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आर्यन खान को क्लीन चिट

बालीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को बाम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत आदेश को सार्वजनिक कर दिया गया है

बालीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को बाम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत आदेश को सार्वजनिक कर दिया गया है। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी होता दिखाई दे रहा है। अदालत का कहना है कि आर्यन खान के मोबाइल फोन से लिए गए व्हाट्सऐप चैट से पता चलता है कि ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं पाया गया जो दिखाता हो कि उसने अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा के साथ अपराध करने की कोई साजिश रची हो। जमानत आदेश में यह भी कहा गया है कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने आर्यन खान का जो स्वीकृति बयान दर्ज किया है, उस पर केवल जांच के मकसद से गौर किया जा सकता है और उसका इस्तेमाल यह निष्कर्ष निकालने के लिए ​हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है। आर्यन खान के पास कोई भी आपत्तिजनक पदार्थ नहीं मिला है और इस तथ्य पर कोई विवाद भी नहीं है। अरबाज और मुनमुन धमेचा के पास से अवैध मादक पदार्थ पाया गया, जिसकी मात्रा बेहद कम थी। अदालत ने इन पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के प्रावधान लगाने पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
अदालत के आदेश से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और उसके अधिकारी समीर वानखेड़े की विश्वसनीयता पर तीखे प्रश्नचिन्ह लग गए हैं। देश के नागरिकों के दिमाग में यही सवाल घूम रहा है कि क्या आर्यन खान की गिरफ्तारी भारी-भरकम रकम वसूलने की गरज से की गई थी? आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद से किसी रहस्यमय उपन्यास की तरह एक-एक करके कई किरदार सामने आते गए। पूरे प्रकरण में किरण गोसावी, प्रभाकर सेल और कुछ अन्य ऐसे पात्र सामने आए जिससे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की पूरी पटकथा ही उलझ गई। यदि एनसीबी को आर्यन खान की गिरफ्तारी के लिए एक प्राइवेट जासूस की मदद लेनी पड़ी और उसे अपनी जांच में शामिल कर उसकी गतिविधियों के सार्वजनिक होने पर उन्हें बर्दाश्त करना पड़ा है तो इसका मंतव्य आम लोगों के ​लिए जानना जरूरी है।
आम आदमी की नजर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक वसूली गिरोह के रूप में सामने आई है कि क्रूज ड्रग पार्टी में केवल 6 ग्राम गांजे की बरामदगी पर तूफान खड़ा कर दिया गया। किरण गोसावी नौकरी दिलवाने के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी के केस में जेल में बंद है। उसके अंगरक्षक प्रभाकर सेल ने अपने बयान दर्ज करा दिए हैं कि आर्यन खान की गिरफ्तारी करने के पीछे असली इरादा शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपए वसूलने की थी, जिसमें से 8 करोड़ रुपए एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े को दिए जाने थे। बड़े-बड़े दावे करने वाले समीर वानखेडे खुद जाति प्रमाण पत्र और अन्य कई प्रकार के आरोपों से जांच के घेरे में हैं। 
समीर वानखेड़े को एक तेज-तर्रार अफसर माना जाता है, परन्तु आरोपों के घेरे में आने के बाद उन्हें इस केस से अलग कर दिया है। मायानगरी मुम्बई  तो विचित्र है। यहां एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अधिकारी खुद जेल की सलाखों के पीछे चले गए हैं। देश के चोटी के कारोबारी मुकेश अम्बानी के घर के बाहर विस्फोटक मिलने से मामले में पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे हत्या के मामले में जेल में हैं। सौ करोड़ की वसूली के मामले में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा और अब वे खुद हिरासत में हैं। मुम्बई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को पद से हटना पड़ा और वे अब तक लापता हैं। अदालत ने उन्हें भगौड़ा अपराधी घोषित कर दिया है। आम आदमी इस पूरे घटनाक्रमों से चिंतित भी है और सोच में भी है कि आखिर इस देश में क्या हो रहा है। पुलिस हो या जांच एजैंसियां सभी की साख पर दाग है। कड़े परिचय और योग्यता के आधार पर ही पुलिस और प्रशासनिक सेनाओं में चयन हो पाता है, लेकिन जब-जब अधिकारियों के आचार-व्यवहार को लेकर ​निराशाजनक खबरें सामने आती हैं जांच अधिकारियों की विश्वसनीयता खतरे में पड़ चुकी है। अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती मामले में भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो काफी किरकिरी करा चुका है। सुशांत आत्महत्या मामले में भी जांच किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। 
आर्यन मामले में तो फिरौती जैसी तोहमत सामने आने के बाद आर्यन को 26 दिन जेल में रखना अन्याय ही माना जाएगा। बाम्बे हाईकोर्ट ने उसे जमानत देने के साथ-साथ जो टिप्पणियां की हैं उससे लगता है कि आर्यन खान के साथ अन्याय हुआ है। जमानत देना या न देना अदालतों का काम होता है मगर सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी नागरिक की निजी स्वतंत्रता का यदि एक दिन के लिए भी हनन होता है तो इसे उचित नहीं माना जाएगा। आर्यन खान एक बड़े बाप शाहरुख खान का बेटा है मगर है तो युवा ही, उसके साथ पकड़े गए अन्य लोग भी युवा हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है। लेकिन पैसे ऐंठने के लिए युवाओं को जेल में डालकर उनके अभिभावकों से डील करना भी अपराध है। फिलहाल बाम्बे हाईकोर्ट ने आर्यन खान को क्लीन चिट दे दी है, अब देखना यह है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो केस को तार्किक ढंग से कैसे बढ़ाता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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