लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड

ऐसा नहीं है कि समंदरों पर उंगुलियां नहीं उठीं परन्तु जब भी जांच बैठाई गई तब देश का खजाना लुट चुका था।

‘‘जिन्होंने लूटा सरेआम मुल्क को अपने,
उन लफंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता,
गरीब लहरों पर पहरे बैठाये जाते हैं,
समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता।’’
ऐसा नहीं है कि समंदरों पर उंगुलियां नहीं उठीं परन्तु जब भी जांच बैठाई गई तब देश का खजाना लुट चुका था। समंदर के पानी पर क्या भरोसा। लहरों का उछाल खजाने को लंदन, पैरिस या न्यूयार्क पहुंचा दे। तब तक हिस्सेदारी बंट चुकी होती है। फिर लड़ते रहो विदेशी अदालतों में कानूनी लड़ाई। भगौड़ों की बची-खुची सम्पत्तियां जब्त करो और उनकी वापसी का इंतजार करो। जब भी भयंकर घटनाएं होती हैं तो सरकार द्वारा राजनीतिक दबाव में जांच बैठा दी जाती है। थोड़ी देर के लिए तूफान थम जाता है और समय की आंधी सब कुछ उड़ा कर ले जाती है। कई बड़े घोटाले जहन से उड़ चुके हैं। अब देश के अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड केस में सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। एबीजी शिपयार्ड और निदेशकों के खिलाफ 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है। कम्पनी जहाज निर्माण और  जहाजों की मरम्मत का काम करती है। इसके शिपयार्ड गुजरात के दाहेज और सूरत में हैं। अब संबंधित दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। 
इससे पहले हीरा कारोबारी नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14 हजार करोड़ की धोखाधड़ी कर अपने मामा मेहुल चौकसी के साथ भाग गया था। नीरव मोदी की देश-विदेश में काफी सम्पत्तियां जब्त की जा चुकी हैं। उसके भी लंदन से भारत प्रत्यार्पित करने की कोशिशें की जा रही हैं। वहीं शराब के मशहूर व्यापारी विजय माल्या पर भी करीब 9 हजार करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का मामला काफी सुर्खियों में रहा। उसे भी भारत प्रत्यार्पित करने की को​शिशें अंतिम चरण में हैं। इसके अलावा कुछ और भी लोग हैं जो भगौड़े हो चुके हैं। बैंक फ्रॉड के केसों में एबीजी शिपयार्ड मामले को अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड करार दिया जा चुका है। फ्रॉड की राशि को देखकर तो नीरव मोदी, माल्या और अन्य भगौड़ों को गरीब माना जाना चाहिए। अवैध रेत खनन करने वाले, इत्र बनाने वाले और पान मसाला बनाने वालों के घर से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद तो यह लोग भी छुटभैय्ये लगते हैं। 
देश के बुजुर्ग लोगों को ही नेहरू काल का जीप घोटाला, इंदिरा शासन में नागरवाला कांड या फिर नरसिम्हा राव शासन के दौरान हर्षद मेहता कांड याद होगा। युुवा पीढ़ी को तो देश के घोटालों की कोई जानकारी नहीं होगी। कांड तो बहुत हुए हैं लेकिन उनकी तासीर अलग-अलग थी। कई बैंक घोटाले हुए, सरकारी बैंक घोटाले हुए। लोगों को अपनी पूंजी निकालने के ​लिए बैंकों के बाहर लम्बी कतारें लगानी पड़ीं। लोगों की उम्रभर की कमाई बैंकों ने हड़प ली। बहुत शोर मचा तो सरकार ने बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को पांच लाख देने का कानून बनाया। चाहे किसी के एक करोड़ जमा हों या 5 करोड़ मिलेंगे 5 लाख।
एबीजी बैंक फ्रॉड में कोई एक या दो बैंक नहीं बल्कि 28 बैंक शामिल हैं। एबीजी पर आईसीआईसीआई का सबसे अधिक 7,089 करोड़ बकाया है, इसके अलावा आईडीबीआई, एसबीआई, पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ोदरा जैसे बैंकों के एक हजार करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि एबीजी ने भारत और विदेशों में अग्रणी कम्पनियों के लिए पिछले 16 वर्षों में 165 से अधिक जहाजों का निर्माण किया है। कम्पनी ने 2011 में भारतीय नौसेना से जहाजों के अनुबंध प्राप्त किए थे, ​हालांकि अनुबंध बाद में समाप्त कर दिया गया था क्योकि  कम्पनी आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही थी। कम्पनी के डूबने के कुछ कारण भी रहे। वस्तुओं की मांग और कीमतों में गिरावट के बाद कार्गो मांग की गिरावट के कारण वैश्विक संकट में शापिंग उद्योग को प्रभावित किया। कुछ जहाजों का अनुबंध रद्द होने से इन्वैंट्री का ढेर लग गया।  2015 में भी उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा था और वाणिज्यिक जहाजों की कोई मांग नहीं थी। 2015 में कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया था। कम्पनी को पीडीआर में फिर  से पटरी पर लाना बहुत मुश्किल हो गया था। इस तरह कम्पनी नियत तारीख पर ब्याज और किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ रही। जब कई बैंकों ने आतंरिक जांच शुरू की तो पाया गया कि कम्पनी ने अलग-अलग संस्थानों को धन भेजकर बैंकों को धोखा दिया। 
अगर बैंक की किश्ते ठीक समय पर नहीं पहुंचतीं तो बैंक लोगों के घरों तक के बाहर नोटिस  चिपका देते हैं, सख्ती करते हैं, उनकी तलाशी ली जाती है लेकिन  यह सब आम आदमी के ​लिए है, भले ही उसका ऋण लाखों में हो लेकिन हजारों करोड़ के ऋण के मामले में कार्यवाही में बहुत समय लगाया जाता है। इसका अर्थ यही है कि इस खेल में बैंकों के आला अधिकारी तक लिप्त होते हैं। पीएनबी और अन्य निजी  बैंक घोटालों में ऐसा ही पाया गया है। सवाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियामक तंत्र की है। हर वर्ष बैंक  आडोटिंग करते हैं, उसमें सब कुछ साफ हो जाता है। फिर  भी​ नियामक तंत्र ठीक समय पर कार्रवाई क्यों नहीं करता। बैंक जब अपने-अपने ग्राहकों से कर्ज की वसूली नहीं कर पाते तो वह राशि नान परफार्मिंग एसेट्स यानी एनपीए में चली जाती है। जब बैंकों का एनपीए काफी अधिक हो जाता है तो वह राशि बट्टे खाते में डाल दी जाती है, अर्थात राईफ आफ कर देते हैं। एनपीए का खेल बहुत बड़ा है। आरबीआई की हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में 9.54 लाख करोड़ का बैड लोन बट्टे खाते में डाला गया है। पिछले कुुछ वर्षों में बैंकों का एनपीए घटा है लेकिन हकीकत यह है कि बैंकों ने 5 साल से जितने कर्ज की वसूली की, उसके दोगुने से अधिक राशि बट्टे खाते में डाली। बैंकों की बैलेंसशीट में सुधार वास्तविक नहीं है। सरकार ने बैंकों का विलय कर और बैंकों में पूंजी डाल-डालकर व्यवस्था में सुधार के कई कदम उठाए लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। इतना बड़ा फ्रॉड उच्च संरक्षण के बिना हो ही नहीं सकता। यह जांच का विषय है कि कम्पनी के निदेशकों के तार ​किस -किस से जुड़े हैं। अगर देश में हुए घोटालों पर जांच आयोग या जांच कमेटियों के कार्यकलापों पर एक किताब जरूर प्रकाशित होनी चाहिए जो राष्ट्र को विशेष तौर पर आने वाली पीढ़ी को पता चल सके कि हमारे कर्णधार आज तक क्या करते रहे हैं। आम आदमी सड़क पर अपनी पीड़ा को लेकर स्वाभाविक स्थिति में खड़ा है लेकिन राष्ट्रद्रोहियों की धोखाधड़ी को राष्ट्र भोग रहा है और भोगता रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 + one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।