कहते हैं कि एक तेरा सहारा काफी है। दुनिया में हम आए हैं तो मां-बाप जो सबसे प्यारे होते हैं समय के साथ आपका साथ छोड़ देते हैं। ईश्वर को प्यारे हो जाते हैं। समय के साथ-साथ कई खूनी रिश्ते या तो साथ छोड़ देते हैं या बदल जाते हैं परन्तु एक ईश्वर हैं जो दुःख-सुख में आपका साथ नहीं छोड़ते। आप उनको सच्चे मन से याद करो तो वह आपके साथ होते हैं। इसीलिए पिछले 15 वर्षों से वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब अपने बुजुर्गों की सेहत के लिए, बीमारी को दूर करने के लिए, उनके जीवन में सुख-शांति के लिए, मोक्ष प्राप्ति के लिए हर साल रोमेश जी की पुण्य तिथि पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करता है, परन्तु इस साल 12 मई को मैं अश्विनी जी के इलाज के लिए अमेरिका में थी तो नहीं कर सके।
हजारों दिलों को शांत करने वाला, सहारा देने वाला पाठ नहीं कर सके तो सोचा क्यों न इस बार लाला जगत नारायण जी की पुण्यतिथि जो 9 सितम्बर को (हमेशा हम बड़ा हैल्थ कैम्प लगाते थे) होती है, उस पर यह कर ले और 8 सितम्बर को रविवार पड़ता है, ताकि सबको सुविधा हो इसलिए। अश्विनी जी का यह सबसे पसंदीदा मंत्र जिसकी कई साल से वह अर्थ करते आए हैं कि ‘‘हे तीन आंखों वाले शिवजी, हम आपकी पूजा करते हैं। जिस तरह ककड़ी अपनी बेल के साथ फल-फूल की सुगंध बिखेर देती है, ठीक उसी तरह जब हम अपनी जिन्दगी बिना बीमारियों और क्षतियों से पूर्ण कर लें और हमारे अनेकों कार्यों की पूरे समाज और दुनिया में प्रसिद्धी हो जाए तो िजस तरह ककड़ी अपना जीवन पूर्ण करके अपने आप अपनी बेल से अलग हो जाती है ठीक उसी तरह हम जन्म-मरण के इस चक्कर से निकल कर मोक्ष की प्राप्ति करें।
इस बार वो बीमार होने की वजह से मंत्र का अर्थ तो नहीं कर सकेंगे परन्तु हम सब उनके साथ मिलकर उनके लिए और देश के समस्त बुजुर्गों के लिए मंत्रों का उच्चारण करेंगे। सारा वातावरण शिवमयी हो जाएगा, जिसकी मैं उपासक हूं, यह शिव की शक्ति है कि अश्विनी जी इतनी बीमारी के बावजूद 10 घंटे काम करते हैं, खुद ‘इट्स माई लाइफ’ सीरिज लिख रहे हैं। जब मैं और बच्चे बहुत उदास होते हैं तो वह मुस्करा कर अपना दर्द छिपा कर हमें हौसला देते हैं कि जीवन का किसी का भी एक पल का भरोसा नहीं, बस आप सब इसलिए घबरा रहे हो कि हम सबको मालूम है कि मुझे कैंसर है, जिसका नाम ही भयानक है इसलिए आप सब घबरा रहे हो, मुझे कुछ नहीं होगा।
अभी तो मुझे बहुत काम करने हैं। अपने बच्चों के लिए, समाज और देश के लिए अभी एक सपना 370 का पूरा हुआ है जो लाला जी, रोमेश जी और मेरा और आदित्य का था। अभी राम मंदिर और पीओके कश्मीर का सपना अधूरा है। उसे भी पूरा होता देखना है। अभी उनको भी मुझे सद्बुद्धि देनी है जिन्होंने मेरी बीमारी की आड़ में मेरे बच्चों, बीवी को तंग किया है। कुछ ऐसे भी रिश्तेदार हैं जिन्होंने बहुत साल तक लाला जी को याद नहीं किया, क्योकि किरण हम हर साल करते हैं तो कुछ रिश्तेदारों को भी समझ आ रही है कि जिनके त्याग से उन्हें कुछ मिला है, उन्हें याद करना बनता है, जिनको हमेशा चिंता थी कि आप लाला जी और रोमेश जी की फोटो क्यों लगाते हो, उनकी याद में फंक्शन क्यों करते हो, उनके नाम पर काम क्यों करते हो।
क्योंकि हम तो यही सोचते हैं कि आज हम जो कुछ हैं उनके द्वारा दिए गए संस्कार और मार्गदर्शन के कारण हैं, उनके त्याग के कारण हैं। सो वह लोग भी शुरू हो गए हैं जो सोचते थे कि जो कुछ है वह उनकी मेहनत है,लालाजी, रोमेश जी का योगदान नहीं है, जो मुझे अच्छी अनुभूति दे रहा है, ऐसे ही किसी को प्यार और किसी को गुस्से से भी ठीक करना है। सबको मुझे बताना है कि छह विधि के विधान हैं जिन्हें कोई नहीं बदल सकता-जीवन, मरण, यश, अपयश, हानि, लाभ सब प्रभु के हाथों में इंसान के हाथ में कुछ नहीं।
आज हम प्रभु के चरणों में यही प्रार्थना करेंगे कि ईश्वर सबको सद्बुद्धि दे, सुख-शांति दे, सबके दर्द को हर ले। यह मंत्र कठिन है और हर आम व्यक्ति इसको अकेले में नहीं कर सकता जब हजारों लोग इकट्ठे होकर एक ही तरह का अंग वस्त्र डालकर मंत्र मुग्ध होकर एक ही लय में प्रसिद्ध गायक शंकर साहनी के साथ उच्चारण करेंगे तो इसका फायदा लाखों-करोड़ों को होगा। कुछ लोग इसे टीवी में देखेंगे। देशभर की 23 शाखाओं के लोग देखेंगे यह नजारा।
किसी स्वर्ग की अनुभूति से कम नहीं होगा क्योंकि अश्विनी जी के लिए शायद ही कोई भगवान का द्वार होगा जो मैंने न खटकाया हो, चाहे गुरु जी का बड़ा मंदिर हो, दर्शी मां का पानीपत का द्वार हो, गुरुद्वारा बंगला साहिब हो, छतरपुर मंदिर हो, सिद्धि विनायक हो, साईंबाबा हों, माता वैष्णो देवी हों, हरिद्वार गंगा मैय्या हों या जागेश्वर नाथ मंदिर हो, मुझे पूरी उम्मीद है विश्वास है कि ईश्वर मेरी सुनेंगे आैर अश्विनी जी को स्वस्थ करेंगे ताकि वो देश, समाज और परिवार की सेवा कर सकें। हे ईश्वर मुझे सदा सुहागन रहने देना, मेरी लाल बिन्दी मेरे माथे पर सजी रहने देना।
‘‘हे शिव अब तुम्हारा ही सहारा है।’’