई देशों में ऐसे बैंक काम कर रहे हैं।
बैड बैंक का सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि बैंकों की बैलेंस शीट सुधरेगी और नए लोन देने में आसानी होगी। बहुत सारे बैंक एनपीए मुक्त हो जाएंगे। बैंकों की बैलेंस शीट साफ-सुथरी होगी तो सरकार को भी फायदा होगा। अगर किसी बैंक का निजीकरण करना होगा तो उसमें आसानी होगी। बैड बैंक का मतलब यही है कि जितने भी बैंक हैं, उनका डूबा कर्ज इस बैंक के पास शिफ्ट कर दिया जाएगा। यह एक तरह से बहुत बड़ा सुधार है। कोरोना महामारी के बाद इस बात की बड़ी जरूरत है कि बैंक लोगों को आसानी से कर्ज दे। बैंक आसानी से लोगों को कर्ज देंगे तो इससे देश की आर्थिक ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 + 8 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।