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केयर्न विवाद-वार्ता ही अच्छी पहल

यह सब जानते हैं कि ब्रिटेन की पैट्रोलियम कंपनी केयर्न के साथ हमारा पुराना विवाद चल रहा है। किसी भी लोकतंत्र में न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद चलते रहते हैं।

यह सब जानते हैं कि ब्रिटेन की पैट्रोलियम कंपनी केयर्न के साथ हमारा पुराना विवाद चल रहा है। किसी भी लोकतंत्र में न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद चलते रहते हैं। हमारा यह मानना है कि कोई भी विवाद कैसे भी स्तर पर क्यों न हो उसका हल होना चाहिए और हर विवाद का समाधान बातचीत ही है। कोर्ट कचहरी से कुछ नहीं होता बहरहाल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां जरूर बन जाती हैं। ब्रिटेन की यह केयर्न एनर्जी पीएलसी के साथ हमारा जो टैक्स विवाद है वह कोई नया नहीं है बहुत पुराना है लेकिन फ्रांस की एक अदालत ने इस मामले में नया आदेश देकर भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। परंतु फिर भी अच्छी बात यह है कि कंपनी ने वार्ता के द्वार खुले रखे हैं। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी पिछले दिनों फ्रांस की अदालत ने पेरिस में भारतीय संपत्तियों को फ्रीज करने का जो आदेश दिया है उसे लेकर सक्रियता दिखाई है। ऐसे में मोदी सरकार मामले को आगे बढ़ायेगी और वार्ता का प्लेटफार्म खड़ा करती है तो यह एक अच्छा संदेश होगा।
इससे पहले सारे मामले की गहराई में जाना होगा और सारे केस पर दो-तीन दिन पहले जो घटनाक्रम हुआ वह इस प्रकार है कि केयर्न एनर्जी ने मध्यस्थता आदेश के तहत 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने के लिए एक फ्रांसीसी अदालत से फ्रांस में 20 भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश हासिल किया है। फ्रांसीसी अदालत ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों के अधिग्रहण का आदेश दिया था, जिनमें ज्यादातर फ्लैट हैं, और इस बारे में कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई। इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े तीन लोगों ने कहा कि इन संपत्तियों में ज्यादातर फ्लैट हैं, जिनकी कीमत दो करोड़ यूरो से अधिक है, और इनका इस्तेमाल फ्रांस में भारत सरकार द्वारा किया जाता है। फ्रांसीसी अदालत ट्रिब्यूनल ज्यूडिशियर डी पेरिस ने 11 जून को केयर्न के आवेदन पर (न्यायिक बंधक के माध्यम से) मध्य पेरिस में स्थित भारत सरकार के स्वामित्व वाली आवासीय अचल संपत्ति को जब्त करने का फैसला दिया था। सूत्रों ने कहा कि इसके लिए कानूनी औपचारिकताओं को बुधवार शाम को पूरा कर लिया गया। हालांकि, केयर्न द्वारा इन संपत्तियों में रहने वाले भारतीय अधिकारियों को बेदखल करने की संभावना नहीं है, लेकिन अदालत के आदेश के बाद सरकार उन्हें बेच नहीं सकती है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि उसे किसी भी फ्रांसीसी अदालत से कोई आदेश नहीं मिला है और आदेश मिलने के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केयर्न के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता इस मामले को खत्म करने के लिए भारत सरकार के साथ सहमति से सौहार्दपूर्ण समझौता करना है, और उसके लिए हमने इस साल फरवरी से प्रस्तावों की विस्तृत शृंखला पेश की है।’’  प्रवक्ता ने आगे कहा-किसी समझौते के अभाव में केयर्न को अपने अंतर्राष्ट्रीय शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कानूनी कार्रवाई करनी होगी। एक मध्यस्थता अदालत ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए।
कुल मिलाकर इससे पहले भी 2007 में वोडाफोन ने भारतीय टेलीकॉम कंपनी हचीसन एसआर से उसकी लगभग 67 फीसदी एक्विटी खरीदी थी और उसके बाद ब्रिटिश कंपनी से बीस हजार करोड़ का टैक्स मांग लिया गया। अब वोडाफोन कहां चुप रह सकती थी और उसने मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दिया। परिणाम यह निकला की फैसला उसके पक्ष में आया लेकिन जब सरकारें किसी भी मामले पर असहमति या राजनीतिक बदले की भावना से काम करेंगी तो बात बिगड़ती है। इसी मामले में 2012 में ब्रिटेन की सरकार ने यह कानून बना दिया कि पिछली तारीखों से टैक्स लगाने के कानून को स्वीकृति दी जाती है। यह सब चौंकाने वाला फैसला था और इसके लागू होते ही सुप्रीम कोर्ट का फैसले का औचित्य खत्म हो गया हालांकि बाद में वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मामला पहुंचा दिया और 2020 के आखिर में वह केस जीत गयी। अब 2021 में जो केयर्न को लेकर फ्रांसीसी अदालत का फैसला आया है वह लगभग इसी तरह की पटकथा है। लिहाजा मामला निपटाना भारत की प्राथमिकता बन चुका है।
उम्मीद की जा रही है कि हमारा वित्त मंत्रालय धीरे-धीरे पूरी जांच कर रहा है और कैपीटल गेन से जुड़े इस मामले में भारत का पक्ष मजबूती से रखेगा तो बात बन सकती है। वहीं खुद सरकार इसी कोशिश में है कि कंपनी के हितों की रक्षा के साथ-साथ भारतीय हित भी सुरक्षित रहने चाहिए क्योंकि अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश के खिलाफ फैसला जाता है तो खिलाफत तो होती ही है लिहाजा उससे बचने के प्रयास करने चाहिए। बेहतर यही है कि आपसी बातचीत हो ताकि मामले का हल निकले। अब इंतजार इस बात का है कि केयर्न के साथ बातचीत कब शुरू होती है लेकिन यह बात अच्छी है कि केयर्न के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि भारत के साथ सौहार्दपूर्ण बात हो। हम अपनी बात कहेंगे और भारत भी अपना पक्ष टेबल पर रखेगा और अदालती प्रक्रिया जो मध्यस्थता अदालत से जुड़ी है को लेकर कोई न कोई हल निकल आये। उम्मीद की जानी चाहिए कि बातचीत से हर विवाद का समाधान संभव था, है और रहेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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