लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जानलेवा बना बैंकिंग सिस्टम

पिछले दो दिन में पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के तीन खाताधारकों की मौत ने बैंकों में अपनी मेहनत की जमा पूंजी रखने वालों में भय उत्पन्न कर दिया है। पीएमसी के खाताधारक अपने ही पैसे निकालने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पिछले दो दिन में पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के तीन खाताधारकों की मौत ने बैंकों में अपनी मेहनत की जमा पूंजी रखने वालों में भय उत्पन्न कर दिया है। पीएमसी के खाताधारक अपने ही पैसे निकालने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। जब से आरबीआई ने पीएमसी बैंक में गड़बड़ी को लेकर पाबंदियां लगाई हैं तब से खाताधारक परेशान हैं। जरूरतमंद लोग बैंक से अपना ही पैसा नहीं निकाल पा रहे। जिस व्यक्ति की नौकरी छूट गई हो और  उसकी बैंक में 90 लाख की रकम जमा हो, बेबसी इतनी कि वह बैंक में जमा पैसों के बावजूद अपने दिव्यांग बेटे का इलाज भी नहीं करवा पा रहा हो, उसका सदमे में दम तोड़ देना स्वाभाविक है। 
एक अन्य खाताधारक ने आत्महत्या कर ली जबकि एक अन्य खाताधारक की मौत हार्ट अटैक से हुई। पीएमसी बैंक के खाताधारकों की पीड़ा तो नोटबंदी की पीड़ा से कहीं अधिक है। कौन सुनेगा इनकी पीड़ा, कौन बांटेगा इनका दुःख-दर्द। यह इस देश की विडम्बना ही है कि यहां आम लोग लुट रहे हैं। कभी इन्हें फ्लैट देने के नाम पर लूटा गया, कभी नौकरी दिलवाने के नाम पर इनसे ठगी हुई, कभी बैंक का दीवाला पिट गया तो इनसे धोखा हुआ। आखिर मेहनत करने वाले लोग किसकी चौखट पर जाकर दुहाई दें।  
अब सवाल यह है कि भ्रष्ट लोगों और बैंक का पैसा डकार कर भागने वाले के गुनाह का खामियाजा बैंक के ग्राहक क्यों भुगतें जबकि बैंकों की ​निगरानी का काम रिजर्व बैंक आफ इंडिया के हवाले है। बैंक में चल रहे फ्राड को पकड़ने की जिम्मेदारी ​रिजर्व बैंक आफ इंडिया की है। लोगों का पैसा सुरक्षित रहे, इसकी जिम्मेदारी भी आरबीआई की है। आरबीआई अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता। बैंक के खाताधारकों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आगे गुहार लगाई थी, तब उन्होंने भरोसा दिलाया था कि वह ग्राहकों को राहत ​दिलाने के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर से बात करेंगी। इसके बाद बैंक ग्राहकों को पैसा निकालने की सीमा 25 हजार से बढ़ाकर 40 हजार कर दी गई। आरबीआई का कहना है कि इससे 70 फीसदी खाताधारक अपनी पूरी रकम निकाल लेंगे लेकिन 30 फीसदी उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने मोटी रकम फिक्सड डिपाजिट करा रखी है।
गृहमंत्री अमित शाह ने पीएमसी घोटाले पर आश्वासन दिया है कि ग्राहकों का पूरा पैसा वापिस किया जाएगा। पीएमसी बैंक में 80 फीसदी तक एक लाख रुपए तक के डि​पाजिटर हैं, जिनके पैसे डिपाजिट इंश्योरेंस स्कीम एक्ट के तहत वापिस किए जाएंगे। डिजाजिट इंश्योरेंस स्कीम एक्ट खाताधारकों की सुरक्षा के लिए लागू किया गया उपाय है, जब किसी कारणवश बैंक घाटे में जाते हैं तो तब नुक्सान की भरपाई के लिए बैंक को पूर्ण या आंशिक रूप से ऋण का भुगतान किया जाता है जो वो अपने ग्राहकों को देता है।महंगाई के दौर में आम नागरिक के लिए पाई-पाई जोड़ना और अपनी बचत को बैंक में डालना आसान नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं था कि ये लोग मनी लांड्रिंग या हवाला जैसा कुछ कर रहे हैं। यह उनकी मेहनत की कमाई है जिसे निकालने का अधिकार इन लोगों के पास है। जो स्थिति पीएमसी में देखने को मिल रही है, उसके बाद स्पष्ट है कि यदि हर सहकारी बैंक की छानबीन की जाए तो आधे से ज्यादा बैंकों के फ्राड सामने आ जाएंगे।
 आरबीआई की नाक के नीचे पनपी नॉन बैंकिंग कम्पनियों द्वारा निवेश के नाम पर देश की भोलीभाली जनता को मूर्ख बनाया जा रहा है। ये कम्पनियां जनता के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार कर रही हैं जो नारदा, शारदा और आम्रपाली जैसी कम्पनियों ने देश की जनता के साथ किया है। अदालती केसों में बहुत लम्बा समय लगता है और लोग उम्मीद लगाए इंतजार करते हैं कि शायद कुछ हो जाए लेकिन जब नतीजा कुछ नहीं निकलता तो उनकी जान चली जाती है।
वित्त मंत्रालय और ​रिजर्व बैंक आफ इंडिया को ऐसा उपाय करना होगा कि बैंक के विफल होने पर कम से कम लोगों की मेहनत की कमाई पूरी मिल सके। इसके लिए कानून में संशोधन भी करना पड़े तो किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो बैंकिंग सिस्टम ही जानलेवा बन जाएगा। सिस्टम से लोगों का भरोसा उठा तो फिर कौन जाएगा बैंकों में। लोगों का बैंकिंग तंत्र में भरोसा बहाल करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने ही होंगे अन्यथा पूरा अर्थतंत्र ही नुक्सान झेलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।