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छात्र-छात्राओं के लिए चुनौती… जेआर मीडिया वैलकम

आज कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिसमें हमने सबने बहुत से अपनों को खोया है। यह समय एक चुनौती बन गया है, विशेषकर छात्र-छात्राओं के लिए।

आज कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिसमें हमने सबने बहुत से अपनों को खोया है। यह समय एक चुनौती बन गया है, विशेषकर छात्र-छात्राओं के लिए। कइयों ने तो अपने मां-बाप को भी खोया, कइयों के माता-पिता की नौकरी चली गई, ​बिजनेस ठप्प हो गए, क्योंकि पंजाब केसरी आम और खास का अखबार है तो अक्सर मुझे हर तरह के बच्चों से जुड़ने का अवसर मिलता है। खास करके पिछले 12 सालों से जब से अमर शहीद रोमेश चन्द्र और अमर शहीद जगत नारायण जी के नाम पर मीडिया इंस्टीच्यूट खोला। अब जब एडमिशन का समय नजदीक आ रहा है तो बहुत से छात्र-छात्राओं की बात मेरे तक पहुंची और कइयों को मैं मिली भी। एक छात्रा जो घर पर रहकर 12वीं की क्लास की आनलाइन पढ़ाई कर रही थी, ने मुझसे अपनी बात शेयर की कि एक तो घर में सबको लगता है कि आनलाइन क्लास है, घर का भी काम करूं, दूसरा अब मेरे पिता जी नौकरी चली गई है। वो कहते हैं अब मैं तुम्हे पढ़ा नहीं सकूंगा, इसलिए घर बैठो। जब मुझे मालूम पड़ा तो मैंने उसे कहा कि तुम हमारे जेआर मीडिया इंस्टीच्यूट में दाखिला ले सकती हो, जिसमें विभिन्न कोर्स हैं, डिग्री भी है। उसमें हम हर साल लाला जगत नारायण और अमर शहीद रोमेश चन्द्र जी के नाम पर उन जरूरतमंद बच्चों को स्कोलरशीप पर पढ़ाते हैं जो पढ़ने में लायक हैं या फीस नहीं दे सकते आैर पिछले साल तो अश्विनी जी के नाम पर भी शुरू हो गया है।
उसकी समस्या हल करने के बाद मैं सोच रही थी कि किरण चोपड़ा तुम 2-3 छात्रों को तो ऐसा कर दोगी, आगे ही नार्मल फीस रखी है और लैक्चरार को सैलरी देनी है, कैसे चलेगा। हां जितना ​ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट हो सकता है करेंगे, ताकि बच्चों की पढ़ाई न छूटे। विशेषकर वो बच्चे जो मेहनती हैं, लायक हैं और जिन्दगी में आगे बढ़ना चाहते हैं। आज की तारीख में देश भर में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो जेआर मीडिया इंस्टीच्यूट से निकले हैं और न्यूजपेपर और चैनल में काम कर रहे हैं। अब तो और भी कोर्स और डिग्री हैं जिसका मैं अभी वर्णन करूंगी ताकि छात्राओं को हमारा सहयोग मिले और कुछ शार्ट टर्म के कार्स भी शुरू करने के लिए कहा ताकि बच्चे अपना रोजगार पा सकें। मुझे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर से बात करके खुशी हुई कि कुछ विद्यार्थी आनलाइन ट्यूशन भी कर रहे हैं ताकि अपने घर का गुजारा चला सकें।
अब जबकि कोरोना के चलते स्कूली स्तर पर और यहां तक कि सीबीएसई ने भी बारहवीं के एग्जाम रद्द कर दिये हैं और सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित कर दिया है कि बच्चों को किस प्रकार से अंक दिये जाने हैं वह फार्मूला भी तैयार हो चुका है तो फिर एक नई चुनौती सामने आ रही है। कोरोना के चलते देश और दुनिया बुरी तरह से प्रभावित है। इसके नए-नए स्वरूप सामने आ रहे हैं लेकिन मानवीय प्रयास कोरोना पर भारी पड़ रहे हैं। हम कोरोना की हर लहर से निपट रहे हैं। भारी जानी नुकसान हो रहा है, पर फिर भी जूझ रहे हैं। बड़ी चुनौती यही है कि शिक्षा के क्षेत्र में गाड़ी पटरी पर कैसे लाई जाये? अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए राज्य सरकारें और पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार डटी हुई है लेकिन छात्र-छात्राओं को जितने तनाव का सामना करना पड़ रहा है वह सचमुच बच्चों के माता-पिता के लिए बहुत चिंतनीय है। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों को योग्यता के आधार पर अंक मिलेंगे और वही फार्मूला अपनाया गया है जो सीबीएसई और राज्यों के स्कूल बोर्डों की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में दिया है। इसलिए छात्र-छात्राओं को तनाव से ऊपर उठना चाहिए। इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं को निशंक ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई अलग से मार्क्स इंप्रुवमेंट के लिए टेस्ट देना चाहता है तो इसकी व्यवस्था की गयी है। 
मैं एक अलग रूप से छात्र-छात्राओं को देख रही हूं जिन्होंने बारहवीं की परीक्षा पास की है और आगे क्या करना है, उनकी चुनौती जायज है। छात्र सोच रहे हैं कि उनके परिणाम आने पर जब मार्क्स और ग्रेड सामने आयेगा तो उन्होंने कौन से विषय लेने हैं, यह सचमुच टेंशन भरा काम है। मेरा अपना मानना है कि छात्र चाहे आर्ट्स में जाये या कॉमर्स में जाये या फिर मेडिकल या फिर नॉन मेडिकल लेकिन शिक्षा वही जो आपका करियर बनाए और रोजगार तुरंत दिलाये। इस दृष्टिकोण से तकनीकी शिक्षा का महत्व बढ़ रहा है। मास कम्यूनिकेशन अर्थात जर्नलिज्म के प्रति पिछले दस साल से छात्र-छात्राओं में क्रेज बढ़ा है। इस दिशा में जे.आर. मीडिया इंस्टीच्यूट इसीलिए चलाया गया है कि बच्चे बारहवीं पास करने के बाद यहां भविष्य के पत्रकार बन सकते हैं। जहां मास कोम से जुड़े विषय हैं तो वहीं विश्व विद्यालय से जुड़े डिग्री कोर्स भी हैं।
उदाहरण के लिए बीजेएमसी अर्थात बेचलर ऑफ जर्नलिज्म इन मास कम्युनिकेशन इसके अलावा जिन्होंने ग्रेजुएशन पास कर रखी है वे एमजेएमसी अर्थात मास्टर ऑफ जर्नलिज्म इन मास कम्युनिकेशन की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। बारहवीं पास स्टूडेंट्स के लिए रिपोर्टिंग, एडिटिंग, एंकरिंग, फोटो जर्नलिज्म, पेज डिजाइनिंग और ग्राफिक्स के कई डिप्लोमा कोर्स हैं जिनकी छह महीने से लेकर एक साल तक की अवधि है। जब आप ऐसे तकनीकी डिप्लोमा कोर्स करते हैं तो हम इन्हें प्रोफेशनल कोर्सेस में रख सकते हैं। अच्छी परफार्मेंस के साथ ही न केवल पंजाब केसरी दिल्ली में बल्कि बड़े-बड़े मीडिया चैनल्स और बड़े-बड़े समाचार पत्रों में प्लेसमेंट के अवसर बनते रहते हैं। हमारे इस संस्थान के सैकड़ों स्टूडेंट्स अलग-अलग संस्थानोंं  में करियर के तौर पर जुड़े हुए हैं और हमारे यहां एक और खूबी है कि कोर्स के दौरान ही इंट्रनशिप करा दी जाती है। हमारा अपना यू ट्यूब चैनल है और खुद का लेटेस्ट टैक्नोलॉजी से सजा स्टूडियो है जहां बारहवीं पास बच्चे अपना टेलेंट दिखाते रहते हैं। साथ ही वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में काम करवा कर संस्कार भी दिये जाते हैं।
हमारे यहां जे.आर. मीडिया में ज्यादा सेवाएं उन लोगों की है जो खुद पत्रकारिता में वर्षों से जुड़े हुए हैं और जो खुद जर्नलिज्म की उन बारीकीयों का पालन कर रहे है जो उन्होंने खुद यहां आकर सिखी थी और आज इसे ही छात्र-छात्राओं को सिखा रहे हैं। कोरोना के चलते छात्र-छात्राओं की पसंद अपनी है, नजरिया अपना है लेकिन कॅरियर के मामले में हमने स्टूडेंट्स को मंजिल दिखा दी है, ईमानदारी से चलना और लक्ष्य को पाना उनका ही धर्म है क्योंकि याद रखो स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए हमेशा डटे रहो। 

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