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बेटियो-हम शर्मिंदा हैं…

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सदियों से नारी, बेटी, महिला पिसती आई है परन्तु आज हर क्षेत्र में महिलाएं और देश की बेटियां परचम लहरा रही हैं। हमारी विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री महिला हैं और हमारे देश की बेटी अंतरिक्ष में जा चुकी है। फिल्म लाइन, मिस वर्ल्ड बन चुकी हैं। दूसरी तरफ हमारी अधिकतर बेटियां आफिस या समाज में शोषण का शिकार हैं। दूसरी ओर वे बेटियां जो मासूम है, अभी युवा भी नहीं हुईं, हवस का शिकार बन रही हैं। आये दिन अखबार, टी.वी. में हम देखते हैं कि देश के किसी न किसी कोने में कोई न कोई अबला बलात्कार का शिकार होती है। देश में कहीं भी किसी बेटी के साथ अत्याचार होता है तो दिल रोता है। दिल्ली में 2011 में निर्भया रेपकांड से सारा देश कांप उठा था। जगह-जगह केंडल मार्च, जुलूस, प्रदर्शन हुए थे। जब तक वह बेटी जीवित रही, सारा देश खून के आंसू रोता रहा। कई रक्षात्मक कदम उठाए गए। कई नई बातें हुईं। उस समय लग रहा था कि निर्भया जाते-जाते कानून, सरकार और देश के लोगों को एक सबक दे गई है कि अब भी सम्भल जाओ वरना देश की बेटियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी।

कुछ ऐसा महसूस हो रहा था कि अब बेटियों के प्रति अपराध कम होंगे। परन्तु पिछले दिनों हरियाणा में सफीदों के गांव बूढाखेड़ा में दसवीं की छात्रा के साथ रेप के बाद हत्या, पंचकूला के पिंजौर के निकटवर्ती रामपुर सियोड़ी गांव में एक नाबालिग लड़की से रेप, फिर बुरा व्यवहार, फरीदाबाद में ड्यूटी से छुट्टी कर घर लौट रही 22 वर्षीय युवती से चार युवकों ने अपहरण के बाद स्कार्पियो कार में गैंगरेप, फिर पानीपत के गांव उरलाना में छठी कक्षा की दलित छात्रा से गैंगरेप और हत्या, अब रोहतक में रागिनी गायिका की हत्या, यह सब एक ही सप्ताह में हुआ। क्योंकि अश्विनी जी के सांसद होने के कारण हरियाणा के युवा, महिला, स्टूडेंट्स से बहुत जुड़ी हुई हूं आैर व्हाट्सअप पर सारे हरियाणा से जुड़ी हूं। इस सप्ताह जो सोशल मीडिया के ग्रुप्स में लोगों की भावनाएं, गुस्सा, आक्रोश था, उसमें भी उनके साथ शामिल हूं आैर शर्मिंदा हूं कि क्या करूं, कैसे करूं, इन बच्चियों के मां-बाप का दुःख कम करूं, जो कभी नहीं हो सकता। दिल कहता है कि दुर्गा का रूप धारण कर इन वहशी दरिंदों को ढूंढकर, पकड़ कर चौराहे पर लाकर सबके सामने सजा दूं या ईश्वर कोई ऐसी जादू की छड़ी दे दे जो इन बच्चियों को इन हैवानों से सुरक्षित रख सकूं या ईश्वर कुछ ऐसा कर दे कि जो हैवान किसी बेटी की तरफ बुरी नजर से देखे तो अंधे, अपाहिज हो जाएं या उनके सामने उनकी मां-बहन, बेटी आ जाए।

हरियाणा की इन घटनाओं का दिल्ली तक आक्रोश था। यहां तक कहा गया कि हरियाणा की कानून-व्यवस्था दाॅव पर है। सीएम का कंट्रोल नहीं, खट्टर नहीं खटारा, प्रशासन पर कंट्रोल नहीं। सीएम बदलो नहीं तो जनता कभी माफ नहीं करेगी, कभी पंजाबी सीएम नहीं आएगा, बीजेपी नहीं आएगी अादि सारा दिन व्हाट्सअप ग्रुप में भी यही चलता रहा। (क्योंकि इस समय 75 प्रतिशत लोग तो सचमुच भावुक होते हैं और 25 प्रतिशत राजनीतिक रोटियां भी सेकते हैं)। इस बात पर भी शर्मिंदा हूं कि क्या किसी बेटी की इज्जत की कीमत पर भी रोटियां सेंकी जा सकती हैं। मैं मानती हूं कि खट्टर साहब एक सीधे, ईमानदार मुख्यमंत्री हैं आैर लोग उनके सीधेपन का फायदा उठाते हैं लेकिन राजा वही जिसका आम जनता में कोई भी क्राइम करने से पहले डर हो, प्रशासन में डर हो, खौफ हो। सो, अब समय आ गया है कि सीएम साहब को एक पंजाबी सीएम की शेरदिली और दहाड़ दिखानी होगी नहीं तो फिर लोग ऐसा परिवर्तन नहीं लाने देंगे क्योंकि अगर घर की बेटी पीड़ित है तो सारा घर, समाज, प्रांत पीड़ित है। करनाल के एबीवीपी ने कहा कि हत्यारों को फांसी दो, पानीपत की महिला जिला अध्यक्षा अपनी सारी महिला मोर्चों के साथ पीडि़त के घर पहुंचीं, संत्वना दी। परन्तु इतना कुछ करने के बाद हम किसी की इज्जत और बेटी तो वापस नहीं ला सकते। परन्तु वास्तव में मेरा मानना है कि सारे देश में चाहे कोई कोना हो, हरियाणा हो, रेप तब तक नहीं रुक सकते जब तक लोगों की मानसिकता , सोच बेटियों के बारे में नहीं बदलेगी, चाहे सीएम या पुलिस अधिकारी काेई भी हो। अभी विगत दिनों सीएम ने बेटियों के लिए महिला थाने खोले हैं परन्तु हर बेटी के पीछे सिपाही नहीं खड़ा हो सकता।

देश के हर व्यक्ति को बेटियों की रक्षा करने के लिए स्वयं आगे आना होगा। हरेक को बेटियों का रक्षक बनना होगा। जैसे पुराने जमाने में मेरे पिता जी बताते थे कि गली की, शहर-मोहल्ले की बेटी को सभी बहन या बेटी मानते थे। मजाल कोई उनकी तरफ आंख उठाकर देखता। एक बेटी सिर्फ अपने घर की नहीं, सबकी बेटी होती थी, इसलिए हर घर के व्यक्ति को, समाज के लड़के-लड़कियों को जागरूक और रक्षक बनना होगा। हर गांव में दुर्गा हो, हर गांव के लड़के सिपाही की तरह हों, हर एक को डर हो आैर दोषी को सजा भी मिले ताकि कोई भी आगे क्राइम करने से पहले हजार बार सोचे। उसकी रूह कांपे। सो देश व शहर-समाज के हर लड़के-लड़की को उठना होगा। हर लड़की को उस नजर को पहचानना होगा जो उसकी तरफ बुरी तरह उठे। हर लड़के को उस व्यक्ति काे झंझोड़ देना होगा जो इस बारे में सोचे। हर मां-बाप को, हर स्कूल में बच्चियों को गुड टच-बैड टच की शिक्षा देनी होगी। हर मां को बेटों को संस्कार देने होंगे। हर लड़की की रक्षा करना हरेक का कर्त्तव्य हो न कि सिर्फ सीएम आैर पुलिस का। आओ सब देशवासियो (खासकर हरियाणा के) उठो, जागो और हम सबको शर्मिंदा होने से बचा लो।

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