लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

विमानन सैक्टर में बदलाव!

भारतीय विमानन कम्पनियां इतने बुरे हालात में हैं कि अब उनके अपने बलबूते पर खड़े होने का सामर्थ्य नहीं बचा है। रही सही कसर कोरोना की महामारी ने पूरी कर दी।

भारतीय विमानन कम्पनियां इतने बुरे हालात में हैं कि अब उनके अपने बलबूते पर खड़े होने का सामर्थ्य  नहीं बचा है। रही सही कसर कोरोना की महामारी ने पूरी कर दी। विमानन कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी कर दी। खर्चे में कटौती की गई और कम्पनियों को पीड़ादायक फैसले लेने पड़े। यह सैक्टर पहले से ही घाटे में था और लॉकडाउन के चलते अधिकांश एयरलाइन्स की जमा पूंजी को खत्म कर दिया है। अभी आगे भी स्थिति सामान्य होने की कोई उम्मीद नहीं है। लॉकडाउन के दौरान जमीन पर खड़े एयरक्राफ्ट के रखरखाव में बहुत अधिक लागत आई है। ऐसे में किया तो क्या किया जाए।
इसी बीच देश में विमानन सुरक्षा रेटिंग में सुधार लाने और नागर विमानन महानिदेशालय (जीजीसीए) सहित अन्य नियामक संस्थानों को वैधानिक दर्जा देने वाले वायुयान संशोधन विधेयक 2020 को संसद की मंजूरी ​मिल गई। विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद सरकार ने इसे पास करा लिया है। राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए केन्द्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि विधेयक का जरूरी हिस्सा डीजीसीए, ब्यूरो ऑफ सिविल ​एविएशन सिक्योरिटी और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो को वैधानिक दर्जा देना है। इन संस्थानों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा तीनों नियामकों के लिए एक महानिदेशक की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
विधेयक में नए नियमों के उल्लंघन के लिए कठोर दंड के तौर पर जुर्माना राशि दस लाख से बढ़ा कर एक करोड़ रुपए करने का भी है। इसके विधेयक के साथ ही हवाई अड्डों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त होने के संकेत भी ​मिले हैं। हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि 2006 में मुम्बई और दिल्ली जैसे हवाई अड्डों का निजीकरण हुआ। इसके बाद भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण को 29 हजार करोड़ रुपए मिले। इससे न सिर्फ इन दो हवाई अड्डों बल्कि देश के अन्य हवाई अड्डों के आधारभूत ढांचे को​ विकसित करने में मदद मिली। फिलहाल देश में 109 हवाई अड्डे परिचालन में हैं। अगले पांच वर्षों में सौ अतिरिक्त हवाई अड्डे निर्मित किये जाएंगे।
अब जबकि रेलवे निजीकरण की ओर तेजी से अग्रसर, राज्य सरकारें भी परिवहन सेवाओं का निजीकरण कर चुकी हैं तो फिर हवाई अड्डों का संचालन निजी हाथाें में सौंपने का निर्णय अनुचित नहीं है। एयर इंडिया के निजीकरण की दृष्टि से नहीं ​बल्कि 60 हजार करोड़ के बकाया ऋण और उसे खत्म करने के उद्देश्य से ही देखा जाना चाहिए। लेकिन देश की सार्वजनिक कम्पनियों का अंधाधुंध निजीकरण पर भी गम्भीर रूप से मंथन करना होगा। विमानन सैक्टर का कहना है कि जिस तरह से वंदे भारत मिशन में तमाम ​प्रवासी भारतीयों की घर वापसी एयर इंडिया के कारण ही सम्भव हो पाई है। एयर इंडिया का वंदे भारत मिशन काफी सफल रहा है। केन्द्र सरकार यदि चाहे तो एयर इंडिया के मूल स्वरूप में बदलाव कर सकती है, परन्तु एयर इंडिया को बेचे नहीं। यह भी देखा जाना चाहिए कि निजीकरण या विनिवेश प्रक्रिया से भारत को अब तक कितना लाभ हुआ है। अगर निजीकरण से आधुनिकतम ट्रेनें उपलब्ध हो रही हैं, यात्रियों की सुविधाओं में बढ़ौतरी होती है तो निजीकरण का विरोध नहीं होना चाहिए। इसी तरह वायुयान संशोधन विधेयक से सकारात्मक बदलाव आते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। इस पर भी नजर रखी जानी चाहिए कि पीपीपी मॉडल हवाई अड्डे विकसित करने के नाम पर अनियमितताएं नहीं हों। हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने तथा हवाई सेवाओं का विस्तार करने के लिए कायाकल्प करने की जरूरत है। 
भारत का विमानन क्षेत्र अगले दो साल में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरे नम्बर का क्षेत्र हो जाएगा। सरकार हवाई यात्रा को सुरक्षित और सुलभ बनाना चाहती है। साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यात्रियों की सुरक्षा में किसी तरह का कोई समझौता न हो। इस वर्ष के अंत तक सामान्य रूप से उड़ानों का संचालन शुरू होने की उम्मीद है। पांच वर्षों में हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। देश में एयरपोर्ट के निजीकरण की शुरूआत भाजपा के ही नेतृत्व वाली अटल सरकार के समय हुई थी। मोदी सरकार ने तीन हवाई अड्डों का संचालन निजी हाथों में सौंपा है।
विमानन कम्पनियों के वैश्विक संघ के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन पीयर्स ने हवाई अड्डों के निजीकरण के पहले और बाद में अंतर का पता लगाने के लिए एक अध्ययन कराया था, इसमें भारत सहित दुनिया के 90 हवाई अड्डों को शामिल किया गया। अध्ययन में कहा गया कि निजीकरण के बाद हवाई अड्डे की परिचालन कुशलता में भी ज्यादा सुधार नहीं हुआ, जबकि प्राइवेट कम्पनियों का मुनाफा बढ़ता गया। देश में सस्ती उड़ान योजना भी सफल नहीं हुई। निजी कम्पनियां इस योजना पर पूरी तरह खरी नहीं उतरीं। एटीएफ पर जीएसटी की वजह से किराये में कमी नहीं आई।
​विमानन सैक्टर को फिर से मजबूत करने के लिए सरकार को पूरी नजर रखनी होगी, ताकि इस क्षेत्र में बदलाव का प्रभाव सकारात्मक ढंग से पड़े। भविष्य में कोरोना महामारी की स्थिति के सामान्य होते ही यात्रियों की संख्या में बढ़ौतरी होगी और उड़ानें भी बढ़ानी पड़ेंगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8 + fourteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।