ओडिशा में भले ही भाजपा और बीजू जनता दल का चुनाव पूर्व जाहिर तौर पर गठबंधन नहीं हो पाया हो, पर खबर पक्की है कि अंदरखाने से दोनों दल कांग्रेस के खिलाफ मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं। शायद यही वजह है कि बीजद के शीर्ष नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक केवल विधानसभा क्षेत्रों में ही अपनी चुनावी सभाओं का फोकस रख रहे हैं। शायद यही वजह है जिन लोकसभा सीटों पर भाजपा दिग्गज चुनावी मैदान में उतरे हैं वहां नवीन पटनायक अपने अधिकृत प्रत्याशियों के ही चुनाव प्रचार में नहीं जा रहे। जैसे केंद्रपाड़ा से भाजपा के जय पांडा, पुरी से संबित पात्रा, संबलपुर से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वहीं सुंदरगढ़ से जुएल ओराव चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं, पर नवीन पटनायक की यहां जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
इन चुनावों में पटनायक करीबी पांडियन के सौजन्य से भाजपा और बीजद के बीच गठबंधन का मसौदा तय हो चुका था, पर नवीन पटनायक को ओडिशा के जमीनी सर्वे में यह पता चला कि 'अगर बीजद और भाजपा का गठबंधन होता है तो इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी कांग्रेस रहेगी और कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।' सो, एक फार्मूला बना कि लोकसभा में भाजपा 'लीड' करेगी और अंदरखाने से उसे बीजद 'सपोर्ट' करेगी वहीं विधानसभा का चुनाव पूरी तरह बीजद के हिस्से में रहेगा। भाजपा का अपना सर्वे बता रहा है कि अगर इस 'फ्रेंडली फाइट' का ग्राफ ठीक से परवान चढ़ा तो भाजपा ओडिशा की 21 में से 14 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करा सकती है।
क्या है भाजपा का 'कोड ब्ल्यू'
भाजपा ने इन चुनावों में ऐसी 18 प्रमुख सीटों को चिन्हित किया है जहां येन-केन प्रकारेण किसी भी तरह पार्टी उम्मीदवार का जीतना जरूरी है। इन 18 सीटों को 'कोड ब्ल्यू' का नाम दिया गया है। भले ही इन 18 सीटों पर संघर्ष कड़ा है, पर भाजपा और संघ कैडर यहां अपना पूरा दम दिखा रहा है। पिछले सप्ताह भाजपा के शीर्ष नेताओं जिसमें अमित शाह और जेपी नड्डा भी शामिल थे और संघ के कुछ प्रमुख पदाधिकारियों की एक अहम बैठक हुई। कहते हैं इस बैठक में यह तय हुआ कि 'इन 18 सीटों को हर हाल में जीतना जरूरी है। सो, इन सभी 18 सीटों पर संघ और भाजपा के नेता' डोर-टू-डोर' प्रचार करेंगे, सोशल और डिजिटल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल होगा और किसी भी स्थिति में संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी।
सूत्र बताते हैं कि 'कोड ब्ल्यू' की सीटों में सबसे अव्वल मंडी को रखा गया है, जहां से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत चुनावी मैदान में हैं। इसके बाद अमेठी का नंबर आता है जहां से प्रमुख भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी का मुकाबला गांधी परिवार के वफादार केएल शर्मा से है। इसके अलावा इसमें गुजरात के राजकोट की सीट भी शामिल है, जहां से मोदी दुलारे परुषोतम रूपाला चुनावी मैदान में हैं जो हाल के अपने विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में हैं। असदुद्दीन ओवैसी पर भले ही भाजपा के 'छुपा दोस्त' होने के आरोप लगते रहे हैं, पर हैदराबाद में भाजपा ने उन्हें हराने की चाक-चौबंद तैयारी कर रखी है। भाजपा अपनी उम्मीदवार माधवी लता के लिए यहां अपना पूरा जोर लगा रही है।
पीके का बड़बोलापन
प्रशांत किशोर अपनी अचूक चुनावी रणनीति के लिए जितने मशहूर हैं उससे ज्यादा िवख्यात हैं अपने बड़बोलेपन के लिए। पिछले दिनों हैदराबाद के एक पंचतारा होटल की लॉबी में बैठ कर वे अपने स्पीकर फोन पर किसी से बतिया रहे थे। दूसरी तरफ वाला व्यक्ति उनसे पूछ रहा था कि 'अभी तक आप जगन के लिए काम रहे थे, अब चंद्रबाबू के लिए कर रहे हैं।' कहते हैं इस पर पीके ने ऊंचा फेंकते हुए कहा-क्या करूं, मेरा एक पैर नायडू ने पकड़ रखा है तो दूसरा जगन ने। उसी होटल की लॉबी में साथ वाले सोफा पर चंद्रबाबू नायडू के पुत्र नारा लोकेश का एक अभिन्न मित्र बैठा था जो पीके की सारी बातें सुन रहा था। उसने फौरन नारा को फोन कर यह सारी बातें बताईं। उसी वक्त आग-बबूला होते नारा ने पीके को फोन किया और कहा कि 'हम रिश्ता रखते हैं सो आप रिश्ते की कद्र करें और बिलावजह अनर्गल प्रलाप न करें।'
कोपभवन से कैसे बाहर आए राज ठाकरे
शायद आपको याद हो 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' के अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य में भाजपा को बिना शर्त लोकसभा चुनाव में समर्थन देने का ऐलान किया था, इसकी पृष्ठभूमि दिल्ली में तैयार हुई थी जब राज ठाकरे दिल्ली आकर भाजपा शीर्ष से मिले थे। इसके बाद ही भाजपा शीर्ष ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को यह जिम्मा सौंपा था कि 'वे राज ठाकरे का पूरा ध्यान रखें और उन्हें सहयोग करें।'
शिंंदे की ओर से शुरूआत में थोड़ा सहयोग हुआ पर बाद में उनका रवैया उदासीन हो गया। इस पर नाराज़ होकर राज ठाकरे घर बैठ गए। जब यह बात भाजपा नेतृत्व को पता चली तो उसने जम कर शिंदे की क्लास लगाई, फिर शिंंदे की ओर से राज को और सहयोग हुआ, जिसके बाद राज ठाकरे कोपभवन से बाहर निकले और अब वे महाराष्ट्र की पांचवें चरण की 13 सीटों पर जमकर भाजपा के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं, जहां 20 मई को चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा वे 17 मई को शिवाजी पार्क में मोदी के साथ एक चुनावी रैली में मंच भी साझा करेंगे।
कंगना के अंगना में कांग्रेस
मंडी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ही भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत की तारणहार होकर उभरी है जहां उनका मुकाबला कांग्रेसी उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह से है। सूत्र बताते हैं कि हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु समेत 5 बड़े कांग्रेसी नेताओं की नाराज़गी विक्रमादित्य से है। इन्हें लगता है कि विक्रमादित्य समर्थकों ने ही सुक्खु सरकार गिराने की साजिश रची थी। सूत्र बताते हैं कि सुक्खु और उनके समर्थक नेता अंदरखाने से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत की पूरी मदद कर रहे हैं। यहां तक कि स्थानीय प्रशासन भी कंगना के पक्ष में कदमताल करता नज़र आ रहा है।
…और अंत में
आप के एक प्रमुख युवा नेता अपने इलाज के सिलसिले में कई महीनों से लंदन में जमे हैं। सूत्रों की मानें तो अभी हाल में ही उन्होंने दुबई आकर भाजपा के एक बड़े नेता के पुत्र से गुपचुप मुलाकात की है। इस मुलाकात का आशय भारत में अपनी गिरफ्तारी से बचने का है। इसके लिए वे पार्टी छोड़ने और सरकारी गवाह बनने के लिए भी राज़ी नज़र आए। इस युवा नेता के प्रस्ताव पर इस नेता पुत्र ने फौरन एक नामी वकील को फोन लगा कर यह सारा वाकया बताया और यह जानना चाहा कि 'हम इनकी क्या मदद कर सकते हैं?' इस पर वकील साहब ने कहा ये सज्जन एक सरकारी बोर्ड के चेयरमैन रह चुके हैं और इन्हीं पर गंभीर आरोप भी लगे हैं तो ऐसे में ये भला सरकारी गवाह कैसे बन सकते हैं?
– त्रिदीब रमण