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चीन का नया फरमान

कोरोना वैक्सीन के मामले पर भारत के हाथों पिट चुके चीन ने अब भारतीयों को परेशान करने के लिए नया पैंतरा फैंका है।

कोरोना वैक्सीन के मामले पर भारत के हाथों पिट चुके चीन ने अब भारतीयों को परेशान करने के लिए नया पैंतरा फैंका है। चीन ने विदेशी नागरिकों के लिए वीजा जारी करना शुरू कर ​दिया है लेकिन उसने भारत और अन्य 19 देशों से आने वाले लोगों के लिए कोरोना वायरस का चीन निर्मित टीका लगवाना अनिवार्य बना दिया है। चीन के इस पैंतरे का असर हजारों भारतीय छात्रों के अलावा चीन में कार्यरत पेशेवरों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर पड़ने की सम्भावना है, जो चीन लौटने के लिए बीजिंग से अनुमति मिलने का भारत में इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय छात्रों की संख्या 23 हजार से अधिक है, जिनमें ज्यादातर मैडिकल के छात्र हैं। इसके अलावा चीन में कार्यरत ऐसे सैकड़ों पेशेवर भी हैं जो कोरोना वायरस महामारी को लेकर लागू यात्रा पाबंदियों के चलते भारत में ही रुके हुए हैं। जिन 20 देशों पर चीन ​निर्मित टीका लगवाने की शर्त रखी गई उसमें भारत के अलावा पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, नाइजीरिया, ग्रीस, इटली, इस्राइल, नार्वे और इंडोनेशिया भी शामिल है। समस्या यह है कि भारत में कोविड-19 का कोई भी चीनी टीका उपलब्ध नहीं है और भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान भी नहीं है। ऐसे में भारतीयों को चीन वीजा लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। नई दिल्ली ने भी चीन निर्मित वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी नहीं दी है और भारतीयों को चीन की कोरोना वैक्सीन पर भरोसा ही नहीं है।
चीन की वैक्सीन को लेकर नया नियम उस समय सामने आया है जब चीन दुनिया भर में अपनी वैक्सीन को बढ़ावा दे रहा है। बीजिंग ने देश में 6.5 करोड़ लोगों को वैक्सीन की खुराक दी है। चीन ने अन्य देशों में बनी वैक्सीनों को देश में इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी है।
दरअसल भारत की वैक्सीन डिप्लोमैसी को चीन पचा नहीं पा रहा है। भारत की वैक्सीन मैत्री के अभियान ने चीन के दक्षिण एशिया में बैकफुट पर धकेल दिया है। भारत ने पहले से ही श्रीलंका, पाकिस्तान को छोड़ कर सभी सार्क देशों को भारत के सीरम इंस्टीच्यूट की को​विशिएल्ड वैक्सीन उपहार में दी है। भारत ने श्रीलंका, बंगलादेश, अफगानिस्तान, म्यांमार, मॉरिशस, मालदीव और यहां तक कि ब्राजील को भी वैक्सीन दी है। भारत ने 7.7 लाख आबादी वाले भूटान को तो उसकी पूरी आबादी के ​लिए मुफ्त वैक्सीन देने का वायदा किया है। चीन के साथ लद्दाख में तनाव के बीच पड़ोसी देशों को कोरोना वैक्सीन प्रदान करने के भारत के इस कदम को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चीन पिछले काफी समय से भारत के पड़ोसी देशों में अपनी पैठ जमाने में लगा हुआ है ताकि समय आने पर भारत को घेरा जा सके। दूसरी तरफ भारत अब दुनिया की वैक्सीन फैक्ट्री बन चुका है और अपनी इस क्षमता का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए कर रहा है।
यद्यपि चीन का कहना है कि चीन निर्मित टीका लगवाने के बाद ही यात्रा की अनुमति देना यात्रियों की सुरक्षा के लिए है लेकिन यह साफ है कि चीन अपने टीके को प्रचारित करना चाहता है। डब्ल्यूएचओ ने फाइजर, मॉडरेना और एस्ट्रोजेनेका टीकाें को ही मंजूरी दी है। बेहतर यही होता कि चीन डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूूर किए गए टीकों को मान्यत देता। अगर चीन अपने अडि़यल रुख पर कायम रहता है तो फिर भारतीयों को जो नुक्सान होगा वह तो होगा लेकिन चीन को भी 20 देशों से संबंध प्रभावित होने का अंजाम भुगतना पड़ेगा। ऐसे में कोई चीन जाना क्यों चाहेगा। चीन की समस्या यह है कि वह हर देश में अपना विस्तार चाहता है और उसके लिए हर हथकंडा अपनाता है। चीन के हैकरों ने भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों पर साइबर अटैक कर टीके के फार्मूले को चुराने की कोशिश भी की थी।
चीन क्वाड में भारत की भूमिका से भी चिढ़ा बैठा है। जापान और अमेरिका की टू प्लस टू वार्ता से चीन परेशान है। इस वार्ता के बाद अमेरिका के रक्षा मंत्र लायड आस्तीन विदेश मंत्री एंटनी व्लिंकन ने चीन को छल, कपट करने वाला देश बताते हुए इसे दुनिया के लिए खतरनाक बताया और चीन की दादागरी और आक्रामकता की आलोचना की है। कोरोना महामारी के लिए चीन पहले ही दुनिया भर की नजरों से गिर चुका है और चीन का नया फरमान उसके लिए ही नुक्सानदेह हो सकता है।

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