अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापिस लेकर राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला हैरिस की सिफारिश कर सबको चौंका तो जरूर दिया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषक उनके इस फैसले को डेमोक्रेटिक पार्टी और अमेरिका के हित में करार दे रहे हैं। राष्ट्रपति पद के चुनावों को अभी 4 माह का समय है और इस घटनाक्रम से व्हाइट हाउस की रेस बड़ी दिलचस्प हो गई है। पिछले हफ्ते ही बाइडेन कोरोना से संक्रमित होने के बाद अपने गृह राज्य डेलावेयर लौटे थे। हालांकि इस बात के संकेत उन्होंने पहले ही दे दिए थे कि अगर हैल्थ की कोई समस्या हुई तो वे अपनी उम्मीदवारी वापिस ले सकते हैं। बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर डेमोक्रेट्स की चिंता काफी बढ़ी हुई थी और 17 के लगभग डेमोक्रेट्स सांसद उनसे उम्मीदवारी छोड़ने का आग्रह कर चुके थे। बाइडेन के राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हो जाने के कई कारण हैं। उम्र का तकाजा कहिए या उनका अस्वस्थ होना भी एक कारण रहा और उनके प्रतिद्वंद्वी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनकी मेंटल और फििजकल हैल्थ को लेकर लगातार सवाल खड़े कर रहे थे। कभी वह कमला हैरिस को ट्रंप कह देते थे तो कभी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को पुतिन कह देते थे।
पिछले महीने चुनावों की पहली बहस का आयोजन किया गया था। 990 मिनट तक चली इस बहस के दौरान, राष्ट्रपति बाइडेन और ट्रंप ने अर्थव्यवस्था, आव्रजन, विदेश नीति, गर्भपात और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बहस की। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को झूठा और अमेरिका के इतिहास का सबसे खराब राष्ट्रपति कहा। जिसके बाद पोल में कहा गया है कि बहस को टीवी पर देखने वाले पंजीकृत 33 प्रतिशत लोगों में से 67 प्रतिशत ने माना कि पहली बहस में ट्रंप बाइडेन पर भारी पड़े। बहस देखने वालों में से 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें बाइडेन की देश का नेतृत्व करने की क्षमता पर भरोसा नहीं है, वहीं 44 प्रतिशत ने ट्रंप की क्षमताओं पर शक जाहिर किया था।
इसका असर यह हुआ कि वित्त दाताओं के एक समूह ने 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने से इंकार कर दिया। बाइडेन के समर्थन में भारतीय अमेरिकी समर्थकों में लगभग 19 फीसदी गिरावट आ गई थी। डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर बाइडेन के खिलाफ आवाजें उठने लगी थी और पार्टी विकल्पों पर विचार भी करने लगी थी। हाल ही में एक चुनावी रैली में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप पर गोली चलाए जाने की घटना के बाद उनके पक्ष में एक सुहानुभूति लहर चल पड़ी थी। ट्रंप की बढ़ती लोकप्रियता ने डेमोक्रेटिक पार्टी को डरा दिया था इसलिए पार्टी के नेताओं ने बाइडेन पर उम्मीदवारी वापिस लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया था। बाइडेन ने मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस काे राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देने की बात कही है। इसके बाद कमला हैरिस ने कहा है कि वाे बाइडेन के समर्थन से सम्मानित महसूस कर रही है और उम्मीदवारी जीतने के लिए वह हर संभव कोशिश करेगी।
अब क्योंकि चुनावों में बहुत कम समय रह गया है और उम्मीद है कि डेमोक्रेटिक कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे। इसका कारण यह भी है कि कमला हैरिस इस समय दूसरे नंबर के संवैधानिक पद पर है और राष्ट्रपति पद का टिकट चाह रही एक पहली अश्वेत महिला को पीछे करना पार्टी के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। कमला हैरिस पहले भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश कर चुकी है। वर्ष 2020 में वह शुरूआती प्राइमरी से ही बाहर हो गई थी। सर्वेक्षण बताते हैं कि कमला भी बाइडेन की तरह ही कमजोर है। देखना होगा कि कमला हैरिस अपने लिए पार्टी को एकजुट करने में कितना सफल रहती है। अब सवाल यह है कि बाइडेन के मैदान से हटने से ट्रंप के चुनाव पर क्या कोई असर पड़ेगा। ट्रंप के हौंसले बहुत बुलंद हैं। उन्होंने बाइडेन को निशाना बनाते हुए अपनी जीत का दावा किया है। ट्रंप ने जेडी वेंस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जो उनके बडे़ विरोधी रहे हैं। दरअसल जेडी वेंस की पत्नी भारतीय मूल की ऊषा चिलुपुरी है। ऊषा के मां-बाप भारत से अमेरिका जाकर बसे थे। ऊषा पेशे से वकालत करती है लेकिन उन्हें येल की आध्यात्मिक गुरु कहा जाता है। उनका भारतीय मूल के लोगों में काफी प्रभाव है। समूचे राजनीतिक घटनाक्रम ने राष्ट्रपति चुनाव की दिशा बदल दी है। कुछ भी हो ट्रंप की छवि इस समय एक ऐसे फाइटर की बन गई है जिसे अमेरिकी काफी पसंद कर रहे हैं। ट्रंप देश में बढ़ते अवैध प्रवासियों, बढ़ती घुसपैठ और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर लगातार बाइडेन को निशाना बनाते आ रहे हैं। इस बात पर संदेह है कि कमला हैरिस ट्रंप का कितना मुकाबला कर पाएंगी। कमला हैरिस को उम्मीदवार बनाना डेमोक्रेटिक के लिए जोखिम भरा कदम जरूर है लेकिन इस समय कोई विकल्प भी नहीं है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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