लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

अब बच्चों का वैक्सीनेशन !

कोरोना संक्रमण अब काफी निचले स्तर पर है। जनजीवन भी सामान्य हो चुका है और अर्थव्यवस्था भी काफी झटके खाने के बाद उबर रही है।

कोरोना संक्रमण अब काफी निचले स्तर पर है। जनजीवन भी सामान्य हो चुका है और अर्थव्यवस्था भी काफी झटके खाने के बाद उबर रही है। कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान भी रिकार्ड तोड़ चुका है। अब बहुत जल्द बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू होगा। केन्द्र सरकार ने अहमदाबाद की कंपनी जाइडस कैडिला की तीन खुराक वाले टीके ‘जाॅइकोव- डी’ की एक करोड़ खुराक खरीदने के आदेश दे दिए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वदेशी रूप से विकसित दुनिया के पहले डीएनए आधारित कोविड जैव की शुरुआत के लिए प्रारंभिक कार्य करने की स्वीकृति दे दी है, जिसे देश के टीकाकरण अभियान के तहत शुरू में व्यस्कों को दिया जाएगा। जाॅइकोव- डी भारत के दवा नियामक द्वारा 12 वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण के लिए स्वीकृत पहला टीका है। यह नीडल फ्री डोज है जिसकी तीन खुराकों को 28 दिनों के अंतराल में दिया जाना है। को-वैक्सीन की भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने भी 2-18 साल के उम्र के बच्चों के लिए भी टीका तैयार कर लिया है। उसके तमाम परीक्षण भी किए जा चुके हैं। यह दुनिया का एकमात्र टीका है जो 5 साल की उम्र से कम बच्चों को दिया जा सकेगा।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने को-वैक्सीन को मान्यता दे दी है। को-वैक्सीन को मान्यता कई सवालों-संदेहों और वैज्ञानिक आपत्तियों के बाद दी गई है। अब यह भारतीय टीका दुनिया भर में आपात इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा। यह भारत के विदेश यात्रियों, छात्रों, कारोबारियों और पर्यटकों के लिए सुखद और सकारात्मक खबर है। को-वैक्सीन को मान्यता मिलना उन गरीब, निम्न मध्य आय वाले और अफ्रीकी देशों के लिए संजीवनी साबित होगी, जिन देशों में कोरोना टीका अभी तक नहीं पहुंच पाया या नाममात्र ही उपलब्ध है। वैसे क्यूबा ऐसा दुनिया का पहला देश है जहां से दो साल के बच्चों को वैक्सीन लगाने का काम पिछले माह ही शुरू कर ​दिया गया है। यद्य​पि अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस टीके को मंजूर नहीं किया है। लगभग 1.12 करोड़ की जनसंख्या वाले इस कैरिबियाई देश में सरकार स्कूल खोलने से पहले सभी बच्चों को टीके देना चाहती है। क्यूबा ने बच्चों को अब्दाला और सोबेराना नाम दो टीके लगाने की मंजूरी दी है। क्यूबा के 700 स्कूलों को टीकाकरण केन्द्रों में बदला गया है, क्योंकि अध्यापकों ने जब तक बच्चों को कोरोना वैक्सीन नहीं लग जाती कक्षाएं शुरू करने से इन्कार कर दिया था।
भारत में तो अब स्कूल-कालेज खोले जा चुके हैं और महामारी की रोकथाम के लिए उपाय भी ​िकए जा रहे हैं। केन्द्र सरकार के अनुमान के मुताबिक भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के 42-44 करोड़ बच्चे हैं। अगर सभी को वैक्सीन की दो डोज लगनी है तो कुल 84-88 करोड़ वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी। अभी जाईकोन-डी की एक करोड़ डोज का आर्डर दिया गया है। बच्चों का टीकाकरण शुरू करने से पहले केन्द्र सरकार को बच्चों की वैक्सीन की उपलब्धता पर ध्यान देना होगा। स्पष्ट है कि बच्चों में भी चरणबद्ध तरीके से ही वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी। कुछ बच्चों को डायबिटीज, किडनी, हार्ट या दूसरी बीमारी होती है। उन्हें टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता देने की जरूरत होगी। ऐसे बच्चों की संख्या भारत में 6-7 करोड़ के लगभग है। ऐसे बच्चों में स्वस्थ के मुकाबले गंभीर इन्फैक्शन का खतरा तीन से सात गुना ज्यादा होता है।
दुनियाभर में इस समय बहस भी चल रही है कि क्या स्वस्थ बच्चों को वैक्सीन लगनी चाहिए? कई जगह हुए सीटी सर्वे में पाया गया है कि 60 फीसदी बच्चों के एंटी बाडी पाई गई है, मतलब यह है कि वो बीमार भी हुए और ठीक भी हो गए। ब्रिटेन की वैक्सीन एडवाइजरी समिति ने 12-15 वर्ष के स्वस्थ बच्चों को केवल स्वास्थ्य के आधार पर वैक्सीन देने को लेकर अपनी असहमति जताई है। समिति का कहना है कि बच्चों को वायरस का खतरा इतना कम है कि वैक्सीनेशन का बहुत ही मामूली फायदा होगा। हालांकि बच्चों को टीका लगाने के मुद्दे पर ​विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है लेकिन भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ बच्चों को भी वैक्सीन दी जानी चाहिए। क्योंकि वे संक्रमण को फैलाने के कारक हो सकते हैं। 12 वर्ष के ऊपर के बच्चों को वैक्सीन जरूर लगाई जानी चाहिए। 12 वर्ष के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता आधी होती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली जाती है। अब जबकि को-वैक्सीन को मान्यता मिल चुकी है तो सबको स्वदेशी अनुसंधान पर भरोसा करना चाहिये। अब सारे संदेह पिघल चुके हैं तो बच्चों के लिए आने वाले टीकों पर संदेह करने की कोई संभावना नहीं है। अभी कोरोना के खिलाफ पूरा मोर्चा जीतने के लिए टीकाकरण का लम्बा सफर तय करना है। हम हर्ड इम्युनिटी के करीब पहुंचने वाले हैं लेकिन संक्रमण तथा महामारी के खिलाफ युद्ध हम तभी जीत पायेंगे जब बच्चों का टीकाकरण हो जायेगा। अमेरिका और कनाडा में भी बच्चों को भारत बायोटेक का टीका लगाने की मंजूरी दे दी गई है। अब इंतजार है कि भारत में बच्चों का टीकाकरण कब शुरू होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।