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बेनंग-ओ-नाम पाकिस्तान

क्या खुला खेल फरूखाबादी चल रहा है पाकिस्तान में कि यहां का पूर्व प्रधानमन्त्री इमरान खान अपने मुल्क के लाहौर उच्च न्यायालय में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई गई

क्या खुला खेल फरूखाबादी चल रहा है पाकिस्तान में कि यहां का पूर्व प्रधानमन्त्री इमरान खान अपने मुल्क के लाहौर उच्च न्यायालय में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई गई अपनी हिफाजती या अग्रिम जमानत की अर्जी के लिए अदालत के बाहर ही अपनी कार में बैठा रहता है और अदालत को बार- बार इमरान खान के वकील से कहना पड़ता है कि अगर तुम्हारे ‘इज्जतदार’  मुवक्किल इमरान खान को जमानत चाहिए तो उन्हें खुद अदालत के सामने पेश होना पड़ेगा। क्योंकि कानून के दायरे में मुजरिम के पेश हुए बिना उसे जमानत नहीं मिल सकती लेकिन क्या खूब हैं पाकिस्तान के फाजिल वकील, वह जज साहब से फरमाते हैं कि अगर इमरान खान को अपने समर्थकों से घिरे रहने की वजह से अदालत के कमरे तक आने में तकलीफ हो रही है तो अदालत को ही अपने रजिस्ट्रार को उनकी कार तक भेज कर उनकी हाजिरी लगवा लेनी चाहिए। क्या दुनिया के किसी और लोकतान्त्रिक देश में अदालत में एेसी दलील और पैरवी संभव नहीं है ? यह तो देखा गया है कि अदालतें तारीख पर तारीख देती हैं मगर यह पहली बार ही देखा गया कि किसी मुजरिम को अदालत में पेश होने के लिए अदालत बार-बार वक्त बढ़ा रही हो। इमरान खान को अदालत ने कम से कम चार बार वक्त की छूट दी गई है मगर आखिर में हुजूर अदालत में तब हाजिर हुए जब जज साहब ने इलाके के पुलिस कप्तान को हुक्म दिया कि मुजरिम को पांच मिनट के भीतर हाजिर किया जाये। इमरान खान पर अदालत के बाहर ही भीड़ को दंगा-फसाद करने काे उकसाने के लिए जुर्म नाजिल हुआ था।
 बहरहाल उनकी पेशगी जमानत मंजूर हो गई मगर कमाल देखिये कि इमरान खान ने ही अपनी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की तरफ से पाकिस्तान में कौल दिया हुआ है कि अगली छह फरवरी से अवाम शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ जेल भरो आन्दोलन चलाए। ऐसा भी सिर्फ पाकिस्तान में ही हो सकता है। हकीकत तो यह है कि यह मुल्क एक तरफ आतंकवादियों के कत्लो-गारत से थर्रा रहा है तो दूसरी तरफ इमरान खान जैसे बेशर्म सियासतदानों के कारनामों से कराह रहा है। जिस शख्स ने पिछले साल पाकिस्तान की चुनी हुई राष्ट्रीय एसेम्बली का तमाशा इस तरह बनाया हो कि आधी रात को सुप्रीम कोर्ट ने अपने दरवाजे खोल कर एसेम्बली के नायब स्पीकर के आइन शिकन (संविधान विरोधी) फैसलों की ‘समात’ करते हुए उन्हें उलटना पड़ा हो और एसेम्बली को हरकत में रहने का हुक्म देना पड़ा हो तो हुकूमत से बाहर हो जाने के बाद उससे और क्या तवक्कों की जा सकती है ? मगर देखिये क्या कयामत बरपा हो रही है पाकिस्तान में कि इस मुल्क का राष्ट्रपति आरिफ अल्वी खुद संविधान का संरक्षक होने की जगह तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का कारकुन बना हुआ है और सारे काम ऐसे कर रहा है जिनसे इस मुल्क की बची-खुची जम्हूरियत ही जमींदोज हो जाये और हुकूमत के सारे इदारे संविधान को धत्ता बताते नजर आयें। क्या हीरा चुन कर लाया था इमरान खान अपनी हुकूमत के दौरान राष्ट्रपति पद पर कि आरिफ अल्वी ने अपने मुल्क के चुनाव आयोग को कूड़ेदान में फेंकते हुए खुद ही पंजाब और खैबर पख्तूनवा एसेम्बलियों के चुनाव घोषित कर दिये जबकि चुनाव आयोग चिल्लाता रहा कि उसके हक पर आरिफ अल्वी ने डाका डाल दिया है। 
वैसे तो पाकिस्तान का संविधान ही बहुत लचर है और उसमें मजहब के नुक्ते घुसेड़े गये हैं मगर जो भी जैसा भी इसका स्वरूप है वह संसदीय लोकतन्त्र पर चलने वाला है। इस मुल्क के लिए भारत का संविधान एक नजीर भी बना रहता है मगर इसके बावजूद इसके सियासतदां इसका इस्तेमाल खुदगर्जी के लिए करते रहते हैं। खुदा खैर करे कि इस मुल्क की बड़ी अदालतों के जजों ने अब अपनी रीढ़ सीधी करने की कोशिश की है जिसकी वजह से पिछले साल सरकारी तोषाखाने से बेशकीमती घड़ी चुराने वाले बेइमान इमरान खान की सरकार को राष्ट्रीय एसेम्बली में अपना बहुमत खो देने के बाद हुकूमत से खारिज होना पड़ा और मियां नवाज शरीफ वजीर-ए-आजम बने। मगर देखिये कितने फित्नागर हैं इसके इदारे संभाले हुए लोग कि राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने नवाज शरीफ को उनके औहदे का हलफ ही नहीं कराया।
आज पाकिस्तान के सितारे बुरी तरह गर्दिश में हैं। इसकी अवाम के पास एक तरफ रोटी खाने के लिए पैसे नहीं हैं तो दूसरी तरफ यह मुल्क दिवालिया हो चुका है। पूरी दुनिया में इसे कर्ज देने वाला कोई नहीं बचा है क्योंकि इस पर पहले से ही इतना कर्जा चढ़ा हुआ है कि उसका सूद चुकाने के लिए भी इसके खजाने में पैसा नहीं है। शहबाज शरीफ दर-दर कटोरा लेकर घूम रहे हैं मगर हर मुल्क उन्हें शर्मसार करके अपने दरवाजे से टरका देता है। इमरान खान ने अपने दौरे हुकूमत में इतना कर्ज लिया कि इसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह बैठ गई है। मुल्क में महंगाई इस कदर है कि दूध ही 200 रुपए लीटर से ऊपर बिक रहा है और खाने का तेल 540 रुपए किलो है। इसका रक्षामन्त्री कह रहा है कि अल्लाह रहमत करे हम दिवालिया हो चुके हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कह रहा है कि अगर और मदद चाहिए तो पहले अपने मुल्क में वित्तीय घाटा कम करो इसलिए पाकिस्तान सरकार लोगों पर और टैक्स लगा रही है जिससे उसकी राजस्व आमदनी बढ़ सके। मगर पाकिस्तानी रुपया तीन सौ के बराबर एक डालर होने की तरफ तेजी से भाग रहा है। चीन भी कह रहा है कि मुफलिसों से याराना करना मेरा ‘शेवा’ नहीं। पाकिस्तान को ‘बेनंग-ओ-नाम’ मुल्क का एजाज बख्शने वाले इमरान खान की हरकतों पर मुल्क की अवाम सिवाए इसके क्या कह सकती है।
‘‘जिसे नसीब हो रोजे स्याह मेरा सा 
वो शख्स दिन न कहे रात को तो क्यूंकर हो !’’
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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