लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

भारत का बड़ा दिल

भारत ने हमेशा पड़ोस प्रथम नीति को प्राथमिकता देते हुए अपना बड़ा दिल दिखाया है। भारत ने संकट की घड़ी में हमेशा उदारता का परिचय दिया है। मानवीय संकट हो या भूकम्प हो या फिर कोई अन्य प्राकृतिक आपदाएं भारत ने हमेशा पड़ोसी देशों की मदद की है।

भारत ने हमेशा पड़ोस प्रथम नीति को प्राथमिकता देते हुए अपना बड़ा दिल दिखाया है। भारत ने संकट की घड़ी में हमेशा उदारता का परिचय दिया है। मानवीय संकट हो या भूकम्प हो या फिर कोई अन्य प्राकृतिक आपदाएं भारत ने हमेशा पड़ोसी देशों की मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने पड़ोसी देशों को कोरोना वैक्सीन की मुफ्त खेप देकर सभी का दिल जीत लिया था। भारत ने नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, बंगलादेश को हर संकट में मदद दी है। भारत और अफगानिस्तान के सबंध बहुत पुराने हैं। भारत ने युद्ध में जर्जर हो चुके अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अफगानिस्तान में अमेरिका और मित्र देशों की सेनाओं के लौटने के बाद तालिबान के सत्ता सम्भालने के बाद संबंधों में गतिरोध आया है। तालिबान हुकूमत के बाद अफगानिस्तान में भारत द्वारा निर्माणाधीन विकास की परियोजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं। 
उल्लेखनीय है कि तालिबान सरकार के पूर्व भारत ने वहां बड़ा निवेश कर रखा है। भारत ने अपने दूतावास के सभी कर्मियों को वापिस बुला लिया था। सबसे बड़ी चिंता तो यह है कि अफगानिस्तान में व्यापक निवेश का क्या होगा? तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में खाद्यान्न संकट गहरा रहा था, लोगों को गेहूं और दवाइयां नहीं मिल रही थीं। यद्यपि भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, क्योंकि वह काबुल में वास्तविक रूप से समावेशी सरकार बनाने की आवाज बुलंद करता रहा है। इसके साथ ही भारत का कहना है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। इन सब चुनौतियों के बीच भारत ने संकट के समय में अफगान लोगों की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता के मुताबिक उसे सहायता दी है। भारत अब तक अफगानिस्तान को 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवा, कोविड रोधी टीके की 5 लाख खुराक, गर्म कपड़े आदि वहां भेज चुका है।
अफग​ानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में आए भूकम्प में एक हजार से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद वहां की स्थिति अच्छी नहीं है। यह आपदा ऐसे समय में आई है, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है। इस स्थिति में 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी मुश्किल भरा हो चुका है। भारत ने वायुसेना के विमान से राहत सामग्री भेजी है, जिसमें फैमिली रिज टैंट, स्लीपिंग बैग, कम्बल समेत कई आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं।
जिस तालिबान ने वामियान में भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं को तोड़ा, जिस तालिबान ने हिन्दू और सिखों पर अत्याचार ढाये, कट्टरपंथी इस्लामी गुटों ने पाकिस्तान के इशारे पर वहां भारतीय दूतावास और अन्य ठिकानों पर हमले किए। विकास परियोजनाओं में जुटे इंजीनियरों की हत्याएं भी कीं। इसके बावजूद भारत मानवीय आधार पर अफगान की मदद कर रहा है। अब तालिबान भी भारत की सराहना करते नहीं थक रहा। भारत की संस्कृति है कि वह पूरे विश्व को एक परिवार मानता है और संकट की घड़ी में मानव की मदद करना उसका धर्म है। अगस्त 2021 में जब अफगानिस्तान में अफरा-तफरी मची हुई थी तो भारत ने अपने सभी राजनयिकों और नागरिकों को निकासी मिशन के जरिये निकाल लिया था। भारत ने न केवल हिन्दू, सिख परिवारों को निकाला बल्कि हौंसला हार चुके अफगान नागरिकों को भी वहां से निकाला। राहत की बड़ी खबर यह है कि तालिबान के सत्ता में आने के दस महीने बाद भारत ने वहां कदम उठाते हुए काबुल में अपने दूतावास को फिर खोल दिया है। भारतीय टैक्नीकल टीम काबुल पहुंची है जो मानवीय सहायता की सप्लाई में विभिन्न पक्षकारों के साथ तालमेल एवं करीबी निगरानी रखेगी। तालिबान राज आने के बाद भारतीय टीम की यह पहली उच्च स्तरीय मौजूदगी है। भारत की एक वरिष्ठ राजनयिक टीम भी काबुल में है, जो तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से कई मसलों पर बातचीत कर रही है।
तालिबान में भारतीय दूतावास खोलने का स्वागत किया है और अन्तर्राष्ट्रीय राजनयिक प्रभावों के अनुरूप दूतावास की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुताकी ने भारत से अपने दूतावास और वाणिज्यिक दूतावास खोलने का आग्रह ​किया। भारतीय प्रतिनिधियों की पहले कतर में फिर बाद में रूस में तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात होने के बाद संवाद की खिड़कियां खुली हैं। तालिबान ने लगातार भारत से बेहतर संबंध बनाने के संकेत दिए हैं। तालिबान भी महसूस करता है कि भारत को नजरंदाज करना मुश्किल है। हालांकि पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी नहीं चाहता। तालिबान को इस बात का अहसास है कि भूखा-नंगा पाकिस्तान उसकी कोई मदद नहीं कर सकता। भारत-अफगानिस्तान संबंध तालिबान के रुख पर ही निर्भर करता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 − 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।